Freedom Fighters Slogans In Hindi [65+ स्वतंत्रता सेनानियों पर नारे] भारत में क्रांतिकारी आंदोलनों का समय मुख्य तौर पर 1957 से लेकर 1942 के बीच माना गया परंतु कुछ लोगों के अनुसार भारत में क्रांति 1757 से प्रारंभ हुई और 1961 ईस्वी में जब गोवा ने मुक्ति पाई यह तब समाप्त हुई। अर्थात 1961 में भारत पूर्ण रूप से स्वाधीन माना गया।
“हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई अगर हो जाये एक साथ, तो भारत पर बुरी नज़र डाले ऐसी दुश्मन की कहाँ औकात”
“आजादी के परवाने थे वो नहीं था उनमें कोई लोभ, हसते-हसते झूले फंदो पर नहीं था उनको कोई शोक”
“हसरत यही है दिल में की काश ऐसा एक दिन आए, जब मेरे लहु का एक कतरा भी मेरे देश के काम आए”
जिस प्रकार एक नदी कहीं से शुरू होती है और उस मार्ग में बहुत सारी छोटी-बड़ी नदियां मिलती रहती है और वह बिना रुके सागर तक अपना सफर तय करती है उसी प्रकार भारत में भी कुछ आंदोलन की शुरुआत हुई और नदी के समान ही वे आंदोलन बिना किसी कठिनकठिन बाँधा के आगे बढ़े जिससे 1 दिन अंत में 1961 में भारत पूर्ण रूप से स्वाधीन हो गया।
भले ही आजादी का यह सफर कुछ लंबा साबित हुआ परंतु कड़े प्रयासों से भारत ने अंततः स्वतंत्र प्राप्त कर ली। भारत की स्वतंत्रता के लिए हजारों लोगों ने अपनी सारी उम्र लगा दी फिर भी उन्हें कभी इस बात का गम नहीं हुआ कि उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन न्योछावर किया है। इसी सोच और गुण के कारण भारत में सभी लोग देश की आजादी के आंदोलन में शामिल होने लगे।
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Freedom Fighters Slogans In Hindi – स्वतंत्रता सेनानियों पर नारे
भारत की स्वतंत्रता के पश्चात नेताओं ने भारत के क्रांतिकारी आंदोलनों को दबाते हुए उसे इतिहास के पन्नों में महत्व नहीं दिया, ऐसे कई स्थानों पर कुछ आंदोलनों को आधुनिक नेताओं द्वारा इतिहास के पन्नों में छपने से रोका गया। जब भारत गुलामी से मुक्त हुआ तो कांग्रेसी नेताओं द्वारा जनता के साथ यह भ्रम फैलाया गया कि देश को आजाद करने में कांग्रेस के अहिंसात्मक आंदोलनों का योगदान रहा।
बहुत सारे ऐसे क्रान्तिकारियो को इतिहास के पन्नों में जगह नहीं दी गई, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपनी जान तक दे दी। उन्हें स्वतंत्रता के बाद सम्मान नहीं दिया गया और इस प्रकार बहुत सारे क्रांतिकारियों के नाम हमारे लिए गुमनाम हो गए। Freedom Fighters Slogans In Hindi पर हमने जो स्लोगन लिखा है, वह स्लोगन है –
देश के लिए कफन भी उन्होंने शान से ओढ़ा है, आजादी में क्रांतिकारीयों का बलिदान सबसे बड़ा है।
देश की आजादी को यूं ही बनाये रखना,स्वतंत्रता सेनानियों की धरोहर को यूं ही सजाये रखना।
देश की आजादी को यूं ही बनाये रखना, स्वतंत्रता सेनानियों की धरोहर को यूं ही सजाये रखना।
ठाना था उन्होंने, मरकर या देश को आजाद कराकर आउंगा, कुछ भी हो जाये गुलामी की यह जंजीर काटकर जाउंगा।
ठाना था उन्होंने, मरकर या देश को आजाद कराकर आउंगा, कुछ भी हो जाये गुलामी की यह जंजीर काटकर जाउंगा।
“हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई अगर हो जाये एक साथ, तो भारत पर बुरी नज़र डाले ऐसी दुश्मन की कहाँ औकात”
“आजादी के परवाने थे वो नहीं था उनमें कोई लोभ, हसते-हसते झूले फंदो पर नहीं था उनको कोई शोक”
