Gender Equality Slogans In Hindi [40+ जेंडर इक्वलिटी पर स्लोगन्स] वर्तमान के समय में हमारे देश में लड़का और लड़की के बीच ऐसे कम ही लोग बचे हैं जो भेदभाव करते हैं, क्योंकि आज के समय में लड़कियां भी लड़कों से किसी भी मामले में और किसी भी फील्ड में पीछे नहीं हैं। लड़कियां हर फील्ड में लड़कों को कड़ी टक्कर दे रही हैं।
लड़का और लड़की समाज के अभिन्न अंग है दोनों के बिना ही समाज अपंग है
न लड़का उपर है न लड़की कम है दोनों में ही कुछ कर दिखाने का दम है
देश है हमारा पितृ प्रधान खत्म करो इसे और समझो लड़का लड़की को समान
कई फील्ड में तो लड़कियां लड़कों से काफी ज्यादा आगे निकल चुकी हैं, हालांकि कुछ साल पहले तक यह बात नहीं थी। कुछ साल पहले जब लड़की का जन्म होता था तो वहां के लोगों का मिजाज ही कुछ और होता था और जब लड़के का जन्म होता था तो पूरा परिवार मिलकर खुशियां मनाता था, जिसके पीछे सबसे मुख्य वजह थी लोगों की रूढ़िवादी सोच।
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Gender Equality Slogans In Hindi – जेंडर इक्वलिटी पर स्लोगन्स 
यदि Gender Equality के बारे में बताएं तो Gender Equality को हिंदी भाषा में लैंगिक समानता कहा जाता है। Gender Equality का मतलब होता है लड़का और लड़की में किसी भी प्रकार का भेदभाव ना करना।
लड़का लड़की एक समान ही होते हैं परंतु कुछ लोगों की पुरानी और दकियानूसी सोच के कारण कई लड़कियों को गर्भ में ही और कई लड़कियों को पैदा होते ही मौत के घाट उतार दिया जाता है। हमने Gender Equality Slogans In Hindi पर जो स्लोगन लिखा है वह है –
लड़का लड़की है एक समान दोनों को दो पूरा सम्मान
लड़के होते हैं अगर घर की शान तो लड़की भी है बाबुल का मान
लड़का लड़की के भेदभाव को खत्म करो नई शुरूआत के लिए मिलकर कदम रखो
लड़की ने भी लड़को के कदम से कदम मिलाकर चलाया है आज की दुनिया में लड़को से भी ज्यादा नाम कमाया है
लड़का हो या लड़की दुनिया किसी एक से नहीं चलती
लड़का और लड़की समाज के अभिन्न अंग है दोनों के बिना ही समाज अपंग है
न लड़का उपर है न लड़की कम है दोनों में ही कुछ कर दिखाने का दम है
देश है हमारा पितृ प्रधान खत्म करो इसे और समझो लड़का लड़की को समान
लड़की को दो लड़को से हक देखो प्रगति थोड़े से सबर को रख
जिस घर को पुरूष और नारी मिलकर चलाए वह देश खुशहाल बन जाए
लड़का है घर का राजकुमार तो लड़की भी है राजकुमारी
लड़की पढेगी तो वह भी आगे बढ़ेगी
लड़का लड़की एक समान खुशियां सबको दे समान
बुढ़ापे का सहारा है लड़की लड़कों की तरह मजबूत है लड़की
अब लड़की पढ़ेगी लड़कों से भी आगे निकलेगी
ईश्वर ने दी है बराबर क्षमता नारी में है फिर भी ममता
नर नारी सब एक ही हैं प्रकृति का स्वरूप ही है
दोनों मिलकर दुनिया को चलाते फिर भी नारी को कमजोर क्यों है समझते
ना करो नारी का अपमान यह भी है पुरुषों के समान
नारी नहीं है पुरुषों से कमजोर यह है सबसे बढ़कर तेज
मां बाप की सेवा नारी करेगी अब ना वह किसी पर बोझ बनेगी
नर-नारी हैं एक समान दोनों ही हैं सबसे महान
लैंगिक असमानता से पीड़ित समाज है,
भारत को बदलाव की जरूरत आज है.
