डॉ भीमराव आंबेडकर पर भाषण – Bhimrao Ambedkar Speech In Hindi


दोस्तों अगर आप डॉ भीमराव आंबेडकर जी पर भाषण देना चाहते हो तो आज इस पोस्ट में हम डॉ भीमराव आंबेडकर पर भाषण, Bhimrao Ambedkar Speech In Hindi, Speech on Dr. Bhimrao Ambedkar in Hindi! के बारे में जानिंगे।

आदरणीय प्रधानाचार्य जी, सभी अध्यापक गण एवं मेरे प्रिय पार्टियों को सुप्रभात! जैसा की आप सभी को ज्ञात है हम यहां अंबेडकर जयंती के अवसर पर बाबा साहेब को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए हेतु उपस्थित है।

मैं यहां बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के विषय पर उनके जीवन पर आधारित एक स्पीच सुनाने जा रहा हूं।

डॉ भीमराव आंबेडकर पर भाषण – Bhimrao Ambedkar Speech In Hindi

भाषण 1 (Long Speech On Dr Bhimrao Ambedkar In Hindi)

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर एक बहू प्रतिभावान व्यक्ति थे! जो कि एक सफल राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री, प्रोफेसर एवं समाज सुधारक थे! उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू प्रांत में हुआ था।

बचपन से ही भीम विपुल प्रतिभा के छात्र थे स्कूली शिक्षा पूर्ण होने के पश्चात उन्होंने अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की! और कुछ वर्षों तक विश्वविद्यालय में भी बतौर प्रोफेसर उन्होंने अपनी सेवाएं दी।  उन्होंने वकालत भी की, लेकिन बाद में उनका ध्यान राजनीति गतिविधियों में चला गया।

ब्रिटिश शासन के दौरान उन्होंने भारत की आजादी में अपना योगदान देने हेतु जोर शोर से स्वतंत्रता की लड़ाई में प्रचार प्रसार का कार्य जनता के राजनीतिक अधिकारों की आवाज उठाने एवं दलित वर्ग का समाज में हो रहे शोषण, उन्हें  भेदभाव से मुक्ति दिलाने में प्रमुख योगदान दिया।

दलित एवं अन्य पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए उनके द्वारा किए गए कठिन संघर्ष के लिए आज भी दलित एवम पिछड़े वर्ग द्वारा उन्हें नमन किया जाता है। बाबा साहेब को बचपन से में स्वयं इस छुआछूत की प्रथा का शिकार होना पड़ा और वे ये कदापि नहीं चाहते थी कि इस देश में रहकर दलित या किसी भी अन्य पिछड़े वर्ग के साथ इस तरह का भेदभाव हो!

बाबा साहब एक हिंदू महार जाति से तालुकात रखते थे, समाज में यह निम्न जाति होने की वजह से उन्हें कम उम्र में कई सामाजिक प्रतिरोधों का सामना करना पड़ा।

इसलिए कई बार उन्होंने सभी दलितों एवं पिछड़ों वर्गों को एकजुट करके उनके खिलाफ उनके ही देश में हो रही छुआछूत की इस प्रथा को खत्म करने और सम्माननीय जीवन जीने के लिए कई बार अपनी आवाज उठाई! अभियान चलाएं इसके लिए कई बार उन्हें कड़ा विरोध भी सहना पड़ा।

हम सभी भारत में जातिवादी को लेकर भली भांति परिचित हैं 21वीं सदी में भी आज जातिवाद पूरी तरीके से खत्म नहीं हुआ है। लेकिन यह स्थिति 1930 40 के दशक में और भी भयंकर थी जहां पर दलितों पिछड़ों वर्गों एवं उच्च वर्ग के बीच का अंतर साफ साफ देखने को मिल जाता था।

