भगत सिंह का जीवन परिचय – Biography Of Bhagat Singh In Hindi! दोस्तों भगत सिंह का नाम तो आप सब ने सुना ही होगा, लेकिन अगर आप भगत सिंह के बारे में डिटेल में जानना चाहते हो की भगत सिंह कोन थे? तो आज इस पोस्ट में हम Bhagat Singh information in hindi, भगत सिंह का जीवन परिचय – Biography Of Bhagat Singh In Hindi के बारे में जानिंगे।
अपनी जान से भी अधिक अपनी जन्मभूमि को चाहने वाले महापुरुष इस पृथ्वी में कम ही पैदा होते हैं, और उन्हीं महापुरुषों में से एक हैं भगत सिंह जो अपने देश के खातिर हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए।
गुलामी की जंजीरों में जकड़े भारत को बचपन से ही आजाद कराने का सपना देखने वाले भगत सिंह के मन में बाल्यावस्था में ही आजादी का बिगुल बज चुका था! उन्होंने मन में ठान लिया था चाहे अपनी जान की बाजी भी क्यों ना लगानी पड़ जाए वे भारत माता की आजादी के लिए यह तैयार रहेंगे।
इसलिए आजादी के 70 वर्षों के बावजूद भी अंग्रजों के खिलाफ आंदोलन में युवा क्रांतिकारियों कि गिनती में भगत सिंह का नाम सबसे ऊपर आता है। तो आज हम इस लेख के माध्यम से आप तक इस महापुरुष की जीवनी (भगत सिंह का जीवन परिचय – Biography Of Bhagat Singh In Hindi) लेकर आए हैं जिनसे आपको इनके जीवन के विषय पर और भी गहन जानकारी मिलेगी।
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भगत सिंह का जीवन परिचय – Biography Of Bhagat Singh In Hindi
भगत सिंह का जन्म 27 अगस्त 1960 को पंजाब राज्य के लालपुर जिले के बंगा नामक गांव में हुआ था(जो हिस्सा वर्तमान में पाकितातान ) वे एक सिख परिवार में पैदा हुए।उनके पिता का नाम किशन सिंह, माता का नाम विद्यावती था।
देशभक्ति का जुनून सवार होने की वजह से मात्र 13 वर्ष की आयु में अपने स्कूली जीवन के दौरान स्वतंत्रता आंदोलन में भाग ले लिया।
आजादी के संघर्ष के दौरान कई बार वे जेल भी गए। वर्ष 1931 में ब्रिटिश ऑफिसर को जान से मारने के आरोप में अंग्रेजों द्वारा इस क्रांतिकारी को फांसी पर लटका दिया गया। भगत सिंह देश के लाखों युवाओं की आज भी प्रेरणा कहे जाते हैं जिन्होंने देश भक्ति के खातिर सर्वस्व त्याग दिया।
भगत सिंह आरंभिक जीवन
कहते हैं पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं और कुछ ऐसा ही था उनका वीर निर्भीक स्वभाव बाल्यकाल में खेल के दौरान दिखता था जहां आपस में दो टोलियां बढ़ जाती थी और युद्धाभ्यास होता था।
देशभक्ति का वातावरण उन्हें अपने परिवार से ही मिला उस दौरान उनके चाचा अजीत सिंह और स्वान सिंह भारत की आजादी के आंदोलन में भाग ले चुके थे।
भगत सिंह ने पांचवी कक्षा तक स्कूल की पढ़ाई पूर्ण की तत्पश्चात उनके पिता किशन सिंह ने दयानंद एंगलो वेदिक हाई स्कूल में उनका दाखिला करवा दिया। लेकिन पढ़ाई में रुचि के उलट उनकी देशभक्ति ने उन्हें भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की ओर खींचा।
भगत सिंह जीवनी
भगत सिंह की युवावस्था के दौरान दो घटनाएं महत्वपूर्ण थी। एक जलियांवाला बाग कांड जब यह मात्र 12 वर्ष की आयु कहते, तब जलियावला बाग कांड में हजारों की संख्या में मृत एवं घायल शरीर घटना स्थल पर मौजूद थे
