हिंदी दिवस पर भाषण – Hindi Diwas Speech In Hindi! दोस्तों अगर आप हिंदी दिवस पर भाषण देना चाहते हो और आपको हिंदी दिवस की जानकारी नही है, तो आज इस पोस्ट में हम आपको हिंदी दिवस के बारे में बतायींगे और हिंदी दिवस पर तीन भाषण short, medium, and long Hindi Diwas Speech In Hindi भी share करिंगे।
हिंदी हमारी मातृभाषा है जो कि भारत की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। अतः जिस प्रकार हमारे देश में विभिन्न दिवस जैसे कि बाल दिवस, शिक्षक दिवस इत्यादि मनाए जाते हैं इसी प्रकार हिंदी दिवस का भी अपना विशेष महत्व है।
सभी स्कूलों कॉलेज तथा अन्य शिक्षण संस्थानों में हिंदी दिवस के मौके पर हिंदी निबंध, वाद-विवाद, प्रतियोगिताएं जैसे हिंदी भाषी कार्यक्रम देखने को मिलते हैं। यह विशेष दिन हिंदी भाषा के प्रति हमारे सम्मान को व्यक्त करता है।
भारत के अलग-अलग राज्यों के मुताबिक विभिन्न क्षेत्रीय भाषाएं आपको मिलेंगी। परंतु इन सभी भाषाओं के बीच हिंदी का भी एक विशेष स्थान है। जिस वजह से इसे भारत के संविधान में राष्ट्रभाषा का दर्जा मिला हुआ है तो यदि आपको भी हिंदी दिवस के इस मौके पर Speech का अवसर दिया गया है तो हिंदी दिवस पर आपके लिए हमने कुछ भाषण तैयार किए हैं।
हिंदी दिवस पर भाषण – Hindi Diwas Speech In Hindi
भाषण 1 (Long Speech On Hindi Diwas In Hindi)
आदरणीय मुख्य अतिथि शिक्षक गण एवं यहां उपस्थित सभी सहपाठियों को मेरा नमस्कार। आज हम यहां हिंदी दिवस को मनाने के लिए उपस्थित हैं मैं उन अध्यापकों का आभारी हूं जिन्होंने हिंदी दिवस के मौके पर मुझे अपनी मातृभाषा के प्रति अपने विचार रखने का मौका दिया।
14 सितंबर को भारत वर्ष के सभी विद्यालयों, कॉलेजेस एवं शिक्षण संस्थानों में हिंदी दिवस के रुप में मनाया जाता है। विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली मूल भाषाओं में से हिंदी का अहम स्थान है। हिंदी दिवस के मौके पर हिंदी भाषा के विकास हेतु इसका प्रचार प्रसार कर हिंदी संस्कृति का सम्मान बढ़ाने के प्रयास किया जाता है।
इस दिन सभी स्कूलों कॉलेज में हिंदी भाषा में वाद-विवाद हिंदी निबंध लेखन, कहानी, शब्दावली एवं प्रश्नोत्तरी की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। ताकि युगों युगों से जनमानस के दिलों में बसने वाली यह भाषा आगे भी हमारी आने वाली पीढ़ियों के बीच उनके विचार उनकी जानकारियां हमारी राष्ट्रभाषा के माध्यम से दूसरों तक फैलती रहे।
यह सभी भारतीयों के लिए एक गौरव का दिन होता है। क्योंकि हिंदी को विश्व की सबसे समृद्धि एवं प्राचीन भाषा गौरव प्राप्त है। यह हिंदुस्तानियों की एक पहचान है हमारी संस्कृति हमारे पहनावे की तरह हमारी भाषा की पूरी दुनिया में एक विशेष पहचान है।
युगो युगो से हिंदी भारत के जनमानस की भाषा रही है। उनके संचार का माध्यम रहा है और स्वयं गांधीजी भी इस बात को कहते थे, वर्ष 1918 में गांधीजी एक हिंदी साहित्य सम्मेलन में उपस्थित थे। और उन्होंने वहां पहली बार हिंदी भाषा को भारत की राष्ट्रभाषा घोषित करने की मांग की
अर्थात आजादी से पूर्व ही देश को हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को लेकर सहमति बन चुकी थी एवं संविधान निर्माण के दौरान 14 सितंबर 1949 का वह दिन था जिस दिन यह घोषित किया गया है कि भारत की राजभाषा एवं कार्यकारी भाषा हिंदी होगी। 10 जनवरी 2006 तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने इस दिन को प्रति वर्ष विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। बता दें 10 जनवरी 1975 में इंदिरा गांधी ने प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन किया था।