समानता की बात या विचार, दूर-दूर तक नहीं देखने को मिलते हैं। उच्च वर्ग के लोग जो स्वयं को ऊंची जाति का मान थे उन्हें राज दरबार में या फिर महत्वपूर्ण सामाजिक सेवा का कार्य दिया जाता था। वही निम्न/ पिछड़ी जाति के लोगों के लिए निम्न स्तर के कार्य जैसे कि कपड़े धोना, टॉयलेट साफ करना सौंपे जाते। इसके अलावा उच्च वर्गों द्वारा निम्न जाति के लोगों को छुआ तक नहीं जाता था,  दलितों को सवर्णों (उच्च जाति) के साथ बैठने, यहां तक कि पानी पीने की भी मनाही थी।

अतः समाज में हो रहे इस भेदभाव को रोकना और इसके लिए एक कड़ा कानून बनाना बेहद जरूरी हो चुका था! तो ऐसे ही समय में बाबा भीमराव दलित एवं पिछड़े वर्गों के लिए एक फरिश्ते के रूप में सामने आए जिन्होंन इस देश में छुआछूत और इस भेदभाव को रोकने के लिए लोगों को जागरुक किया और इसे रोकने के अनेक प्रयास किए।

बाबा साहेब का मानना था कि छुआछूत गुलामी से भी बदतर है। स्वयं गांधी जी भी छुआछूत के कड़े विरोधी थे और वे इसे रोकना चाहते थे। आजादी से पूर्व ही बाबा साहेब मन ही मन ठान चुके थे कि आजादी के पश्चात भारत में लोकतंत्र स्थापित होगा। जहां पर लोग बिना छुआछूत, जाति, धर्म इत्यादि के भेदभाव के बगैर सभी लोग समान रूप से जीवन जी सके।

और ऐसा ही हुआ वर्ष 1947 में जब हमारा देश आजाद हुआ तो उसके पश्चात भारत के प्रशासनिक राजनीतिक एवं सामाजिक व्यवस्था सुचारु रुप से चलें और देश के सभी लोगों को उनका समान अधिकार मिले इसके लिए देश मैं संविधान की स्थापना की गई इस संविधान में सरकार एवम जनता को दिए जाने वाले सभी अधिकारों की व्याख्या की गई है।

भारतीय जनता के अधिकारों के लिए नियमों कानूनों के इस दस्तावेज को जिसे हम संविधान के नाम से जानते हैं बड़ी सूझबूझ के साथ बनाया गया है इसमें लिखित नियमों कानूनों के अनुरूप ही इस देश को चलाया जाता है. भारत का संविधान देश के नागरिको को सभी वर्ग जाति के लोगों को समान मानता है। संविधान में किसी भी व्यक्ति को किसी भी तरीके से  नीच या उच्च नहीं माना गया है यह सभी अधिकार सभी को समान रुप से दिए गए हैं।

लंबे समय से दलित अपने ऊपर हो रहे शोषण से परेशान थे अतः संविधान में ऐसे नियम कानून लाए गए जिनसे दलितों को भी समाज में बराबरी का हक मिल सके। दलितों एवं पिछड़े वर्गों को आरक्षण दिया गया ताकि उन्हें भी नौकरी पेशा एवं बेहतर जीवन यापन का मौका मिल सके। भारत के संविधान को बनने में कुल 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा। भीमराव अंबेडकर संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष थे!

6 दिसंबर 1956 को इस महापुरुष ने अपनी अंतिम सांस ली उनके द्वारा समाज एवं देश को बेहतर बनाने हेतु किए योगदान के लिए मरणोपरांत वर्ष 1990 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

धन्यवाद!

भाषण 2 (Medium Speech On Dr Bhimrao Ambedkar In Hindi)

आदरणीय महानुभाव एवं यहां उपस्थित सभी सभी लोगों को मेरा नमस्कार! आज मुझे यहां अंबेडकर जयंती के इस पावन पर्व पर आपके समक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के बारे में कुछ शब्द बोलने का सौभाग्य मिला है। सैकड़ों वर्षो से भारतीय समाज में पिछड़े वर्ग के साथ हो रही असमानता के खिलाफ जीवन भर कठिन संघर्ष कर इस लड़ाई को जीतकर उन्हें न्याय दिलाने वाले बाबा साहब भीमराव अंबेडकर सदा के लिए महान बन गए।