नारी में धैर्य और सहनशीलता की शक्ति है इतनी, आने वाले दौर में कामयाबी भी कदम चूमेगी उनकी.
अपने सोच के पिजड़े को तोड़ दो, किसी इंसान को हिजड़ा कहना छोड़ दो.
ईश्वर ने भी असमानता कम और समानता ज्यादा दिया है, फिर इंसान ने क्यों इतनी असमानता फैला दिया है?
बेटियों को अच्छी शिक्षा की चाह है, धन दौलत पर नही उनकी निगाह है.
हर माँ को अपने और अपने बेटी के अधिकार के लिए लड़ना होगा, समाज के खोखले दिखावेपन को अपने हुनर से बदलना होगा.
अपने ही अपनों के संग करते भेदभाव, हैरान हूँ देखकर इंसान का स्वभाव.
लड़को को अगर घूमने की आजादी है, तो फिर लड़कियों के लिए क्यों चारदीवारी है.
जब लड़के-लड़की की होती है सगाई, तो क्यों लड़की की ही होती है विदाई.
पति की लम्बी उम्र के लिए केवल उपवास करे नारी, पत्नियों के लम्बी उम्र के लिए, कब आएगी पति की बारी.
घर में हर दिन खाना औरत बनाती है, खाना कम पड़ जायें तो कम खाती है.
मैं भी छू सकती हूं आकाश, मौके की है मुझे तलाश.
अबला नहीं है बिलकुल नारी, संघर्ष रहेगें हमारा जरी.
जिमेदारी संग नारी भर रही है उड़ान, ना कोई शिकायत ना कोई थकान.
महिलाओं को दो इतना मान, की बड़े हमारे देश की शान.
नारी का करो सन्मान तभी बनेगा देश महान.
भेदभाव जुल्म मिटायेंगे, दुनिया नई बसायेंगे, नई है डगर, नई हैं सफ़र।
जब हैं नारी में शक्ति सारी, तो फिर क्यों नारी को कहे बेचारी.
जिसके पीछे ऐसा करने वाले लोगों का यह मानना होता है कि लड़कियां खानदान की नाक कटाती है और इसीलिए वह ऐसा करते हैं। यह बात पूरी तरह से गलत और तथ्यहीन है। व्यक्ति जैसा परवरिश अपनी संतान को देता है वैसा ही वह बनती है।
आप जिस प्रकार अपने लड़के को अच्छी शिक्षा देते हैं अगर उसी प्रकार अपनी लड़की को भी अच्छी शिक्षा देंगे तो निश्चित ही वह भी लड़के की तरह आपके खानदान और आपका नाम रोशन करेगी।
जेंडर इक्वलिटी के कारण क्या है
लैंगिक समानता को हासिल करने के रास्ते में हमारे देश में विभिन्न प्रकार की प्रॉब्लम है। हमारे देश में लोगों की रूढ़ीवादी सोच के कारण इंडिया के परिवार में लड़कों को घर का चिराग माना जाता है वहीं लड़कियों को सिर्फ एक बोझ के तौर पर देखा जाता है क्योंकि उन्हें लगता है कि लड़कियां कुछ नहीं कर सकती है,ऊपर से लड़कियों की शादी में दहेज देने की प्रथा भी लड़कियों को लड़कों से कमतर आकती है।
इसीलिए कई सारे लोग लड़कियों को पढ़ाते नहीं है और जिंदगी भर शादी में दहेज देने के लिए पैसे इकट्ठा करते हैं, वह लोग सोचते हैं कि लड़कियों को पढ़ा कर क्या फायदा,जब उन्हे शादी करके दूसरे व्यक्ति के घर ही जाना है। हमारे भारत देश में गरीबी भी लैंगिक समानता का एक और बड़ा नुकसान है।
जिस घर का परिस्थिति गरीबी होती है, अगर उस घर में कोई लड़की पैदा हो जाती है तो लोग उसे तो पैदा होते ही मार देते हैं या फिर बड़ी होने पर उसे वेश्यावृत्ति, बाल विवाह या फिर तस्करी जैसे कामों में ढकेल देते हैं जो की इस समाज में काफी ज्यादा बुरा प्रभाव फैलता है।