मुझे एवं प्रत्येक नागरिक को जानकर बेहद हर्ष होता है कि आज हिंदी न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी बोली एवं पढ़ाई सिखाई जाती है। विदेशी शक्तियां भी अब यह यह समझ रही है कि हिंदी भाषा वाकई एक सर्वश्रेष्ठ भाषाओं में से एक है। इसलिए विदेशी लोग भारत में आकर हमारे पहनावे, हमारे रहन-सहन रीति रिवाजों तथा भाषा से प्रभावित होकर आज हिंदी का विदेशों में भी प्रचार प्रसार कर रहे हैं।
लेकिन एक दुखद तथ्य यह भी है कि पश्चिमी रीति-रिवाजों एवं उनके पहनावे से आकर्षित होकर आधुनिक भारतीय समाज के लोग आज इंग्लिश की पढ़ाई को लेकर काफी जोर देते हैं, विभिन्न शिक्षण संस्थानों, स्कूलों में , इंग्लिश भाषा बोलना अब अनिवार्य हो चुका है।
इस वजह से बाल स्कूली विद्यार्थियों, से लेकर देश के युवा आज इंग्लिश या अन्य विदेशी भाषाओं को बोलने में बड़ा गर्व महसूस करते हैं वही हिंदी भाषा बात करने वाले को अक्सर छोटी दृष्टि से देखा जाता है। लेकिन हमें यह कदापि नहीं भूलना चाहिए कि एक राष्ट्र के नागरिकों की पहचान उसकी राष्ट्रभाषा से ही होती है। अतः भले ही हम विदेशी भाषा सीखे समझें और उस को अपने व्यवहार में लाएं परंतु कभी भी हमें अपनी मातृभाषा को नहीं भूलना चाहिए।
यहां पर हमें इस हकीकत को भी स्वीकार करना होगा कि इस आधुनिक युग में आज हम कहीं ना कहीं दूसरी पश्चिमी भाषाओं को सीखने पर एवं उनके प्रचार प्रसार पर अधिक बल दे रहे हैं। कई आधुनिक बुद्धिजीवी तो हिंदी में बात करने में भी का कई बार शर्माते हैं हिंदी भाषा बोलकर पले बढ़े लोग जब पढ़ाई की दौरान कुछ डिग्रियां हासिल कर लेते हैं तो वे हिंदी को व्यर्थ समझ लेते हैं।
जिन्हें लगता है कि हिंदी एक महत्वपूर्ण भाषा है। तो ऐसे बुद्धिजीवियों कोई यह समझ लेना चाहिए कि एक सच्चा देशभक्त वही है जो उस देश के रीति-रिवाजों संस्कृति एवं उसके पहनावे के साथ ही उसकी भाषा का सम्मान करें। उनके लिए यह समझना जरूरी है की अंग्रेजी या किसी भी विदेशी भाषा के समान ही हिंदी का विशेष महत्व है।
इतिहास में पन्नों को पलटा जाए तो अपने वतन के लिए हिंदी हैं हम का नारा लगाते हुए कई लोगों ने आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों से काफी संघर्ष किया एवं उस दौरान गुलामी में रहते हुए भी हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार हेतु जनमानस को इसके प्रति जागृत किया।
अतः हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हमें अपनी संस्कृति अपनी भाषा को प्राथमिकता देना चाहिए। जिस प्रकार विश्व के अनेक देशों में वहां की राष्ट्रीय भाषा पर जोर जोर दिया जाता है उसी प्रकार हमें भी अपनी भाषा के प्रति सम्मान व्यक्त चाहिए। हमें विदेशी भाषाओं को जरूर सीखना चाहिए एवं अपने ज्ञान का विस्तार करना चाहिए। परंतु जब भी हमें अवसर मिले हमें हिंदी भाषा से संचार करना चाहिए। ताकि अन्य लोग भी हमें देखकर हिंदी भाषा को बोलने में सम्मान महसूस कर सके।
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भाषण 2 (Medium Speech On Hindi Diwas In Hindi)
