दोस्तों अगर आप बालश्रम या बाल मजदूरी पर निबंध लिखना चाहते हो तो आजके इस पोस्ट में हम short and long essay on bal shram in hindi, बाल मजदूरी पर निबंध – Essay On Child Labour In Hindi के बारे में जानिंगे।
कई बच्चों को जीवन में शिक्षा के समान मौके मिलते हैं तो किसी का दो वक्त की रोटी और मुश्किल ही किताबों से संपर्क होता है। जी हां, चाइल्ड लेबर्स की स्तिथि के बारे में बात हो रही है. इस लेख में हम बाल मजदूरी पर निबंध (Essay On Child Labour In Hindi) के माध्यम से चाइल्ड लेबर के इस महत्वपूर्ण टॉपिक पर प्रकाश डालेंगे।
आजादी के दौरान देश में सभी के लिए समान रूप से अधिकारों के बात की गई थी और सख्ती से बाल मजदूरी की प्रथा को खत्म करने के निर्देश दिए गए थे। दो वक्त की रोटी के लिए मासूम बच्चे आज भी गलियों में कूड़ा उठाते, किसी फैक्ट्री में काम करते दिखाई देते हैं जो यह दर्शाता है आजादी के 70 से भी अधिक वर्षों के बावजूद देश में चाइल्ड लेबर्स की संख्या में कमी नहीं आई है।
अतः अगर आपको भी चाइल्ड लेबर जैसे सामाजिक मुद्दे पर अपने विचारों को रखने का स्टेज पर मौका दिया गया है या परीक्षाओं में निबंध लिखना है तो इस कार्य में आपकी सहायता हेतु यहां चाइल्ड लेबर पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay On Child Labour In Hindi) दिए गए हैं।
बाल मजदूरी पर निबंध – Essay On Child Labour In Hindi
निबंध 1 (400 Words)
किसी भी क्षेत्र में बच्चों द्वारा अपनी मर्जी से या विवश होकर दी जाने वाली सेवा बाल मजदूरी कहलाती है। यह बच्चों पर डाला गया एक बोझ है और उसका बचपन इस बोझ को सह नहीं सकता है। बच्चे मासूम होते हैं, उन्हें देखरेख की जरूरत होती है ताकि वे शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्कूल जा सके। समय पर भोजन, खेलकूद कर अपना शारीरिक व मानसिक विकास कर सके लेकिन दुर्भाग्यवश सभी बच्चों को ईश्वर द्वारा समान रूप से यह मौका नहीं दिया गया।
देश भर में ऐसे लाखों बच्चे हैं जिन्हें अभी भी अपनी भूख शांत करने के लिए बचपन से ही ऐसे कार्य करने होते हैं जिनकी एक शिक्षित व्यक्ति कभी चाह नहीं रख सकता। अगर आप भी अपने आसपास, शहर में नजर डालें तो पाएंगे कई बच्चे 14 वर्ष से कम आयु के फैक्ट्रियों में काम करते मिलेंगे। धूल में सने इनके कपड़े, शरीर में लगा धुएं, या किसी होटल में बर्तन मांजते देखने को मिलेंगे।
वैसे यह सभी बच्चे बाल मजदूरी के अंतर्गत आते हैं हालांकि सरकार द्वारा इस कृत्य को रोकने हेतु नियम कानून बनाए गए है। लेकिन इसके बावजूद इन कृत्यों में कमी नहीं आ रही है बाल मजदूरी समाज के लिए एक ऐसा श्राप है जिसका नुकसान पूरे देश के निवासियों को होता है।