बाबासाहेब को विश्व को सबसे बड़ा संविधान की स्थापना करने एवं श्रमिकों दलितों महिलाओं के हक का कार्य कर उनका कल्याण करने हेतु भारतीय जनता द्वारा सदा याद किया जाता है।

बाबा साहेब का जन्म वर्षा 1891 में भारत के महू प्रांत में हुआ था। वे बचपन से ही सरल एवं गंभीर स्वभाव के एक प्रतिभावान छात्र थे! कम उम्र में ही उन्हें यह आभास हो चुका था कि भारत को न सिर्फ आजादी अंग्रेजों से चाहिए बल्कि देश में दलितों, पिछड़े वर्ग के खिलाफ छुआछूत, असमानता जैसी कुप्रथा से भी चाहिए।

बाबा साहब मानते थे की छुआछूत गुलामी से भी बदतर है। अतः एक दलित परिवार में जन्म लेने की वजह से कई बार बाबासाहेब को अपने जीवन में समाज द्वारा दलित होने का आभास कराया गया।

उन्होंने ठान लिया चाहे कुछ भी हो जाए वे भारत को अंग्रेजों से स्वतंत्र करवाने के साथ-साथ इस देश को छुआछूत जातिवाद से भी भारत को मुक्त बनाएंगे। अतः एक अर्थशास्त्री होकर प्रोफेसर के रूप में उन्होंने अपनी सेवाएं देने के बजाय उन्होंने समाज सुधारक बनने का मन बना लिया। उन्होंने दलित वर्ग के लोगों को उनके खिलाफ इस देश में हो रही समानता के लिए जागरूक किया वह एक ऐसी लड़ाई लड़ रहे थे जो बिल्कुल भी आसान न थी कई बार संघर्ष में उन्हें धमकियां मिली परंतु उन्होंने अपने लक्ष्य से हटे नहीं।

अतः 1947 में जब भारत को ब्रिटिशों से आजादी मिली तो देश में फिर रूढ़िवादी विचारधारा से देश के किसी भी दलित, पिछड़े वर्ग को  छुआछूत और असमानता देखने को ना मिले अतः देश के लोकतंत्र में उन्होंने ऐसे नियम कानून सम्मिलित लिए जिसमें सभी को बराबरी का हक मिले!

संविधान का ढांचा इस तरह तैयार किया गया जहां पर दलित या किसी भी पिछड़े वर्ग को सभी की तरह समान अधिकार मिल सके, सभी भारतीय समान हैं और सभी को समान अधिकार मिले! और यदि कोई एक व्यक्ति किसी दूसरे जाति या वर्ग के व्यक्ति या समूह के अधिकारों का उल्लंघन करता है तो उसमें सजा का भी प्रावधान है।

भीमराव अंबेडकर समेत संविधान सभा के अन्य सदस्यों द्वारा हमारे देश में बनाया गया संविधान आज भी पूरे विश्व का सबसे बड़ा संविधान कहा जाता है।

अतः देश निर्माण में उनके योगदान को कदापि भारतीय जनता द्वारा भुलाया नहीं जा सकता वर्ष 1990 में भारतीय सरकार द्वारा उनके सम्मान में मरणोपरांत उन्हें भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया।

भाषण 3 (Short Speech On Dr Bhimrao Ambedkar In Hindi)

यहां उपस्थित सभी लोगों को दिल से नमस्कार आज मैं यहां आपके समक्ष इतिहास के महापुरुषों में से एक बाबा भीमराव अंबेडकर की विषय पर एक स्पीच सुनाने के लिए उपस्थित हूं।

बाबा भीमराव अंबेडकर प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे वे एक राजनीतिज्ञ, न्याय विद, अर्थशास्त्री एवं एक महान सुधारक थे।  आजाद भारत से पूर्व भारत में फैली सामाजिक कुरीतियों एवं रूढ़िवादी विचारधारा को खत्म करने के लिए उनके द्वारा विभिन्न प्रकार के आंदोलन किए गए उन्होंने दलितों पिछड़े वर्ग के लोगों के खिलाफ होने वाले इस समाज में सौतेले व्यवहार को खत्म कर उन्हें समाज में समानता हक दिलाया।