यह नजारा देखकर उन्होंने मन में ठान लिया कि गांधीजी की अहिंसा वादी नीतियों को त्याग कर स्वतंत्र विद्रोह करके भारत को आजादी की लड़ाई लड़ेंगे। वर्ष 1923 में भगत सिंह ने लाहौर के नेशनल कॉलेज को ज्वाइन किया वहीं उन्होंने नौजवान भारत सभा की शुरुआत की।
इसके साथ ही उन्होंने आगे चलकर भारत की जनता हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन को।ज्वाइन किया जिसमें भारत के अनेक महान क्रांतिकारी जैसे चंद्रशेखर, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान जैसे क्रांतिकारी जुड़े थे।
वर्ष 1928 में हुई लाला लाजपत राय की मृत्यु ने इस क्रांतिकारी में ब्रिटिशों के प्रति आक्रोश को दोगुना कर दिया। वर्ष 1928 में लाला लाजपत राय साइमन कमीशन के विरोध में शांतिपूर्वक मार्च कर रहे थे उनके विरोध का कारण यह था कि इस कमीशन में किसी भी एक भारतीय को शामिल नहीं किया गया था।
परंतु इस शांति पूर्वक मार्च की अवहेलना करते हुए ब्रिटिश पुलिस सुपरिटेंडेंट James A. Scott, ने इस मार्च को खत्म करने के आंदोलनकारियों समेत लाला लाजपत राय पर लाठीचार्ज करने का आदेश दे दिया। इस घटना से लाला लाजपत राय को काफी चोट आई और इससे पूर्व कि वे चोट से उबरते 17 नवम्बर वर्ष 1928 को ही हार्ट अटैक से उनकी मृत्यु हो गई।
और भगत सिंह और सुखदेव इन दोनों क्रांतिकारियों ने लाला लाजपत राय की इस मौत का बदला लेने का प्लान बनाया और उन्होंने 17, दिसम्बर 1928 को ब्रिटिश पुलिस ऑफिसर जॉन सौंडर्स की हत्या कर दी। और दोनों क्रांतिकारी वहां से फरार हो गए, दोनों को ढूंढने के लिए पुलिस ने बड़ा सर्च ऑपरेशन भी चलाया परंतु वे आसानी से हाथ न आ सके!
भगत सिंह का वैवाहिक जीवन
भगत सिंह के क्रांतिकारी जीवन के बारे में हम अनेक मौकों पर सुनते हैं लेकिन उनका वैवाहिक जीवन अधूरा था। शादी की उम्र के दौरान भगत सिंह से जब उनके घर वालों ने शादी करने के लिए कहा तो भगत सिंह शादी के डर से कानपुर भाग गए।
और उन्होंने अपने पिता को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने लिखा की बचपन से ही उनके दिलो-दिमाग में पारिवारिक जीवन से अधिक भारत माता की आजादी के सपने के अलावा कुछ और नहीं है। इस पत्र में उन्होंने अपना एक माफीनामा भी लिखा था जिसमें उन्होंने शादी ना करने के लिए अपने पिता से माफी मांगी थी।
भगत सिंह तब तक अपने घर वापस नहीं लौटे जब तक उन्होंने अपने परिवार से यह वादा नहीं करवा लिया कि शादी के लिए उन पर दबाव नहीं दिया जाएगा।
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भगत सिह की किताबें
भगत सिंह को किताबें पढ़ने का अत्यंत शौक था कहां जाता है जिस दिन उनकी फांसी की तारीख तय हुई थी उसके कुछ घंटे पूर्व ही उन्होंने किताबें पढ़ी। वर्ष 1924 से लेकर 1928 के दौरान उन्होंने विभिन्न विषयों जैसे रूसी क्रान्ति, सोवियत संघ, आयरलैण्ड, फ्रांस और भारत का क्रान्तिकारी आन्दोलन, अराजकतावाद और मार्क्सवाद का विस्तार से अध्ययन किया।
समाजवादी नीति से प्रभावित होकर उन्होंने इसे अपने आंदोलनों का लक्ष्य माना उनकी यह विचारधारा उनकी मृत्यु तक रही। कहा जाता है कि लाला लाजपत राय की द्वारकादास library पर आकर भगत सिंह रोजाना अपना कीमती समय अध्ययन में बिताते थे और ऐसा लगता था मानो वह किताबें पढ़ते ही नहीं अपितु धोंट के पर जाते थे।