क्योंकि बाल मजदूरी के कारण शिक्षा पूर्ण न होने की वजह से उनका मानसिक विकास रुक जाता है, परिणाम स्वरूप आगे चलकर नौकरी में बेहतर अवसर न मिल पाना, सम्मान में कमी और समाज से एकदम अलग थलग यह बच्चे अपने अंधकारमय भविष्य को देखते हुए सामाजिक बुराइयों में लिप्त हो जाते हैं।
बाल मजदूरी रोकने हेतु सबसे पहले माता पिता की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने बच्चों को किसी भी स्थिति में बाल मजदूरी करने के लिए प्रेरित ना करें। उन्हें यह समझना होगा कि यह उम्र किसी ठेले पर काम करने की नहीं बल्कि बैग टांग कर स्कूल जाने की होती है।
लेकिन परिवार के भरण-पोषण के लिए पर्याप्त धन होने की वजह से अक्सर बच्चों को बाल मजदूरी करनी ही पड़ती है। तो हम कह सकते हैं कि गरीबी, कम आय, बेरोजगारी, खराब जीवन शैली एवं समझ कुछ ऐसे प्रमुख कारण है उनकी वजह से बच्चे बाल मजदूरी के शिकार होते हैं। साथ ही इसके लिए देश का कानून भी जिम्मेदार है क्योंकि बाल मजदूरी करने हेतु उसे कड़े कदम उठाने चाहिए।
भारत के संदर्भ में देखें तो सरकार के लिए बाल मजदूरी अभी भी चिंता का विषय है जिस को रोकने के लिए आजादी के बाद उपयुक्त नियम&कानून बनाने की कोशिशें की गई हैं। परंतु अभी भी नियम कानूनों का पालन शत प्रतिशत नहीं किया जाता है आज भी बाल मजदूरी का ग्राफ हमारे देश में लगातार ऊपर बढ़ता जा रहा है।
तो अभी भी समय रहते अगर हमें देश को उन्नति के पथ पर ले जाना है तो अभी से सरकार एवम् नागरिकों को बाल मजदूरी करने वाले इन बच्चों के हालातों को समझ कर इस स्थिति में परिवर्तन हेतु उपाय लेकर आगे आना चाहिए धन्यवाद।
निबंध 2 (500 Words)
बाल मजदूरी इस शब्द को अक्सर अखबारों में या किताबों में या फिल्म में देखा जाता है। इस शब्द का अर्थ सामान्यतः उस जुर्म से है जहां बच्चों को जबरदस्ती कम उम्र से ही काम के लिए मजबूर किया जाता है।
सरकार द्वारा बाल मजदूरी को रोकने के लिए भारत में कड़े नियम कानून भी बनाए गए हैं। लेकिन इसके बावजूद भी जमीनी हकीकत को देखें तो दो समय की रोटी की तलाश में फैक्ट्रियों , भट्टियों में काम करते छोटे-छोटे मासूम बच्चे इस बात की गवाही देते हैं कि आज भी देश स्वतंत्र तो हो गया है परंतु इन मासूमों के पैरों में आज भी बेड़ियां पड़ी हुई है।
जिनके सुनहरे भविष्य की शुरुवात किताबों से होनी चाहिए वे भट्टियों के काले धुएं से करते हैं,जिनसे बाद में आगे उनका जीवन अंधकारमय हो जाता है। बाल मजदूरी बच्चों से उनके बचपन, शिक्षा को छीनने के साथ ही उनके शारीरिक एवं मानसिक विकास में भी बाधा बनकर उभरती है।
शिक्षा न मिल पाने के कारण उन्हें काम के बेहतर मौके नहीं मिलते हैं, अतः वह उन बुराइयों में लिप्त हो जाते हैं जो देश के विकास के लिए बाधा बनते हैं. विश्व के अनेक देशों के समान ही भारत में भी बाल मजदूरी करवाना एक अपराध है। किसी भी स्थान पर नौकरी करने हेतु व्यक्ति की उम्र 15 या उससे अधिक होनी चाहिए।