“हसरत यही है दिल में की काश ऐसा एक दिन आए, जब मेरे लहु का एक कतरा भी मेरे देश के काम आए”
“दोस्तों स्वतंत्रता की यह यात्रा कभी ना रुकने पाए, कुछ भी हो जाये पर तिरंगा कभी ना झुकने पाए”
इस दिन कोई बच्चा आजाद तो कोई भगत सिंह बनकर निकलता है, स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हरेक ह्रदय में सिर्फ आजादी का स्वाभिमान देखने को मिलता है”
“ना भूलो तुम जलियांवाला बाग ना भूलो तुम चौरी-चौरा, इस स्वतंत्रता दिवस पर याद करो उनको जिन्होंने देश के लिए न्योछावर कर दिया अपना जीवन पूरा”
“सारी दुनिया सो रही थी तब भारत में हुआ था नया सवेरा, 15 अगस्त का दिन था, वह जब आजाद हुआ था भारत मेरा”
“तुम ना भूलो उनको जिन्होंने देश के लिए है लहु बहाया, क्योंकि उनकी ही बदौलत आजादी/स्वतंत्रता दिवस का यह दिन है आया”
“आओ याद करें उनकी शहादत जिन्होंने वतन के नाम पे दी है, कभी लक्ष्मी बाई तो गाँधी बनकर अंग्रेजी हुकूमत से ये आजादी छिनी है”
“देश की रक्षा के लिए हर एक को आजाद बनना होगा, ज्यादा नहीं तो देश के स्वाभिमान के लिए कुछ ना कुछ तो करना होगा”
“हमारा भारत विविद है, पर सबके दिलो में निहित है”
“गुणागान करो उनका सम्मान करो उनका, आजादी की लड़ाई में जो लौट के ना आये 15 अगस्त का यह दिन है उनका”
“जब मुश्किल में हो वतन तो तुम फरियाद ना करना, ऐसे मौको पर कभी बिस्मिल तो कभी आजाद बनकर लड़ना”
“ना भूलो तुम उनको जिन्होंने देश के लिये शहादत दी, ना थी कोई दूसरी हसरत बस इस देश की खुदा की तरह इबादत की”
“जब-जब पुकारती है माँ भारती, तब-तब स्वत्रंता के बलि वेदी पर वीरो ने दी है आहुति”
अपनी इस आजादी को तुम भूल ना जाना, अब भी ना समझे तुम इसको तो तुमने इसका मूल्य ना जाना
“आजादी को अपने दिलो में यू ही बसाए रखना, कितनी भी हो मुश्किले स्वतंत्रता की ये अलख अपने दिलो में यू ही जलाए रखना”
आजाद थे, आजाद ही रहे नाम था चंद्रशेखर आजाद, आजादी के लिए आखिरी सांस तक लड़े”
“गाँधी नाम था, जिन्होंने अंहिसा की अलख जगाई, 15 अगस्त 1947 का दिन था जब मेरे भारत ने आजादी पाई”
“आजादी के मतवाले थे अपने हाल पे वो कभी ना रोये, ना जाने कितने रातों तक इस आजादी के लिये ना वो सोये”
“वो दिवाने वो मस्ताने आजादी के वो मतवाले, अगर एक शब्द में बोलू तो वो थे सच में हिम्मतवाले”
भारत स्वतंत्रता की शुरुआत 1757 में प्लासी युद्ध से होती है प्लासी का युद्ध अंग्रेजों और बंगाल के शासक सिराजुद्दौला के बीच लड़ा गया। यह केवल 8 घंटे तक लड़ा गया जिसमें 23 लोग मारे गए युद्ध में अंग्रेजों की विजय के बाद भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के माध्यम से अंग्रेजों की हुकूमत मजबूत हो गई।
बंगाल का प्रथम सैनिक विद्रोह
1764 ईस्वी में अंग्रेजों द्वारा फौज के नए नियम लाए जाने के कारण थल सेना ने उसका विरोध कर दिया, थल सेना के मेजर द्वारा इस युद्ध को दबा दिया गया और जो विद्रोही जीवित उनकी पकड़ में आए उन्हें तोपों के आगे बाध कर उड़ा दिया।
चुआड़ विद्रोह
झारखंड में रहने वाले आदिवासियों ने अपने जंगलों को बचाने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ विरोध किया इसका विरोध करते हुए उन्होंने 1769 ईस्वी में एक आंदोलन की शुरुआत की यह आंदोलन अंग्रेजो के खिलाफ 1805 तक विद्रोह करता रहा।
बंगाल का द्वितीय सैनिक विद्रोह
