5+ God Stories In Hindi – (भगवान की कहानियां)


5+ God Stories In Hindi – (भगवान की कहानियां) – नमस्कार दोस्तों, Hindi1 वेबसाइट के एक और नए स्टोरीज के ब्लॉग पोस्ट पर आप सभी लोगों का स्वागत है, यदि आप भगवान से जुड़े कहानियां पढ़ना पसंद करते हैं तब यह ब्लॉग पोस्ट आप सभी के लिए बहुत फायदेमंद होने वाला है।  

भगवान की पूजा हम में से हर कोई करते हैं, हम सभी को भगवान से जुड़ी कहानियां पढ़ना अत्यंत जरूरी है, क्यूंकि भगवान की कहानियां हमें अच्छा सिख देने के साथ साथ हमारे मन को भी खुश रखने में काफी ज्यादा मदद करता है। 

कहानियां किसको पढ़ना पसंद नहीं है चाहे छोटे बच्चे हो या फिर बड़े सभी उम्र के लोगों को कहानियां पढ़ना पसंद है, यदि आप भी हिंदी मैं कहानियां पढ़ना पसंद करते है, तब यह पोस्ट आपके लिए है आज हम इस पोस्ट पर आप सभी को God Stories In Hindi के बारे में बताएंगे।

God Stories In Hindi – भगवान की कहानियां God Stories In Hindi

भगवान हमें जीवन के सभी मुसीबतों से दूर रखने में मदद करता है, भगवान की पूजा पाठ करने से हमें मन में शांति होता है यदि आप भगवान की कहानी पढ़ना पसंद करते है, या फिर आप भगवान की कहानियां पढ़ना चाहते है, तब आप बिल्कुल सही पोस्ट पर आए है। हमने God Stories In Hindi पर जो कहानियां लिखा है, वह है –

1) भगवान विष्णु के धर्म चक्र की कहानी

एक दिन भगवान विष्णु गंभीर तपस्या कर रहे थे। भगवान विष्णु चुपचाप एक शांत जगह में बैठे थे और तपस्या कर रहे थे।भगवान विष्णु जहां पर तपस्या कर रहे थे वहां पर बाल गणेश खेल रहे थे।

बाल गणेश बहुत ही हंसी के साथ खेल रहे थे तभी बाल गणेश का नजर भगवान विष्णु के धर्म चक्र पर पड़ता है बाल गणेश विष्णु के धर्म चक्र को देखकर बहुत आकर्षित हो जाते हैं और भगवान विष्णु के धर्म चक्र के साथ खेलने के बारे में सोचते है।

कुछ देर बाद बाल गणेश चुपचाप भगवान विष्णु के पास जाते हैं और उनका धर्म चक्र को मुंह पर ले लेते हैं और खेलने लगते हैं। जब भगवान विष्णु को एहसास होता है कि उनके पास उनका धर्म चक्र नहीं है तब अपने तपसा को बंद करते हैं और अपने आंखों को खोलते हैं।

भगवान विष्णु अपने आँखें को खोलते है और देखते हैं कि उनका धर्म चक्र बाल गणेश के पास है क्योंकि बाल गणेश धर्म चक्र को एक खिलौना समझ रहे थे इस वजह से धर्म चक्र को भगवान विष्णु के पास नहीं दिए भगवान विष्णु ने कई बार बालगणेश से विनती किया कि वह धर्म चक्र को लौटा दे परंतु बाल गणेश धर्म चक्र को नहीं दे रहा था।

भगवान विष्णु समझ गए कि बाल गणेश ऐसे ही धर्म चक्र को नहीं देंगे इस वजह से भगवान विष्णु ने बाल गणेश को हंसाने के बारे में सोचा और अपने दोनों हाथों को कान के ऊपर रख कर उठक बैठक करने लगे यह देखकर बाल गणेश बहुत हंसने लगा और तभी बाल गणेश के मुंह से धर्म चक्र निकल गया और भगवान विष्णु को अपना धर्म चक्र मिल गया।

 2) मां दुर्गा की कहानी

हजारों साल पहले की बात है जब महिषासुर नाम का एक दुष्ट राक्षस भगवान ब्रह्मा का गंभीर तपस्या कर रहा था। महिषासुर का शरीर आधा राक्षस का था और आधा शरीर भैंसे का था। महिषासुर ने ब्रह्मा देवता का कई साल तक तपस्या किया था।

महिषासुर का तपस्या को देख कर एक दिन देवता ब्रह्मा महिषासुर के पास प्रकट हुए और कहे कि महिषासुर मैं तुम्हारा तपस्या को देख कर बहुत प्रसन्न हुआ हूं तुम क्या मांगना चाहते हो वह मुझ से मांगो मैं तुम्हें वह जरूर दूंगा तब दुष्ट राक्षस महिषासुर हंसते हुए कहा मुझे आप वरदान दीजिए कि कोई भी भगवान या मानव के द्वारा मेरा कभी हत्या ना हो।