बाल मजदूरी के कारण
बाल मजदूरी जहां विश्व के विकसित देशों में काफी कम वहीं यह समस्या विशेषकर दुनिया के उन विकासशील देशों में अधिक पाई जाती है जो गरीबी रेखा से निचले स्तर का जीवन यापन कर रहे हैं किसी भी देश में बाल मजदूरी के बढ़ते अनुपात के कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं
बाल मजदूरी की कुप्रथा अभी भी उन देशों में चली आ रही है जहां पर लोग अभी भी गरीबी, और बेरोजगारी से जूझ रहे हैं। क्योंकि उनके पास जीवन जीने हेतु पर्याप्त संसाधन नहीं होते इसलिए वह बचपन से ही बच्चों को बाल मजदूरी करने के लिए भेज देते हैं ताकि बच्चों द्वारा कमाई की कुछ पैसों से घर के लोगों का भरण पोषण हो सके।
अशिक्षा भी बाल मजदूरी का एक प्रमुख कारण है माता पिता के शिक्षित ना होने की वजह से बच्चों को भी शिक्षित होने के कम ही अवसर मिलते हैं अतः कम उम्र में ही उन्हें काम करने के लिए भेज दिया जाता है।
इसके अलावा बाल मजदूरी की कुप्रथा को बढ़ावा मिला है उन कंपनियों, उद्योगों से जो अपने पैसों की बचत के लिए बच्चों को मजदूरी करने के लिए विवश कर देते हैं। अतः बच्चों को समझा-बुझाकर होने दो वक्त की रोटी के लिए भी कड़ी परिश्रम करनी पड़ती है जिससे कंपनी का फायदा तो होता है परंतु इससे देश को लंबी अवधि में बड़ा नुकसान झेलना पड़ता है।
बाल मजदूरी का उन्मूलन
एक उन्नत देश में बाल मजदूरी को बढ़ावा कतई नहीं मिल सकता। अतः अगर हमें भी अपने देश को प्रगति की राह पर ले जाना है और उसे विकसित देशों की सूची में शामिल करना है तो जरूरी है बाल मजदूरी को जड़ से खत्म करना
हालांकि देश की आजादी के बाद बाल मजदूरी रोकने के लिए कई नियम कानून बनाए गए हैं परंतु आंकड़े बताते हैं आज भी बड़ी संख्या में बच्चे बाल मजदूरी के शिकार हैं इस सामाजिक समस्या को रोकने हेतु कुछ उपाय निम्नलिखित हैं।
बाल मजदूरी रोकने हेतु उपाय
बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए सरकार कुछ ऐसे लोगों का समूह बना सकती है जो बाल मजदूरी की शिकायतें सरकार तक पहुंचा सके और सरकार तुरंत ऐसी कंपनियों फैक्ट्रियों पर कड़ी कार्रवाई कर सके।
बच्चों को शिक्षा के महत्व से परिचित करवाने से भी बाल मजदूरी का अंत किया जा सकता है हालांकि सरकार द्वारा बच्चों मुफ्त में शिक्षा देने हेतुकई सारे विद्यालय देशभर में खोले गए हैं परंतु इसके साथ ही बतौर नागरिक हमारा भी यह कर्तव्य बनता है कि कहीं पर कोई चाइल्ड लेबर मिलता है तो उसकी शिक्षा की जिम्मेदारी हम स्वयं ले सकते हैं या फिर मुफ्त शिक्षा देने वाले ऐसे संस्थानों तक लेकर जाएं जहां उसे अपना उज्जवल भविष्य दिख सके
सरकार को नागरिकों को एक निम्नतम भुगतान देना चाहिए ताकि प्रत्येक माता पिता अपने बच्चों को भोजन शिक्षा जैसी मूलभूत आवश्यकताएं देने में सक्षम रहें!