जेंडर इक्वलिटी को कैसे सुधारें
जेंडर इक्वलिटी सुधारने के लिए सरकार को काफी बड़े स्तर पर प्रयास करना चाहिए और लोगों के मन में यह बात बैठानी चाहिए कि लड़का लड़की किसी भी प्रकार से अलग नहीं है। दोनों को एक समान आगे बढ़ने का मौका दें और दोनों को एक समान अपनी मंजिल और अपना कैरियर चुनने की आजादी दें।
जेंडर इक्वलिटी आवश्यक क्यों है
जैसा कि आप जानते हैं कि हमार देश में लड़कियों के मुकाबले लड़कों की संख्या ज्यादा है। इसीलिए जेंडर इक्वलिटी इसलिए आवश्यक है क्योंकि जब लड़कियों की संख्या कम होगी तो लड़कों की शादी कैसे होगी। एक अनुमान के मुताबिक हमारे भारत देश में 1000 लड़कों पर तकरीबन 970 लड़कियां हैं।ऐसे में यह अनुमान लगाया जा सकता है कि तकरीबन 30 लड़के बिना शादी के ही रह जाएंगे।
हरियाणा जैसे राज्य में तो जेंडर इक्वलिटी में पिछले कुछ सालों में काफी सुधार आया है,बाकी कुछ साल पहले तक वहां पर लड़कियों को पैदा होते ही मार दिया जाता था और वहां के लड़कों को शादी करने के लिए बिहार और बंगाल जैसे राज्यों से दूसरी कास्ट की लड़कियों को लाना पड़ता था और उनसे शादी करनी पड़ती थी, परंतु हरियाणा गवर्नमेंट के प्रयासों के स्वरूप आज हरियाणा में लड़कियों की जन्म दर में काफी सुधार हुआ है और वहां पर जेंडर इक्वलिटी में भी इंप्रूवमेंट हुई है।
लड़कियां किसी मामले में लड़कों से कम नहीं है, इसलिए जैसे जैसे लोगों की सोच लड़कियों के प्रति बदल रही है, वैसे-वैसे ही जेंडर इक्वलिटी में काफी सुधार आ रहा है और हमें उम्मीद है कि जिस तरह भारत ने पोलियो को खत्म किया उसी प्रकार भारत जल्दी ही जेंडर इक्वलिटी में भी काफी अच्छा मुकाम हासिल करेगा।
जेंडर इक्वलिटी के नुकसान
जेंडर इक्वलिटी का मतलब होता है लड़का लड़की एक समान परंतु रूढ़िवादी सोच के कारण कुछ लोग लड़कियों को लड़कों से कम आंकते हैं, हालांकि उन्हें यह नहीं पता होता है कि जेंडर इक्वलिटी असमान होने से क्या नुकसान हो सकते हैं। अगर जेंडर इक्वलिटी समान नहीं होगी तो लड़कों को शादी करने के लिए लड़कियां नहीं मिलेंगी।
जिसके कारण उनका वंश आगे नहीं बढ़ेगा ना ही वह संतान उत्पन्न कर सकेंगे। इसीलिए जेंडर इक्वलिटी होना जरूरी है और सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए। किसी भी देश की तरक्की में लड़कों के साथ साथ अब लड़कियां भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।
इसीलिए भारत सरकार को भारत में जेंडर इक्वलिटी को सामान लाने के लिए पुरजोर कोशिश करनी चाहिए। हालांकि सरकार इस दिशा में काफी प्रयत्न कर रही है, परंतु उन्हें अपनी पूरी शक्ति लगाकर जेंडर इक्वलिटी लाने की कोशिश करनी चाहिए और अगर कोई लड़कियों की हत्या करता है,तो उसके खिलाफ कठोर कानून बनाकर उसे सजा देनी चाहिए।
उम्मीद है की आपको जेंडर इक्वलिटी पर स्लोगन्स | Gender Equality Slogans In Hindi से जुड़ी सभी जानकारी मिल चुकी होगी।
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