असेंबली में हुआ बम कांड
अंग्रेजों को मारने नहीं बल्कि उन्हें भारतीय के शोषण के लिए जागरूक करने के लिए 8 अप्रैल 1929 के दिन असेंबली में श्री बटुकेश्वर दत्त और सरदार भगत सिंह द्वारा बम फेंका गया। और खुद को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया हालांकि हथियारों से लैस ये क्रांतिकारी सरकारी अफसरों पर गोलियां दाग सकते थे।
उनके पास बंदूक होने के साथ ही बम धमाका की वजह से हो रही है अफरा-तफरी में कई लोगों को घायल करके, दुश्मनों को मारने का अच्छा मौका था परंतु उन्होंने निर्भीकता को दर्शाते हुए सरेंडर कर दिया।
और जोर-जोर से दोनों क्रांतिकारी इंकलाब जिंदाबाद, साम्राज्यवाद का नाश हो, कहने लगे।यह बम कांड विश्व के इतिहास में काफी प्रसिद्ध हो गया इसलिए आज भी भगत सिंह के साथ-साथ भारत माता की आजादी के जुनून को दर्शाता यह कांड लोगों के दिलों में है।
हिंसा और हिंसा पर विचार
शुरुआत में भगत सिंह गांधी जी के विचारों से भी काफी प्रभावित हुए और उन्होंने अहिंसा को माना लेकिन जब उन्हें यह एहसास हुआ कि इस लड़ाई को मात्र अहिंसा से नहीं जीता जा सकता तो उन्होंने हिंसक गतिविधियों के जरिए ब्रिटिश शासन के कानों में यह संदेश पहुंचा दिया कि यदि दुष्टों का संहार करने के लिए हिंसा करनी पड़े तो इसमें कुछ अनुचित नहीं है।
भगत सिंह नास्तिक थे?
जेल में रहने के दौरान भगत सिंह ने एक लेख लिखा जिसमें उन्होंने अपनी नास्तिक होने का वर्णन किया। इस लेख को लिखने के पीछे का कारण यह था कि उस समय के स्वतंत्रता सेनानी रंधीर सिंह लाहौर के सेंट्रल जेल में बंद थे वे ईश्वर के प्रति अटूट विश्वास रखते थे।
इसलिए वह चाहती थी कि यह युवा क्रांतिकारी भी भगवान पर आस्था रखें वे नास्तिकता वादी विचारों को मन से निकाल दें इसके लिए उन्होंने भरपूर कोशिश भी की परंतु भगत सिंह ने अपने विचार नहीं बदले। इस पर रंधीर सिंह काफी गुस्सा भी हुए और उन्होंने उन्हें घमंडी और अपने आप को सर्वश्रेष्ठ समझने वाला व्यक्ति कह दिया जिसके जवाब में भगत सिंह ने एक लेख लिखा और अपने विचारों को उन तक पहुंचाया दो पैराग्राफ का यह लेख था।
आज भी विभिन्न इतिहासकार यह मानते हैं कि वे नास्तिक हैं और विभिन्न पत्रकारों बुद्धिजीवियों की इस विषय पर अलग-अलग मत है। हालांकि उनके परिवार के सदस्य भगत सिंह के पोते यादविंदर सिंह सिंधु की मीडिया से हुई बातचीत की माने तो वह कहते हैं कि भगत सिंह नास्तिक नहीं थे लेकिन वे अंधविश्वास और भाग्य जैसी चीजों पर भरोसा नहीं करते थे।
निर्भीक भगत सिंह
जिंदगी अपने दम पर ही जी जाती है दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं भारत के महान युवा क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह की वतन के प्रति दिलदारी आज भी युवाओं समेत करोड़ों लोगों को देश की आन बान शान के लिए मर मिटने के लिए प्रेरित करती हैं।
बचपन से ही भगत सिंह स्वभाव से निर्भीक थे!बचपन से ही देशभक्ति का जुनून भगत सिंह के सर पर सवार हो चुका था! निर्भीक शैली के भगत सिंह एक बार मिट्टी के ढेर में छोटे-छोटे तिनके बुन रहे थे जिसे देखकर उनके पिता ने कहा कि तुम यह क्या कर रहे हो ? तो उन्होंने कहा मैं अपने देश को आजाद करने के लिए बंदूकें बोल रहा हूं।