महिषासुर को भगवान ब्रह्मा ने वरदान दे दिया परंतु महिषासुर एक दुष्ट और पापी राक्षस था इस वजह से उसने सभी के ऊपर अत्याचार करना शुरू कर दिया और भगवान के ऊपर भी अत्याचार करने लगा और भगवान के क्षेत्र को भी कब्जा कर लिया। सभी देवता महिषासुर के अत्याचार से परेशान हो गए थे।

जब सभी देवता महिषासुर के अत्याचारों से परेशान हो गए थे तब सभी देवता भगवान ब्रह्मा शिव और विष्णु जी की शरण में गए। सभी देवता ने मिलकर महिषासुर को शांत करने का उपाय सोचा और तीनों देवता मिलकर एक बहुत ही शक्तिशाली और सुंदर देवी का निर्माण किया जिसे हम आज देवी मां दुर्गा के नाम से जानते हैं।

जब मां दुर्गा का निर्माण हुआ तब सभी देवता और भगवान मां दुर्गा को शंख चक्र,गदा,त्रिशूल,धनुष बाण जैसे इत्यादि अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित किया था।जैसे ही दुष्ट राक्षस महिषासुर को मां दुर्गा के बारे में पता चला वैसे ही राक्षस मां दुर्गा से युद्ध करने चले गए।

क्योंकि मां दुर्गा बहुत शक्तिशाली थे इस वजह से महिषासुर के साथ मां दुर्गा का युद्ध लगातार 10 दिनों तक चला 10 दिन बीत जाने के बाद देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिए और सभी भगवान मां दुर्गा के ऊपर फुल बरसाने लगे लगे और जिस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था उसी दिन को हिंदू धर्म के लोग नवरात्रि उत्सव के नाम से मनाते हैं और देवी दुर्गा माता का पूजा करते हैं।

 3) कृष्ण और सुदामा की कहानी

कृष्णा बचपन से ही बहुत अच्छे और शांत स्वभाव के इंसान थे कृष्णा जब गुरु के आश्रम में पढ़ रहे थे तब उनके साथ सुदामा नाम का एक लड़के का दोस्ती हुआ था। सुदामा और कृष्ण दोनों ही बहुत अच्छे मित्र थे दोनों एक साथ अपने काम को करते थे एक साथ खाना खाते थे।

जैसे-जैसे समय बीतता गया वैसे ही श्री कृष्ण द्वारका के राजा बने परंतु सुदामा का जीवन सही नहीं था वह बहुत गरीब हो गए थे और तभी उनका पत्नी ने उन्हें कहा कि आप तो कहते हैं कि द्वारका के राजा श्री कृष्णा आपके अच्छे मित्र हैं तब आप उनके पास क्यों नहीं जाते हैं।

सुदामा ने अपना पत्नी का बात सुनकर द्वारका में श्री कृष्ण के पास जाने के बारे में सोचा परंतु उनके घर में उपहार के लिए कुछ नहीं था परंतु सुदामा के पत्नी ने सुदामा को दो मुट्ठी चाल एक कपड़े में बंद करके दिया और उसे श्रीकृष्ण को उपहार में देने को कहा। सुदामा पैदल पैदल द्वारका में जाकर पहुंचे।

जब सुदामा राजा कृष्णा के दरबार पर पहुंचे तब सैनिक ने सुदामा से कहा कि आप यहां क्या करने आए हैं तब सुदामा ने डरते हुए सैनिकों से कहा कि मैं कृष्ण का अच्छा मित्र हो मुझे कृष्णा के साथ मिलना है सैनिक ने यह बात कृष्ण से जाकर कहा कृष्णा ने बहुत धूमधाम से सुदामा का स्वागत किया।

सुदामा जब कृष्ण के पास आकर पहुंचे तब कृष्णा ने अपने हाथों से सुदामा का पैर को जाल से साफ किया। और अपने ही सिंहासन पर सुदामा को बैठाया और बहुत देर तक बात किया सुदामा पत्नी का दिया हुआ दो मुट्ठी चाल को देने से डर रहा था परंतु श्री कृष्ण ने खुद से ही चाल को लिया और खाने लगा।

सुदामा को कृष्ण का व्यवहार बहुत अच्छा लगा कृष्णा ने बहुत प्यार से सुदामा को अपने महल पर रहने को कहा छह-सात दिन बीत गया सुदामा वापस अपने घर की तरफ चल गया जाते हुए कहा कि मित्र कृष्णा ने तो मुझे कोई भी उपहार नहीं दिया अब मैं पत्नी को जाकर क्या कहूंगा।

जैसे ही सुदामा अपने घर के तरफ पहुंचे वैसे ही वह बहुत घबरा गए और देखें कि उनका घर नहीं है उनका घर तो अब महल बन गया है सुदामा को यह एहसास हुआ कि कृष्णा एक बहुत ही अच्छे और सच्चे मित्र हैं और सुदामा और सुदामा के पत्नी कृष्ण के बहुत बड़े भक्त बन गए।