माननीय प्रधानाचार्य, शिक्षक महोदय, एवं मेरे प्रिय साथियों को मेरा नमस्कार। आज हम अपना हिंदी दिवस मनाने जा रहे हैं, इस शुभ अवसर पर मैं हिंदी भाषा की वर्तमान स्थिति को लेकर अपने विचार प्रस्तुत करने जा रहा हूं। हिंदी भारत की मातृभाषा एवं राष्ट्रभाषा है। संविधान सभा द्वारा हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा घोषित करने के बाद से हिंदी भाषा देश की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा के तौर पर अभी भी अपना स्थान बनाए हुए है।
परंतु अफसोस की बात यह है कि आजादी के 70 वर्षों से भी अधिक होने के बावजूद भी आज भी हिंदी को सम्मानजनक स्थान नहीं मिल पाया है। आज भी खुद को मॉडर्न समझने वाली बुद्धिजीवी हिंदी भाषा को एक भाषा नहीं बल्कि एक बोली समझते हैं।।
जिसके लिए कहीं ना कही शिक्षा तंत्र भी जिम्मेदार है। क्योंकि आज के भारतीय शिक्षा तंत्र को देखें तो वहां पर इंग्लिश को बड़ा महत्व दिया जा रहा है। कई ऐसे शिक्षण संस्थान, विद्यालय कॉलेज हैं जहां पर इंग्लिश भाषा बोलना आज अनिवार्य बन चुका है। अन्यथा आपको शिक्षा का मौका तक नहीं दिया जा रहा है।
जिससे कहीं ना कहीं बच्चों के माता-पिता अभिभावक शिक्षा तंत्र से प्रभावित होकर स्वयं यह मानते हैं कि इंग्लिश भाषा वाकई एक सर्वश्रेष्ठ भाषा है। वह कहते हैं हमारा बच्चा अंग्रेजी मीडियम स्कूल में पड़ेगा। उनकी दृष्टि में बच्चों का हिंदी ना आना कोई बड़ी बात नहीं है परंतु इंग्लिश ना आना उसके भविष्य के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।
आज बच्चे-युवा तथा अन्य उम्र के लोगों की नजर में इंग्लिश बोलना काफी सम्मानजनक है। इंग्लिश बोलने वाले किसी कॉलोनी में यदि कोई एक व्यक्ति हिंदी में अपनी बात कह देता है। तो लोग उसको ऐसी दृष्टि से देखते हैं मानो वह अनपढ़, जाहिल, गवार व्यक्ति समाज में आ चुका हो।
तो आज हिंदी दिवस के इस मौके पर मैं कहना चाहूंगा कि हिंदी भाषा की दयनीय स्थिति को यदि हम सुधारना चाहते हैं तो हमें यह समझना होगा कि जब हम दूसरी विदेशी भाषाओं को इतना महत्व दे रहे हैं तो अपनी खुद की भाषा को हम पसंद क्यों नहीं करते? 200 वर्षों से भी अधिक सालों तक अंग्रेजी शासन ने हमें अपना गुलाम बनाए रखा। हमारी संस्कृति, हमारे रीति रिवाजों को हमारी भाषा को नष्ट करने के लिए उन्होंने अपने विचार-नियमों कानूनों को थोपा।
और जिससे कड़ा संघर्ष करते हुए वीर शहीदों, क्रांतिकारियों ने अपना बलिदान देकर भारत को आजादी दिलाई। लेकिन एक बार फिर से हम उसी अंग्रेजी चंगुल में खुद को जानबूझ पर धकेल रहे हैं, हमें लगता है अंग्रेजी भाषा सर्वश्रेष्ठ है हिंदी नहीं। ऐसे लोगों पर धिक्कार है जो अंग्रेजी को बेहतर समझ कर अपनी राष्ट्रभाषा को नकारते हैं। एवं बोलने में शर्म महसूस करते हैं। उनको याद रहना चाहिए कि एक व्यक्ति की मातृभाषा से ही उसकी संस्कृति झलकती है ।
तो हम इंग्लिश भाषा पर अधिक जोर दिए बगैर यदि देश के नागरिक के तौर पर यदि हम हिंदी भाषा का प्रचार प्रसार करते हैं, तो पूरी दुनिया हमारा अनुसरण करेगी। हमारी भाषा को सम्मान देगी। अन्यथा एक बार फिर से हम दूसरे देशों की कठपुतली बनकर दूसरे की विचारधारा को अपनाते रहेंगे तो एक दिन ऐसा आएगा जब देश में ठहरे नागरिक खुद को पराया महसूस करेगा।
इन्हीं अंतिम शब्दों के साथ हिंदी भाषा पर गर्व करने एवं इसे दिल से अपनाने का निवेदन करते हुए मैं अपने शब्दों को विराम देना चाहूंगा यदि मैंने किसी प्रकार की त्रुटि की हो तो क्षमा कीजिएगा।
