बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर भाषण – Beti Bachao Beti Padhao Speech In Hindi


दोस्तों अगर आप बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर भाषण तलाश रहे हो तो आजका पोस्ट आपके लिए काफ़ी हेल्पफ़ुल हो सकता है, क्यूकी आजके इस पोस्ट में हम बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर भाषण (Beti Bachao Beti Padhao Speech In Hindi), बेटी बचाओ अभियान पर भाषण, Speech on Beti Bachao Beti Padhao in Hindi। के बारे में जानिंगे।

कुछ साल पहले भारत सरकार द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नामक एक अभियान चलाया गया। जिसका उद्देश्य बेटियों के जीवन को बचाना एवं उन्हें शिक्षित करना था।

यदि आपको भी अपने स्कूल या कॉलेज या फिर किसी अन्य आयोजन पर बेटी बचाओ बेटी बचाओ के विषय पर भाषण देने का मौका मिला है।

तो आज के इस आर्टिकल में आपको बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के कुछ भाषण आपको मिलेंगे। यहां दिए गए भाषणों की सहायता से एक बेहतरीन भाषण इस विषय पर तैयार करके सुना सकते हैं।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर भाषण – Beti Bachao Beti Padhao Speech In Hindi

भाषण 1 (Long Speech On Beti Bachao Beti Padhao In Hindi)

यहां उपस्थित प्रधानाचार्य महोदय, सभी अध्यापक गण एवं सभी विद्यार्थियों को मेरा नमस्कार। मेरा नाम…मैं कक्षा… में पढ़ता/पढ़ती हूं। आज मैं यहां बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक विषय पर अपने विचार व्यक्त करने जा रहा हूं।

वर्ष 2015 में भारतीय सरकार द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की गई थी। यह योजना मोदी सरकार द्वारा देश की बेटियों के उत्थान एवं उन्हें आत्मनिर्भर बनाकर उनकी स्थिति में सुधार लाने हेतु शुरू की गई थी। इस अभियान को आज 5 वर्ष से अधिक समय हो चुका है।

इस अभियान ने देश की बेटियों के प्रति लोगों के नकारात्मक नजरिए को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वैसे तो आए दिन सरकार द्वारा नई-नई योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाता है। पर सरकार द्वारा शुरू की गई है यह पहल वाकई बेटियों के कल्याण एवं उनकी शिक्षा के लिए शानदार पहल है।

वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” की इस योजना के तहत सुकन्या समृद्धि योजना की शुरुआत की गई। यह योजना देश की बेटियों को शिक्षा, स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएं देने हेतु की गई थी। साथ ही बेटियों की शादी में भी यह योजना उनके सफलतापूर्वक विवाह करवाने का कार्य करती है।

यह योजना महिला सशक्तिकरण (Women empowerment) की ओर भी काम करती है। जो महिलाओं को शिक्षा, रोजगार जैसे विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने एवं उन्हें आत्म निर्भर बनने की दिशा में काम कर खुद के पैरों पर खड़े होन की और काम करता है।

इससे शिशु लिंगानुपात में भी कमी देखने को मिलती है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नाम की यह योजना भारत के 3 मंत्रालयों द्वारा बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा संचालित की जा रही है. इस योजना के तहत देश के विभिन्न राज्यों, जिलों में बालिका शिशु को बचाने एवं उनकी शिक्षा के लिए कई उपाय किए गए हैं। 100 करोड रुपए की शुरुआती फंडिंग के साथ इस योजना की शुरूआत की गई।

आज भी हमारे समाज को पुरुष प्रधान समाज कहा जाता है। जहां पर पुरुषों को महिलाओं की अपेक्षा महत्वपूर्ण एवम योग्य समझा जाता है जिसका साफ साफ अंदाजा आप भारत के बाल लिंग अनुपात के चार्ट को देखकर लगा सकते हैं। वर्ष 1991 में जहां 1000 लड़कों की तुलना में 0 से 6 वर्ष की 945 लड़कियां थी। वही दो दशकों बाद वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार यह संख्या घटकर 918 हो गई।

