ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (Global Warming Essay In Hindi)


अक्सर टेलीविजन, समाचार पत्रों तथा किताबों के माध्यम से हम ग्लोबल वॉर्मिंग के विषय पर पढ़ते हैं। ग्लोबल वार्मिंग की यह समस्या आज भारत समेत दुनिया के अनेक देशों के समक्ष खड़ी हो चुकी है और इस समस्या का निदान अत्यंत आवश्यक है। आज हम इस लेख में ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (Global Warming Essay In Hindi) लेकर आए हैं। लगातार बढ़ता पृथ्वी का तापमान वैश्विक तापमान (ग्लोबल वार्मिंग) खतरे के संकेत देता है।

जिससे वातावरण में ऑक्सीजन में कमी तथा कार्बन dioxide (CO²) में वृद्धि हुई है। जिससे आज नकारात्मक प्रभाव देखने को मिले हैं, बाढ़ आना, सूखा पड़ना तथा अप्रत्याशित घटनाओं का जन्म हुआ है।

लेकिन दुर्भाग्य है कि आज भी काफी लोग इस समस्या से परिचित नहीं है, क्योंकि उन्हें ग्लोबल वार्मिंग शब्द टेक्निकल लगता है, और उन्हीं को जागरूक करने के लिए यह लेख तैयार किया गया है।

अतः Global Warming को सहज भाषा में समझने और इससे पढ़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को जानने, इस समस्या के समाधान के निदानों की चर्चा के लिए हम छोटे एवं बड़े ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (Global Warming Essay In Hindi) लेकर आए हैं। इस निबंध का उपयोग आप अपनी परीक्षाओं में या फिर किसी सार्वजनिक मंच से किसी विजय पर भाषण देने के लिए भी कर सकते हैं।

ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (Global Warming Essay In Hindi)

ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (Global Warming Essay In Hindi)ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध 200 शब्दों में

प्रस्तावना

जैसा कि हम जानते हैं प्राणियों के लिए इस पृथ्वी में जीवन जीने के लिए वातावरण का संतुलित होना बेहद आवश्यक है। लेकिन जब वातावरण के औसत तापमान में लगातार वृद्धि होती है, तो इससे होने वाले मौसम परिवर्तन की समस्या को ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है। जो कि इस पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्राणियों के लिए कष्टदाई  है।

अकस्मात बारिश होना, सूखा पड़ जाना, गलेशियरों के पिघलने की खबरें आना तथा समुद्र के जलस्तर में लगातार वृद्धि होना यह सभी ग्लोबल वार्मिंग के ही संकेत हैं।

खतरे के संकेत

पिछले कुछ दशकों से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या बढ़ने की वजह से इसने न सिर्फ हमारे वातावरण में जलवायु को प्रभावित किया है। बल्कि ग्लोबल वार्मिग से प्रकृति का संतुलन भी बिगड़ा है, साथ ही इसने जैव विविधता को भी प्रभावित किया है।

हालांकि भागदौड़ भरी जिंदगी में आज भी कई लोग ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से बेफिक्र हैं। वे नहीं जानते कि भविष्य में यह समस्या मानव समेत अन्य प्राणियों के लिए कितनी कष्ट दाई हो सकती है।

वैज्ञानिकों की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021 में ग्लोबल वार्मिंग का खतरा पृथ्वी में रहने वाले प्राणियों के लिए किसी विश्वयुद्ध या फिर छुद्र ग्रह के पृथ्वी से टकराने से भी बड़ा होगा।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण

जलवायु में परिवर्तन ग्लोबल वार्मिंग का प्रमुख कारण है ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाने में मुख्य जिम्मेदार ग्रीन हाउस गैस हैं। कार्बन डाइऑक्साइड, ओजोन, मीथेन इत्यादि खतरनाक गैसें ग्रीन हाउस का ही एक प्रकार हैं।

और अपने हितों के लिए की गई मानवीय गतिविधियों से लगातार इस पृथ्वी पर बढ़ती ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हुई है। हालांकि पृथ्वी पर ऑक्सीजन, नाइट्रोजन गैसों की मात्रा भी पृथ्वी पर काफी अधिक है लेकिन चूंकि यह ग्रीन हाउस गैसें नहीं है इसलिए हानिकारक गैसों में इनका नाम शामिल नहीं होता।

ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के कई सारे कारण हैं जिनमें से कुछ प्रमुख कारण उद्योगों, वाहनों से निकलने वाला धुंआ, जीवाश्म ईंधन का दहन, घरों में उपयोग होने वाले विद्युत विवरण जैसे फ्रीज, एसी तथा अन्य मशीनों का इस्तेमाल करने से वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि होती हैं।

ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम

यह समस्या अत्यंत कष्टकारी है जिससे अनेक भयंकर परिणाम निकल कर आते हैं जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित है।

ग्लेशियरों का पिघलना:- प्रथ्वी के बढ़ते तापमान के कारण ग्लेशियर पिघलने लगते हैं ग्लेशियरों के पिघलने से हिमखंड सागर में मिलते हैं। जिससे समुद्रों के जलस्तर में वृद्धि होती है इस तरह गलेशियरों के पिघलने से गलेशियरों की संख्या में लगातार कमी आ रही है।

ग्लेशियर कई सारी नदियों के केंद्र भी होते हैं जिनसे कई सारी नदियां निकलती हैं। लेकिन जब ग्लेशियर पिघलते हैं तो उनसे प्राप्त हुए जल से नदियों में जलस्तर की वृद्धि होती है और परिणाम स्वरूप बाढ़ आती है।

वर्षा-समय में परिवर्तन

वर्तमान में किसानों के लिए यह सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरी है वर्षा होने या फिर बादल बनने का सीधा संबंध तापमान से होता है। लेकिन जब तापमान में निरन्तर अचानक वृद्धि होती है तो वर्षा का समय पैटर्न बदल जाता है। यही कारण है कि वर्तमान में हमें बिना मौसम बारिश या फिर किसी मौसम बहुत ज्यादा बारिश या बहुत कम देखने को मिलती है।

प्रवास:- चूंकि तापमान में वृद्धि के कारण गलेशियर पिघलते हैं, जिससे सागर का जलस्तर हमेशा उच्च रहता है  ऐसे में जो लोग तटीय क्षेत्रों में निवास करते हैं वे मैदानी भागों की तरफ रुख करेंगे और इससे प्रवसन बढ़ता है।

तो यह कुछ मुख्य परिणाम वैश्विक तापमान के सामने निकल कर आते हैं। अगर समय रहते ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए कोई कार्य न किया जाए तो इसके और भी भयंकर परिणाम सामने दिखाई दे सकते हैं आइए जानते हैं

ग्लोबल वार्मिंग रोकने के उपाय

क्योंकि यह समस्या आज किसी विशेष देश की नहीं बल्कि पूरी पृथ्वी के सामने खड़ी हो चुकी है ऐसे में सिर्फ सरकार को या किसी एनजीओ को ग्लोबल वार्मिंग रोकने का ठेका नहीं दिया जा सकता।

बल्कि अगर पृथ्वी के सभी नागरिक ग्लोबल वार्मिंग को रोकने में अपना योगदान दें तो इस समस्य की पूरी तरह खत्म तो नहीं पर इस खतरे की घंटी को जरूर टाला जा सकता है। बतौर नागरिक आप इन छोटे-छोटे लेकिन महत्वपूर्ण कार्यों को करके ग्लोबल वार्मिंग में कमी लाने में अपना योगदान दे सकते हैं

वैज्ञानिकों के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग में कमी लाने के लिए हमें CFC गैसों के उत्सर्जन में कमी करनी होगी। घर में उपयोग होने वाले कई आइटम्स जैसे रेफ्रिजरेटर, AC तथा बिजली से चलने वाले अन्य कूलिंग मशीनों का कम से कम इस्तेमाल करके सीएफसी गैस के उत्सर्जन में कमी लाई जा सकती है।।

इसके अलावा उद्योगों से निकलने वाला धुआं वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड में वृद्धि करता है जो कि ग्लोबल वॉर्मिंग के उत्सर्जन का एक बड़ा कारण बनता है। तो सरकार को तथा व्यापारियों को औद्योगिक इकाइयों में बढ़ते प्रदूषण को कम करने के उपाय ढूंढने होंगे।