बाबा साहेब का जन्म 14 अप्रैल 1891 में मध्य प्रदेश के महू प्रांत में हुआ। संविधान निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले भीमराव अंबेडकर स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून एवं न्याय मंत्री के रूप में भी जाने जाते हैं। निम्न जाति के परिवार में पैदा होने की वजह से ही बचपन से ही उन्हें अमी पिछड़े वर्ग की जातियों के लोगों की तरह ही अछूतों का जीवन जीना पड़ता था परंतु वे इसे बिल्कुल गलत मानते थे।

शिक्षा के महत्व को समझते हुए उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई के पश्चात कोलंबिया विश्वविद्यालय एवं लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र की पढ़ाई की एक शिक्षित व्यक्ति होने के नाते वे भली-भांति मानव के प्रति होने वाले न्याय-अन्याय से परिचित है।

भारत की पारंपरिक मान्यताओं, दलितों एवं अन्य पिछड़ी जातियों के खिलाफ सैकड़ों दशकों से होते आ रही इस व्यवहार को भी अन्याय समझते थे! उनका मानना था कि भारत में रहकर ही दलित पिछड़े वर्गों को सवर्णों द्वारा दबाया जा रहा है उनके अधिकारों को छीना जा रहा है।

अतः इसके खिलाफ उन्होंने दलित एवं पिछड़े वर्ग को एकत्रित कर इसके खिलाफ जागरूक किया और विभिन्न मौकों पर इसके खिलाफ आवाज उठाई उनके इस संघर्ष को दबाने के भी कई प्रयास किए गए परंतु बाबा साहेब अपना सबकुछ समर्पित करके भी दलितों एवं पिछड़े वर्ग के लोगों के जीवन में समानता लाना चाहते थे।

अतः बाबा साहेब का जीवन संघर्ष एवं सफलता की अद्भुत मिसाल कहा जाता है जिसने उन्हें लोगों के दिलों में अमर बना दिया। वर्ष 1947 में देश को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया तो किसी भी जाति वर्ग के लोगों को असमानता न झेलनी पड़े और छुआछूत जैसी प्रथा का नाश हो जाए इसके लिए उन्होंने भारत के संविधान में ऐसे नियम कानूनों बनाये जो प्रत्येक नागरिक को बिना भेदभाव के समान मानते हो।

देश का संविधान नियमों कानून का एक दस्तावेज हैं जिनकी वजह से आज हम एक ऐसे समाज में रह पाते हैं जहां पर जातिवाद, धर्म के आधार पर कोई भी भेदभाव नहीं किया जाता। इस संविधान को बनाने में बाबा साहेब का विशेष योगदान था जिसे बनाने में कुल 2 वर्ष 11 माह 18 दिन लगे

इतनी लंबी अवधि बाद तैयार किये गए इस संविधान को 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया और इसे विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान भी कहा गया। देश की आर्थिक राजनीतिक एवं सामाजिक व्यवस्था शांति एवं सुचारू रूप से चल सके इसके लिए संविधान में विभिन्न प्रकार के कानून बनाए गए हैं जिन कानूनों का जिस संविधान का सम्मान कर आज हम एक स्वतंत्र राष्ट्र में रह पाते हैं।

मरणोपरांत वर्ष 1990 में बाबा भीमराव अंबेडकर को भारत रत्न से भी सम्मानित किया दया और उनकी याद में पूरे भारत में 14 अप्रैल को उनके जन्मदिन के रूप में अंबेडकर जयंती मनाई जाती है। इस महापुरुष की याद में इस दिवस को एक राष्ट्रीय पर्व के तौर पर बड़े धूमधाम से मना कर उन्हें उनके द्वारा किए महान कार्यों के लिए जनमानस द्वारा याद किया जाता है।

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