 4) गौरी पुत्र गणेश की कहानी 

देवी गौरी जब स्नान ग्रह पर स्नान करने जा रही थी तब उन्होंने पुत्र गणेश से कहा कि पुत्र में जब तक ना कहूं किसी को स्नान ग्रह पर प्रवेश करने नहीं देना। पुत्र गणेश माता का बात सुनकर चुपचाप बाहर खड़ा था खड़ा था और अपने मां का आदेश का पालन कर रहा था।

कुछ देर बाद भगवान शिव आते हैं और कहते हैं हे बालक तू मेरा रास्ता छोड़ो तब पुत्र गणेश शिव से कहते हैं मैं मेरे माता गौरी का आदेश का पालन कर रहा हूं जब तक माता ना कहे मैं किसी को प्रवेश करने नहीं दे सकता है तब शिव ने गणेश से कहा कि मैं शिव हूं मैं जा सकता हूं परंतु गणेश ने भगवान शिव को जाने नहीं दिया।

भगवान शिव गणेश के ऊपर बहुत क्रोधित हो गए और क्रोधित में आकर गणेश का सिर काट दिया जब देवी गौरी स्नान ग्रह से बाहर आई और देखी की गणेश को भगवान शिव ने मार दिया है तब वह बहुत जोर जोर से रोए और कहीं कि इसमें गणेश का कोई दोष नहीं था क्योंकि मैंने ही तो गणेश पुत्र से कहा था कि वह किसी को स्नान ग्रह पर प्रवेश करने ना दे।

शिव ने पार्वती से कहा कि मैंने कोई गलती नहीं किया उस बालक ने मुझे प्रवेश करने नहीं दिया था इस वजह से मैंने उसे यह दंड दिया पार्वती यह सुनकर बहुत दुखी हो गई और शिव से कहा कि आपने बहुत बड़ा गलती कर दिया है।

कुछ देर बाद शिव को एहसास होता है कि उन्होंने बहुत बड़ा गलती कर दिया है तब वह गणेश को जीवित करने के बारे में सोचते हैं और नंदी से कहते हैं कि कोई जीवित प्राणी का सर काट के लाभ एक बाल गणेश का सिर को काट कर शिव के पास ले आते हैं और शिव गणेश के शरीर के ऊपर सिर को रखकर गणेश को जीवित कर देते हैं।

 5) कृष्णा का सिक्का की कहानी

गांव पर एक साधु रहा करता था साधु सभी से भीख मांगता रहता था आशीर्वाद के बदले में।कोई साधु को खाना देता था तो कोई पैसा और साधु खाने और पैसे के बदले में उन्हें आशीर्वाद दिया करता था। 1 दिन भगवान श्रीकृष्ण ऊपर से साधु को देख रहे थे और उन पर परीक्षा करने के बारे में सोच रहे थे।

 कृष्ण ने जब साधु के ऊपर परीक्षा करने के बारे में सोचा तब उन्होंने नदी के किनारे पर सोने के सिक्के से भरा हुआ एक बैग रख दिया साधु नदी के पास से गुजर रहा था तभी देखा सोने से भरा हुआ बैग और लालच में आकर उस बाप को अपने पास रख लिया।

साधु जब सोने से भरा हुआ बैग को लेकर अपने घर की तरफ जा रहे थे तब उनको एक बहुत ही बुजुर्ग भिखारी मिले भिखारी ने साधु से कहा कि आप मुझे कोई खाना या कोई पैसा दीजिए परंतु साधु लालच में आकर एक भी सोने का सिक्का भिकारी को नहीं दिया और अपने घर के रास्ते में चलता गया।

रास्ते में जाते वक्त साधु को एक हीरा नीचे गिरा हुआ दिखाओ साधु बहुत खुश हो गए और सोने से भरा हुआ बैग को नीचे रखकर हीरे को देखने गए और उसी वक्त कोई चोर आकर सोने के सिक्के से बड़ा बैक को लेकर चला गया और जब साधु ने देखा कि वह कोई हीरा नहीं बल्कि कांच का एक टुकड़ा था।

जब साधु को पता चला कि हीरा हीरा नहीं बल्कि कांच का एक टुकड़ा है तब उन्हें बहुत दुख लगा और तभी भगवान श्री कृष्ण प्रकट हुए और कहे कि मैं तुम्हारा परीक्षा ले रहा था यदि तुम लालच में ना आकर सोने से भरा हुआ बैग से एक सिक्का भिखारी को देते तब यह सोने से भरा हुआ बैग तुम्हारा होता परंतु तुमने लालच क्या इस वजह से तुम्हें कुछ भी नहीं मिला साधु ने भगवान श्री कृष्ण से माफी मांगा और वचन दिया कि वह कभी लालच नहीं करेंगे।

आशा करता हूं कि आप सभी को God Stories In Hindi | भगवान की कहानियां पोस्ट काफी पसंद आया होगा। यदि आप और भी मजेदार और रोमांचक दिल जीत लेने वाले कहानियां का पोस्ट पढ़ना चाहते हैं तब नीचे कमेंट करके जरूर बताएं। 

यह पोस्ट आपको कैसा लगा नीचे कॉमेंट करके ज़रूर बताएं, और यदि आपको यह पोस्ट पसंद आया है, तब इस पोस्ट को  दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर Share करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here