विशाल जनसंख्या वाले हमारे देश के लिए देश की बेटियों की लगातार कम होती संख्या वाकई एक गंभीर विषय है। क्योंकि एक देश को विकास करने के लिए सही लिंगानुपात होना आवश्यक है। इसलिए देश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2015 में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की शुरुआत की गई। इस योजना को शुरू करने के पीछे सरकार का विशेष उद्देश्य है जिसे पूरा करने के लिए सरकार के साथ-साथ, जनता का सहयोग देना जरूरी हो जाता है.

कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगाना| आज भी देश आजादी के 70 से अधिक सालों के बावजूद भी बेटियों के प्रति लोगों की मानसिकता में कुछ खास परिवर्तन नहीं आया है। आज भी एक नारी को उचित सम्मान नहीं मिलता है, आंकड़ों के मुताबिक हर साल बड़ी संख्या में बेटियों को पैदा होने से पहले ही मार दिया जाता है और यह योजना इस प्रथा को अंत देने में काम कर रही है।

कन्याओं की सुरक्षा और समृद्धि| एक विकसित एवं अच्छे राष्ट्र की पहचान वहां की महिलाओं की स्थिति को देखकर लगाया जा सकता है। जिस देश में बेटियां ही सुरक्षित नहीं है उस राष्ट्र का भविष्य उज्जवल हो ही नहीं सकता। अतः कन्याओं की सुरक्षा एवं उनके उत्थान के लिए यह स्कीम काम कर रही है।

तीसरा सबसे बड़ा लक्ष्य इस योजना के पीछे सरकार का यह है कि वह बालिकाओं की शिक्षा एवं उनकी भागीदारी को बढ़ाना चाहती है। लाखों बेटियां देश की अभी भी स्कूल नहीं जा पाती या फिर अपने कैरियर में वे जिस पद तक पहुंचना चाहती हैं इसके लिए वे अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पाती।

जिस वजह से अंत में परिणाम यह निकलता है कि अधिकतर क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी ना के बराबर है।। या फिर कम है अतः इस अनुपात को बढ़ाकर महिलाओं एवं पुरुषों की भागीदारी को समान स्तर तक लाने के लिए यह योजना कार्य कर रही है। इस स्कीम का लाभ उठाने के लिए आपको किसी प्रकार की एप्लीकेशन फॉर्म को भरने की आवश्यकता नहीं है। बता दें योजना सिर्फ समाज को जागरूक करने के लिए है आप 10 साल तक की बच्चियों के लिए सुकन्या समृद्धि खाता योजना शुरू कर सकते हैं।

देश की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है और लिंगानुपात तेजी से कम हो रहा है। क्या आप जानते हैं UNICEF की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत बाल लिंगानुपात (Child Sex Ration) के स्थान में विश्व के 195 देशों में 41वें स्थान पर है। अर्थात हमारा देश ऐसे 40 देशों से आगे है जिनका बाल लिंगानुपात हमसे बेहतर है।

इन तरह के आंकड़े को बताने का मतलब और उद्देश्य सिर्फ यही है कि समाज में बेटा-बेटी का जो यह भेद है यह खत्म करना बेहद जरूरी है। अन्यथा बेटियों के साथ भेद-भाव यूं ही चलता रहा तो ऐसी स्थिति में देश को प्रगति की राह पर लाना, उसके विकास की सोचना भी बेईमानी सी लगती है।

बतौर नागरिक हम देश की बेटियों के सुरक्षित एवं बेहतर भविष्य के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसी स्कीम के लिए सरकार को सपोर्ट तो कर ही सकते हैं। साथ ही अपने आसपास समाज में हम किसी जरूरतमंद बेटी को उसके शिक्षा, स्वास्थ्य से जुड़ी मदद कर सकते हैं।

समाज में हम बेटा बेटी के इस अंतर को खत्म करने के लिए स्वयं एक मुहिम चलाते हैं। तो जरूर लोगों की बेटियों के प्रति सकारात्मक सोच लाकर हम इस बाल लिंगानुपात को बेहतर बना सकते हैं। अंत में इन शब्दों के साथ मैं अपने इस भाषण को विराम देना चाहूंगा।। बेटियों से ही आबाद हैं सबके घर-परिवार, अगर न होतीं बेटियां तो थम जाता संसार।

धन्यवाद!