इसके साथ ही एक घटना जलियांवाला बाग कांड की है जब मात्र 12 वर्ष के भगत सिंह जलियांवाला बाग पहुंचें और उस खूनी कांड को देखकर सहमने, डरने की बजाय उनमें बदला लेने की भावना भभक उठी! उन्होंने उस घटना स्थल पर बाघ की मिट्टी को अपने हाथों में लिया और देश के लिए बलिदान देने की शपथ खाई।
यहां तक कि मौत से पूर्व भी उनका निर्भीक स्वभाव देखने को मिला जब फांसी से कुछ घंटे पूर्व वह एक पुस्तक लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे। और बुक पढ़ने में वे इतने लीन हो गए कि वे यह भी भूल गए कि उन्हें फांसी होने वाली है। तथा कुछ देर के बाद फांसी पर चढ़ने का समय आया तो भारत माता की खातिर तनिक भी उनके चेहरे पर शिकन न थी, और खुशी-खुशी यह क्रांतिकारी फांसी पर चढ़ गया भगत सिंह के जीवन से जुड़े कुछ उपयोगी तथ्य जो इतिहास में दर्ज हैं.
स्वतंत्रता आंदोलन क्रांतिकारियों एवं समस्त भारतीय जनता में आजादी की चिंगारी भरने वाला नारा “इन्कलाब जिंदाबाद” के कथन की शुरुआत भगत सिंह ने ही की थी। फांसी के कुछ घंटे पूर्व जब उनकी मां भगत सिंह से मिलने आई तो हैरान करने वाला वाक्या देखने को मिला उस दौरान भगत सिंह हंस रहे थे! जिसे देखकर जिलाधिकारी भी चकित रह गए कि मौत से पहले यह व्यक्ति इतना खुश है।
भगत सिंह की मौत की तारीख 24 मार्च 1931 की थी परंतु अंग्रेजों को जनता का इतना खौफ हो चुका था कि उन्होंने 1 दिन पूर्व अर्थात 30 मार्च 1930 को 7:30 बजे भगत सिंह को फांसी पर लटका दिया। भगत सिंह ने जेल में रहने के दौरान कुल 116 दिन उपवास किया। लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि इस दौरान उन्होंने अपने सभी नियमित कार्य जैसे गाना गाना ,पढ़ना, कोर्ट जाना इत्यादि सारे कार्य किए।
भगत सिंह धर्म से एक सिक्ख थे परंतु उन्होंने हत्या के लिए पहचाने जाने से बचने के लिए अपनी दाढ़ी मुड़वा ली और वे लाहौर से कोलकाता सफलतापूर्वक भागने में सफल भी रहे। कहा जाता है कि भगत सिंह का जन्म उसी दिन हुआ था जिस दिन आजादी के संघर्ष में जेल जाने की वजह से उनके पिता और चाचा जेल से रिहा होकर आए थे।! उनके पिता एवं चाचा से भी स्वतंत्रता सेनानी थे जो देश के खातिर कई बार जेल भी गए।
भारत का यह महान स्वतंत्रता सेनानी मात्र 23 वर्ष का था जब भगत सिंह को देश की रक्षा हेतु फांसी पर चढ़ा दिया जाता भगत सिंह ने अपने इन कर्मों से देश के हजारों युवाओं को आजादी के आंदोलनो में भाग लिए प्रेरित किया।
भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला ब्रिटिश पुलिस अधीक्षक से लेने के लिए भगत सिंह ने सुखदेव के साथ एक युक्ति बनाई परंतु गलत जानकारी पहुंचने की वजह से यह गोली दूसरे पुलिस अधीक्षक जॉन सौंडर्स को लग गई।
उम्मीद है की अब आपको भगत सिंह से जुड़ी पूरी जानकारी मिल गयी होगी और आप Bhagat Singh information in hindi, भगत सिंह का जीवन परिचय – Biography Of Bhagat Singh In Hindi! के बारे में काफ़ी कुछ जान गये होगे।
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