वनों के संरक्षण पर बल देकर अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना होगा ताकि वातावरण में बढ़ते वायु प्रदूषण के स्तर में कमी लाई जाए। जिसमें वाहनों के धुएं में कमी लाने पर सरकार द्वारा बनाए गए वातावरण मानकों का पालन करना होगा।

इसके साथ ही कोयले से बनाई जाने वाली बिजली के स्थान पर सौर ऊर्जा, पनबिजली जैसी वातावरण हितैषी तरीकों से बिजली बनाकर वातावरण में गर्मी पैदा करने वाली गैस में कमी लाई जा सकती है। तो इन उपायों को करके ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध 500 शब्दों में (Global Warming Essay In Hindi)

वातावरण के तापमान में लगातार होने वाली वृद्धि से जलवायु में होने वाले परिवर्तन को ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है जिसे हम हिंदी में वैश्विक तापमान भी कहते हैं।

ग्रीन हाउस गैसें जैसे कार्बन डाइऑक्साइड की  वैश्विक तापमान को बढ़ाने के लिए उत्तरदाई हैं। वातावरण में लगातार इन गैसों के उत्सर्जन की मात्रा में होने वाली वृद्धि से आज मनुष्य को कई भयंकर परिणाम देखने को मिल रहे हैं। वैश्विक तापमान की यह समस्या किसी एक देश के लिए नहीं बल्कि एक वैश्विक समस्या बनकर उभरी है। ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने की वजह से तेजी से ग्लेशियर पिघल रहे हैं जलवायु में परिवर्तन हो रहा है जिससे बाढ़ आना, वर्षा ना होना,

बे मौसम बारिश होना जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही है। पृथ्वी के लगातार बढ़ते ताप के कारण मनुष्य के लिए जीवन जीने में भी कठिनाई उत्पन्न हो रही है। हालांकि ग्रीन हाउस गैसें पूरी तरह नुकसानदाई नहीं है, क्योंकि यह गैसं सूर्य से निकलने वाली किरणों को सीधे पृथ्वी से टकराने रोकती है।

यह आकाश में एक तरह का प्राकृतिक कंबल बनाता है, जो सूर्य की किरणों को सोखता है, और सोखे गए इस भाग को ग्रीन हाउस अंतरिक्ष में भेज देता है। जिस वजह से गर्मी सीधे वातावरण तक नहीं पहुंच पाती है इस प्रक्रिया को ही ग्रीन हाउस प्रभाव कहा जाता है।

अतः संक्षेप में कहा जाए तो ग्रीन हाउस इफेक्ट पूरी तरह नुकसान दाई नहीं होती, क्योंकि अगर ग्रीन हाउस गैसें नहीं होती तो सीधे सूर्य का ताप पृथ्वी पर पहुंचता और मनुष्य के लिए जीवन जीना पृथ्वी पर बेहद मुश्किल हो जाता।

लेकिन ग्रीन हाउस प्रभाव की संरचना में परिवर्तन आने के कारण इसकी प्रक्रिया में भी अंतर दिखाई देता है। इससे पृथ्वी का तापमान बढ़ता है। परिणाम स्वरूप बड़े-बड़े गलेशियर पिघलने लगते हैं और नदियों के जलस्तर में अचानक वृद्धि होती है और बाढ़ जैसी समस्याएं उत्पन्न होती है।

प्रश्न उठता है कि आखिर किन कारणों से ग्लोबल वार्मिंग हो रही है? इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं!