भाषण 2 (Medium Speech On Beti Bachao Beti Padhao In Hindi)

आदरणीय प्रधानाचार्य, अध्यापक अध्यापिका एवं प्यारे विद्यार्थियों को सुप्रभात। आज हम यहां सभी इस आयोजन के मौके पर उपस्थित है। तथा मुझे इस अवसर पर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के विषय पर एक भाषण देने का मौका मिला है। बेटे तो एक घर चलाते हैं, बेटियां दो-दो घरों को स्वर्ग बनाती हैं।

पर ना जाने फिर भी क्यों? उनको वह सम्मान नहीं मिल पाता जो एक बेटे को मिलता है। जी हां यह सुनने में थोड़ा अजीब जरूर है परंतु भारतीय समाज की यह दुर्भाग्यपूर्ण सच्चाई है।

बेटा भले ही मां बाप को भूल जाए। परंतु बेटियां नहीं भूल पाती यह जानते हुए भी एक नन्ही सी बच्ची आज भी भ्रूण हत्या का शिकार हो जाती हैं। आज भी बेटियों को बेटों के समान शिक्षा न मिल पाना, बेटों की तरह बेटियों को भी कुछ बड़ा कर दिखाने के लिए आत्मविश्वास, प्रोत्साहन न मिल पाना यह सब भारतीय समाज में आम है।

चाहे लाख हम समानता की बात कर लें। लड़के लड़कियो के बीच कोई भेद नहीं है, इसके कितने ही पोस्टर चिपका ले एवं किताबों में लिख लें। परंतु असल मायनों में यदि आप जमीनी हकीकत को देखें तो आज भी एक बेटा- बेटी से कहीं बेहतर माना जाता है। और यह सभी बातें उन आंकड़ों से साफ झलकती हैं यदि आप भारत का बाल लिंगानुपात पर नजर डालें तो।

1991 में जहां देश के बाल लिंगानुपात में प्रति 1000 बेटों में से 945 बेटियां थी। वही बदलते आधुनिक शिक्षित समाज के  2011 के आंकड़ों के अनुसार यह संख्या घटकर 1000 से 918 हो चुकी हैं।

आजादी के उपरांत जहां देश के संविधान में महिलाओं एवं पुरुष सभी को समानता के अधिकार देने के लिए महिलाओं को लेकर विशेष अधिकार दिए गए लेकिन इसके बावजूद भी उनकी परिस्थिति में कुछ खास परिवर्तन नहीं आया पिछले 20 सालों में भारत के बाल लिंगानुपात में काफी कमी आई है।

जो वाकई देश की बढ़ती जनसंख्या के लिए दुर्भाग्यपूर्ण था। जिसे देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ यह स्कीम की शुरुआत की गई जिसका अंतिम लक्ष्य बेटियों की सुरक्षा समृद्धि है। यह योजना देश के बाल लिंगानुपात की वर्तमान स्थिति को बेहतर बनाने के लिए की गई है ताकि देश में बेटियों को भी असल में बेटे की समान ही जीवन जीने का अवसर प्रदान हो सके।

बेटी एक शिक्षित, समृद्ध एवं सम्मानित जीवन जी सके। यह योजना आज के समय की मांग बन चुकी थी। क्योंकि देश की महिलाओं की सुरक्षा शिक्षा एवं महिला सशक्तिकरण के बिना किसी भी राष्ट्र का विकास के पथ पर चलना मुमकिन नहीं। कोई भी राष्ट्र जहां पर महिलाएं बेटियों की स्थिति अच्छी नहीं हो उस राष्ट्र का नाम कभी भी एक बेहतर राष्ट्र कि श्रेणी में आ ही नहीं सकता।

हमें यह समझना होगा कि देश में पुरुषों के समान ही महिलाओं की जनसंख्या में भागीदारी है। अतः वह भी देश की एक आधी शक्ति है, जिनके विकास में योगदान के लिए उनका अधिकारों, सुविधाओं की स्थिति में सुधार जरूरी है। अतः अंत में मैं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के इस अभियान का दिल से समर्थन करता हूं। जो बेटियों की बेहतर दशा के लिए जो काम कर रहा है।

धन्यवाद!