निष्कर्ष
उपरोक्त चर्चा से यही निष्कर्ष निकलता है कि बाल मजदूरी को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार के साथ-साथ लोगों को मुद्दे पर चर्चा करके आगे आना होगा। तब जाकर किसी भी देश से बाल मजदूरी का अंत किया जा सकता है भले यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य है लेकिन अगर हम सब मिलकर मासूम बच्चों के भविष्य और उनके बचपन के बारे में जरा रुक कर विचार करें? तो किसी बच्चे का भविष्य अंधकार में जाने से बचा सकते हैं।
निबंध 3 (600 Words)
कहा जाता है बच्चों का जीवन ऐसी गीली मिट्टी के समान होता है जिन्हें आप जिस आकार में ढ़ाले वे उसी आकार में ढल जाते हैं। इसलिए 5 से लेकर 14 वर्ष की आयु बच्चों की शिक्षा, अच्छे संस्कार देने एवं उनके शारीरिक, मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
लेकिन जब कुछ बच्चे ना चाहते हुए भी इस उम्र अवस्था में कहीं नौकरी करते हैं और उन्हें अपने माता पिता की परवरिश, संस्कार और खुशनुमा जीवन नहीं मिल पाता है। जिसके लिए वह बच्चा हकदार है तो इस स्थिति को बाल मजदूरी कहा जाता है। बाल मजदूरी किसी भी देश के लिए अत्यंत चिंतनीय मुद्दा है। विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत भी आज इसी गंभीर सामाजिक मुद्दे का हल ढूंढ रहा है।
प्रायः जब बात होती है बाल मजदूरी को खत्म करने की तो यह जिम्मेदारी सरकार को थोप दी जाती है। लेकिन एक देश के निवासी होने के नाते बाल मजदूरी को रोकने हेतु देश के नागरिकों ,मालिक, सामाजिक संगठनों एवं अभिभावकों की भी यह जिम्मेदारी बनती है।
माता-पिता, अभिभावक के तौर पर जहां बच्चों को कम उम्र से ही शिक्षा का महत्व एवं इसकी उपयोगिता को समझा कर बाल मजदूरी के दुष्प्रभावों से परिचित करवाकर उन्हें इस दलदल में जाने से रोका जा सकता है। वही मालिक अपने स्वार्थ को न देखते हुए बल्कि बच्चों के बेहतर भविष्य हेतु उन्हें बाल अवस्था काम करने की मंजूरी नहीं देनी चाहिए।
वही सामाजिक संगठनों और आम नागरिकों की वह यह कर्तव्य है कि कहीं पर अगर कोई बाल मजदूरी करते पाया जाता है तो हम बाल मजदूरी करते इन बच्चों के भविष्य को कैसे बेहतर बना सकते है? इस कथन पर विचार करना चाहिए। विकासशील देशों में बाल मजदूरी के बढ़ने के कई कारण हैं जिनमें अच्छी शिक्षा में कमी, आय एवं रोजगार में कमी एवं घर की गरीबी जैसे कुछ प्रमुख कारण हैं जिनकी वजह से बचपन से ही बच्चेबाल मजदूरी के लिए बच्चे अग्रसर रहते हैं।
और इसी मजबूरी के चलते एक सामान्य बच्चे की तरह ना ही उनकी परवरिश हो पाती है ना उन्हें अपना जीवन हंसी खुशी के साथ बिताने का मौका मिलता है। बल्कि बचपन से ही परिवार की जिम्मेदारियों का बोझ अपने कंधे पर उठाते यह बच्चे निकल पड़ते हैं ऐसे रास्ते की ओर जिसमें भविष्य उज्जवल हो ही नहीं सकता।
परिणाम स्वरूप उम्र बढ़ने के बाद सबसे बड़ा नुकसान होता है शिक्षा का, अशिक्षित होने की वजह से उन्हें देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का एहसास नहीं हो पाता। अतः यह चोरी करने, जुआ खेलने, ड्रग्स लेने जैसे अपराधों में शामिल हो जाते है। असल में इनकी शुरुआत होती है शिक्षा में कमी से और सही परवरिश ना होने की वजह से, बाल मजदूरी को अगर समय रहते न रोका जाए तो एक बच्चे के सुनहरे भविष्य के साथ खिलवाड़ होना तय होता है।
तो दोस्तों उम्मीद है की अब आपको short and long essay on bal shram in hindi, बाल मजदूरी पर निबंध – Essay On Child Labour In Hindi से जुड़ी पूरी जानकारी मिल चुकी होगी।
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उम्मीद है की आपको बाल मजदूरी पर निबंध – Essay On Child Labour In Hindi! का यह पोस्ट पसंद आया होगा, और हेल्पफ़ुल लगा होगा।
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