भाषण 3 (Short Speech On Hindi Diwas In Hindi)
यहां उपस्थित सभी अध्यापक, शिक्षक गणों एवं सभी को मेरा नमस्कार आज हिंदी दिवस के इस अवसर पर मैं आपके सामने इस दिवस की महत्वता के विषय पर कुछ शब्द कहने के लिए उपस्थित हूं।
हिंदी भाषा विश्व की चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। जिसे देवनागरी लिपि में लिखा गया है। देश की 70 प्रतिशत से भी अधिक जनसंख्या हिंदी भलीभांति समझती एवं बोलती है। युगो युगो से हिंदी भाषा का उपयोग जनमानस द्वारा संचार के लिए किया जाता रहा है इसलिए लोगों के दिल में बसी एक भाषा है।
देश की आजादी से पूर्व ही हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा बनाने की बात कही जाने लगी वर्ष 1918 में गांधी जी ने पहली बार हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की बात कही और आजादी के उपरांत काफी सोच समझकर 14 सितंबर 1949 को हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया गया।
परंतु राष्ट्रभाषा होने के बावजूद देश के अनेक राज्यों में हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार करने को लेकर सहमति नहीं बन पाई। सालों तक हिंदी राज्यों में इसका विरोध होता रहा है, यही वजह है कि विदेशी भाषा अंग्रेजी को भी यही स्थान दिया गया। और हिंदी भाषा के महत्व को आने वाली पीढ़ी भूल ना सके। इसके उत्थान के लिए हिंदी दिवस को मनाया जाने लगा।
आज पूरे भारतवर्ष में 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है हिंदी दिवस के साथ साथ हिंदी साप्ताह भी मनाया जाता है। इस पूरे सप्ताह के दौरान हिंदी भाषा के प्रोत्साहन हेतु हिंदी में विभिन्न विद्यालयों कॉलेज में निबंध प्रतियोगिता, भाषण, काव्य गोष्ठी, वाद-विवाद आयोजित की जाती है ताकि लोग हिंदी भाषा के प्रति आकर्षित हो सके और हम अपने देश की भाषा पर गर्व कर सकें।
परंतु एक नागरिक के तौर पर हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम उचित मौकों पर हिंदी भाषा का प्रचार प्रसार अवश्य करें। और कदापि इस भाषा का अवहेलना ना करें क्योंकि यह हमारी मातृभाषा है अतः हमें इसका सम्मान करना आवश्यक हो जाता है। हमें ऐसे शिक्षित बुद्धिजीवी जो अंग्रेजी भाषा बोलकर स्वयं म ज्ञानी होने का परिचय देते हैं। उनकी भी इस विचारधारा को हमने तोड़ना है। तथा उन तक यह संदेश पहुंचाना है कि हमारी मातृभाषा विश्व में किसी भी भाषा से कम नहीं है।
आज इंटरनेट का जाल विश्व में फैला हुआ है। वेब पर भी हिंदी का प्रचार प्रसार तेजी से बढ़ रहा है। सर्च इंजन गूगल के अनुसार इंटरनेट पर दिन प्रतिदिन अंग्रेजी की तुलना में हिंदी कंटेंट में तेजी से वृद्धि हो रही है।
जिसका अर्थ है इंटरनेट जगत के माध्यम से हमारे पास हिंदी को आगे बढ़ाने का इसका प्रचार-प्रसार करने का बेहतरीन मौका है। अतः “हिंदी हैं हम” इसी सुविचार के साथ अपने दिल में बसी हमारी मातृभाषा के प्रति हम सदैव गर्व महसूस करें। इसके लिए जरूरी है हम हिंदी के उत्थान में अपना योगदान दें।
धन्यवाद।
तो दोस्तों उम्मीद है की अब आपको हिंदी दिवस के बारे में काफ़ी कुछ जानने को मिल गया होगा, और हिंदी दिवस पर तीन भाषण short, medium, and long Hindi Diwas Speech In Hindi की जानकारी भी मिल गयी होगी।
उम्मीद है की आपको हिंदी दिवस पर भाषण – Hindi Diwas Speech In Hindi का यह पोस्ट पसंद आया होगा, और हेल्पफ़ुल लगा होगा।
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