जीवाश्म ईंधन

जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला, तेल इत्यादि के बढ़ते प्रयोग की वजह से पृथ्वी के ताप में वृद्धि हुई है। जीवाश्म ईंधन के प्रयोग के दौरान जब उसे जलाया जाता है तो इससे कार्बन डाइऑक्साइड निकलती है।

जिससे ग्रीन हाउस में एक मोटी परत बन जाती है जो ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनती है। अतः जीवाश्म ईंधन का कम से कम प्रयोग वैश्विक तापमान को कम कर सकता है।

पेड़ों की कटाई

लगातार वनों की संख्या में होने वाली कमी के कारण पृथ्वी के ताप में बेहद वृद्धि हुई है। क्योंकि पेड़ हमें ठंडी छाया देते हैं लेकिन इनके हो रहे कटाव से कई तरह की समस्याएं जैसे भारी वर्षा होना, समय पर बारिश न होना जैसी समस्याएं उत्पन्न हुई है जिनसे ग्लोबल वार्मिंग बड़ी है।

विद्युत उपकरणों का प्रयोग

एसी, फ्रिज जैसे उपकरणों का प्रयोग आज घर-घर में होने लगा है लेकिन यह उपकरण वातावरण में ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि करते हैं। इन उपकरणों से निकलने वाले ईंधन का धुंआ वातावरण को प्रदूषित करता है अतः ऐसे उपकरणों का कम से कम उपयोग करके ग्लोबल वार्मिंग में कमी लाई जा सकती है।

वाहन प्रदूषण

शहरों में बढ़ते ताप की कई वजह है, ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाने वाली सभी गतिविधियों में से एक है वाहनों से निकलने वाला प्रदूषण।

जनसंख्या में वृद्धि के परिणाम स्वरुप वाहनों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। क्योंकि वाहनों में इस्तेमाल होने वाला ईंधन पेट्रोल और डीजल कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न करते हैं जिससे ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न होती है।

रासायनिक उर्वरक

फसल में वृद्धि करने हेतु रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल खेती में अधिक किया जा रहा है। लेकिन उर्वरकों के उपयोग के परिणाम स्वरुप ग्रीन हाउस गैस, नाइट्रोजन की मात्रा में वृद्धि हुई है ।

माना जाता है ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाने में इस गैस का योगदान कार्बन डाइऑक्साइड से भी अधिक होता है।

उद्योगों की स्थापना

अपने विकास हेतु विभिन्न देशों ने औद्योगीकरण की नीति को अपनाया और परिणाम यह है कि आज ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से बेहद चिंतित हैं।

क्योंकि उद्योगों से निकलने वाला धुआं न सिर्फ वातावरण के लिए नुकसान दाई है, बल्कि विनाशकारी है जिसमें सांस लेने वाला इंसान कई तरह की बीमारियों से जूझता है।

ग्लोबल वार्मिंग के मुख्य कारणों को समझने के पश्चात अगर किसी भी देश के नागरिक ग्लोबल वार्मिंग में कमी लाना चाहते हैं तो ग्लोबल वार्मिंग के उपरोक्त कारणों को समझ कर उपरोक्त क्रियाओं में कमी करके ग्लोबल warming में कमी ला सकते हैं।

Global Warming से पड़ने वाले प्रभाव

  • विश्व के अनेक देश आज ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से निम्नलिखित नुकसान झेल रहे हैं।
  • अचानक जलवायु में परिवर्तन होना
  • गलेशियरों के पिघलने से समुद्र के जलस्तर में वृद्धि होना जिससे अचानक बाढ़ आना।
  • बेमौसम बारिश होना जिससे फसलों को नुकसान होना, या फिर बारिश कम या बहुत अधिक होना।
  • भूकंप, ज्वालामुखी जैसी प्राकृतिक आपदाओं का बार बार होना।

यह कुछ प्रमुख परिणाम सामने दिखाई देते हैं, ग्लोबल वॉर्मिंग के, आज दुनिया के अनेक देश इन परिणामों से चिंतित होकर ग्लोबल वार्मिंग में कमी लाने के लिए जागरूक हो रहे हैं।

Conclusion

इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपने ग्लोबल वार्मिंग की समस्या पर विस्तार से जानकारी हासिल की होगी। हमें आशा है ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (Global Warming Essay In Hindi) आपको पसंद आए होंगे। अगर इस लेख से जुड़ा यदि आपका कोई सवाल है तो नीचे कमेंट सेक्शन में पूछें! साथ ही जानकारी को अधिक से अधिक शेयर करना ना भूलें।

उम्मीद है की आपको ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (Global Warming Essay In Hindi) का यह पोस्ट पसंद आया होगा, और हेल्पफ़ुल लगा होगा।

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