अंग्रेजों द्वारा 1795 ईस्वी में भारत के सैनिकों को ड्चों के खिलाफ युद्ध करने के लिए यूरोप ले जाने की तैयारी की गई, सैनिकों की बटालियन को सबसे पहले समुद्र तट पर ले जाकर उन्हें वहां से जहाज में जाने का आदेश दिया, परंतु सैनिकों ने जहाज में चढ़ने से इनकार कर दिया फिर अंग्रेजों द्वारा कुछ सैनिकों की वहीं पर गोली मारकर हत्या कर दी गई और कुछ सैनिकों को तोपों के आगे बॉध कर उड़ा दिया गया
वेल्लौर का सैनिक विद्रोह
1803 ईस्वी में वेल्लोर में मद्रासी सेना ने अंग्रेजों का जमकर विरोध किया। जो विद्रोह नंदी दुर्ग जैसी कई प्रसिद्ध स्थानों पर किया गया इसी विद्रोह के दौरान लॉर्ड विलियम वेटिंग को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी।
भील विद्रोह
1817 में गुजरात में रहने वाली भील जनजाति ने भी अंग्रेजो के खिलाफ खूब विद्रोह किया, फिर 1825 में भीलों द्वारा दूसरा विद्रोह किया गया। इसी के दौरान संपूर्ण देश में आजादी के लिए अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग आंदोलनों का प्रारंभ हुआ। 1857 ईसवी में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम प्रारंभ हुआ इस संग्राम को भारतीय विद्रोह तथा सिपाही विद्रोह के नाम से भी लोगों द्वारा जाना गया।
प्रथम स्वतंत्र संग्राम लगभग 2 वर्षों तक भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में चला। इस विद्रोह का आरंभ भारत में छोटे-छोटे इलाकों से प्रारंभ हुआ था और जनवरी में इसने अत्यंत बड़ा रूप धारण कर लिया इस विद्रोह का अंत अंग्रेजों द्वारा भारत में स्थापित ईस्ट इंडिया कंपनी की समाप्ति के साथ ही हुआ।
स्वदेशी आन्दोलन
1905 में स्वदेशी आंदोलन शुरू हुआ इस आंदोलन में नागरिकों द्वारा विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया जाने लगा और लोगों को यही बताया जाता कि जब हम विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करेंगे तभी हमारा देश स्वतंत्र बनेगा।
इसी दौरान भारत के वायसराय लॉर्ड कर्जन ने बंगाल के विभाजन की घोषणा कर दी यह आदेश सुनते ही बंगाल के सभी नागरिकों के बीच अफरा-तफरी मच गई और जो भी वहां गोपनीय क्रांतिकारियों द्वारा संगठन बनाए, वे सभी सामने आए। और यही कारण है कि यहां से सभी आंदोलनकाफी मिलकर भारत की आजादी के लिए एकत्र हो गए।
भारत छोड़ो आंदोलन
भारत में महात्मा गांधी जी द्वारा 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन शुरुआत की गई इस आंदोलन के चलते देश के कई हिस्से में लोगों द्वारा अंग्रेजों का विरोध किया गया और उन्हें भारत छोड़ने के लिए विभिन्न प्रकार के दबाव डाले, इसी के चलते 9 अगस्त 1942 महात्मा गांधी सहित प्रमुख नेताओं को अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया।
गिरफ्तारी से पहले ही गांधी जी द्वारा जनता को करो या मरो का नारा दे दिया गया और यह नारा समस्त जनता को समझ आया इस कारण उन्होंने अंग्रेजों का खूब विरोध कर दिया। क्रांतिकारियों द्वारा सेना पर जबरदस्त हमले किए गए, रेल की पटरी भी उखाड़ दी ,सूचनाओं के लिए तारों को काट दिया गया अंग्रेजों द्वारा बाद में इस आंदोलन को दबा दिया गया और हजारों लोगों को गोली मार दी।
उम्मीद है की आपको स्वतंत्रता सेनानियों पर नारे | Freedom Fighters Slogans In Hindi से जुड़ी सभी जानकारी मिल चुकी होगी।
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