भाषण 3 (Short Speech On Beti Bachao Beti Padhao In Hindi)

भारतवर्ष में बेटियों की बेहतर स्थिति के लिए देश के प्रधानमंत्री द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नामक एक अभियान की शुरुआत की गई इस योजना का उद्देश्य देश की बेटियों को साक्षर आत्मनिर्भर एवं सुरक्षित रखना है। देश में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत 2015 में भारत के हरियाणा राज्य की पानीपत से की गई। क्योंकि इस राज्य में बाल लिंगानुपात देश के अन्य राज्यों की तुलना में कम है यहां पर 1000 लड़कों की तुलना मे 775 लड़कियां हैं

वर्ष 2011 में हुई जनगणना पर यदि हम आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि पिछले कुछ दशकों में बेटियों के जन्म दर में वृद्धि होने के स्थान पर कमी आई है। बेटियों के प्रति नकारात्मक दृष्टि होने की वजह से आज अस्पतालों में मौजूद ऐसे यंत्रों का उपयोग किया जाता है जिनसे जन्म से पूर्व ही शिशु के लिंग का पता लगाया जा सकता है।

और इसका पता होने पर हर साल भ्रूण हत्या की कई बेटियां शिकार हो जाती हैं। जिस वजह से लिंगानुपात में आज काफी अंतर देखने को मिलता है। समाज के लिए यह अत्यंत चिंतनीय मुद्दा है क्योंकि देश को प्रगति करने एवं बेहतर समाज की स्थापना के लिए जरूरी है की बेटों की तरह बेटियों का भी सम्मान किया जाए।

भ्रूण हत्या की रोकथाम के अलावा भी समाज में अभी भी बेटियों के बेटों की तुलना में कई तरह के मामलों में भेदभाव से गुजरना पड़ता है। जिनमें से कुछ प्रमुख हैं शिक्षा, सुरक्षा एवं अन्य मूलभूत आवश्यकताएं जो एक बेटी के लिए होनी चाहिए आमतौर पर आज हमारा समाज वह उन्हें दे नहीं पाता।

परिणाम स्वरूप महिलाएं अशक्त हो जाती हैं और फिर बात की जाती है महिलाओं के सशक्तिकरण की। ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें तथा समाज में प्रगति करके बेहतर राष्ट्र के निर्माण में योगदान दे सकें।

अतः बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नामक इस अभियान की शुरुआत से संभावना है एक बार फिर से बेटियों के प्रति लोगों के बीच फैली नकारात्मक मानसिकता में कुछ परिवर्तन आ सके। और भ्रूण हत्या एव बेटियों के साथ होने वाले भेदभाव के व्यवहार में परिवर्तन आ सके।

अतः बतौर नागरिक एक छात्र हमारा यह उद्देश्य है कि हम बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नामक इस अभियान को सफल करने में अपना योगदान दें। हम समाज में बेटियों को शिक्षा के लिए बढ़ावा देने, उन्हें सुरक्षा देने एवं सदैव बेहतर कार्य हेतु उनका आत्मविश्वास बढ़ाने में अपना योगदान दें।

धन्यवाद!

तो दोस्तों उम्मीद है की अब आपको बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर भाषण (Beti Bachao Beti Padhao Speech In Hindi), बेटी बचाओ अभियान पर भाषण, Speech on Beti Bachao Beti Padhao in Hindi। से जुड़ी पूरी जानकारी मिल चुकी होगी।

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