दोस्तों अगर आप लाल बहादुर शास्त्री जी पर निबंध लिखना चाहते हो तो आजके इस पोस्ट में हम आपके साथ Essay on Lal Bahadur Shastri in Hindi, लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध – Lal Bahadur Shastri Essay In Hindi! Share करिंगे।
सच्चाई सादगी और अपने कुशल नेतृत्व के लिए प्रसिद्ध व्यक्ति का नाम लाल बहादुर शास्त्री था। जो देश के दूसरे प्रधानमंत्री एवं प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे। आज हम इस लेख में लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध के माध्यम से इस महान शख्सियत के विषय पर महत्वपूर्ण जानकारियां आपके साथ साझा कर रहे हैं।
छोटा कद होना आपकी असफलता का कारण नहीं बन सकता। जी हां मात्र 4 इंच का कद परंतु अपनी लीडरशिप से विश्व की जानी मानी हस्तियों को झुकाने वाले लाल बहादुर शास्त्री जी इतिहास के उन महान राजनेताओं में से एक हैं जो देश सेवा को परम कर्तव्य मानते थे।
शास्त्री जी अपने त्वरित निर्णय लेने की क्षमता के लिए जाने जाते थे। वर्ष 1965 में उनके नेतृत्व में हुए भारत पाकिस्तान युद्ध में करारी हार इस कथन का एक बेहतरीन उदाहरण रहा।
अपने छोटे से जीवनकाल में शास्त्री जी ने अनेक ऐसे निर्णय लिए जिनके लिए आज भी वह लोगों के दिलों में जीवित है। पेश है लाल बहादुर शास्त्री पर छोटे एवं बड़े निबंध, जिनकी सहायता से आप अपने लिए एक बेहतरीन निबंध तैयार कर पाएंगे।
लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध – Lal Bahadur Shastri Essay In Hindi
निबंध 1 (300 Words)
अपने परिश्रम व सद्गुणों से विश्व में गहरी छाप छोड़ने वाले व्यक्ति का नाम था लाल बहादुर शास्त्री। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 को एक निम्न वर्गीय परिवार में हुआ और बचपन उनका बेहद कठिन परिस्थितियों में बीता। उनके पिता स्कूल में एक अध्यापक थे वही माता ग्रहणी थी। शास्त्री जी की उम्र महज डेढ़ वर्ष थी जब उनके सिर से पिता का साया छूट गया। उनकी मां बच्चों को अपने पिता के घर ले आई इस तरह बचपन शास्त्री का ननिहाल में ही बीता।
शास्त्री गंभीर स्वभाव के बालक थे, उनकी आरंभिक शिक्षा वाराणसी में ही हुई! अल्पायु में ही गांधी जी के विचारों से प्रभावित होकर वे देश सेवा हेतु स्वाधीनता संग्राम में कूद गए। असहयोग आंदोलन में बतौर कार्यकर्ता आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए उन्हें वर्ष 1921 में जेल में डाल दिया गया। जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने काशी विद्यापीठ से पढ़ाई की, और स्नातकोत्तर में उन्हें शास्त्री की उपाधि मिल गई
लेकिन देश सेवा में उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के सभी महत्वपूर्ण आंदोलन जैसे दांडी मार्च असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन एवं कार्यक्रमों मे अहम योगदान देकर वे जनमानस की सेवा के लिए सदा प्रयत्नशील रहे। जब वर्ष 1947 में भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया गया नेहरू जी के मंत्रिमंडल में उन्हें गृह मंत्री पद का कार्यभार सौंपा गया।
अपनी कर्तव्य निष्ठा, लगन एवम् इमानदारी से वे आगामी वर्षों में लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ने गए। तथा वर्ष 1964 में हुए नेहरू जी के आकस्मिक निधन के समय जनता के समक्ष जो चेहरा प्रधानमंत्री पद के लिए योग्य था वे थे लाल बहादुर शास्त्री। बतौर प्रधानमंत्री अपने शासनकाल में उन्होंने देश के भीतर तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसे फैसले लिए जिनके लिए उन्हें आज भी जनमानस द्वारा याद किया जाता है ।
फिर चाहे वह बात हो भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में सेना को खुली छूट देने की, देश में पैदा हुए खाद्यान्न की समस्या के लिए देश के सभी नागरिकों एवं किसानों का हौसला अफजाई कर आत्मनिर्भर बनने को लेकर पहल की, या फिर फिर देश के आंतरिक विवादों को सुलझाने की.
मात्र 18 महीने के कार्यकाल में इस महान पुरुष ने दुनिया के नक्शे में भारत को एक उभरती महाशक्ति के तौर पर दर्शाने का गौरव दिलाया।
निबंध 2 (500 Words)
लाल बहादुर शास्त्री भारत के प्रसिद्ध राजनेताओं, शख्सियतों में से एक हैं जिन्हें अपने सद्गुणों, कार्यों एवं विचारधारा के लिए भारत ही नहीं अपितु विश्व भी उनका सम्मान करता है।।
उन्होंने देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी इसलिए उन्हें महान स्वतंत्रता सेनानी के तौर पर भी जाना जाता है। 2 अक्टूबर वर्ष 1950 को मुगलसराय वाराणसी में जन्मे शास्त्री को एक सच्चा गांधीवादी माना जाता था। वह मात्र 18 माह के थे उनके पिता उन्हें इस दुनिया से छोड़ कर चले गई और बेहद कठिन परिस्थितियों में उनका लालन-पालन हुआ।
शास्त्री जी जब छोटे थे तो घर के लोगों ने प्यार से नन्हे कहकर बुलाते थे। एक गरीब घर में जन्म लेने के बावजूद भी शास्त्री जी के विचार एक उच्च दर्जे के व्यक्ति की तरह थे वे देश सेवा में रुचि रखते थे।
17 वर्ष की उम्र अवस्था में ही पढ़ाई छोड़ कर उन्होंने देश सेवा हेतु स्वतंत्रता आंदोलन में भाग ले लिया। वे गांधी जी को अपना आदर्श मानते थे, आजादी की लड़ाई में उन्होंने सभी महत्वपूर्ण आंदोलन में सक्रिय रहकर देश की आजादी के सपने को साकार करने में अपना अहम योगदान दिया।
आजादी के पश्चात पंडित नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने। शास्त्री जी को कुशल लीडरशिप और काबिलियत के अनुसार उन्हें कई उच्च पद प्राप्त हुए पंडित नेहरू की शब्दों में शास्त्री एक “सादगी और ईमानदार व्यक्तित्व के स्वामी थे”
वर्ष 1966 में जब नेहरू जी का निधन हो गया तो प्रधानमंत्री के तौर पर शास्त्री जी का नाम सुझाया गया। और उन्होंने इस पद पर रहते हुए भी देश की गरिमा अखंडता को बनाए रखने के लिए कठिन परिस्थितियों में जनहित के लिए अनेक प्रभावी फैसले लिए।अपने शासनकाल के दौरान सीमा पर उत्पन्न विवाद या अंतरराष्ट्रीय मसलों को उचित तौर तरीकों से सुलझाना वह भली भांति जानते थे इसलिए उस दौर में शास्त्री जी के सामने रूस, अमेरिका जैसे देश के राजनेता भी झुकते दिखाई देते थे।
देश के आंतरिक मामलों में शांतिपूर्ण ढंग से निपटारा कर उन्होंने देश की प्रगति हेतु कठिन प्रयत्न किए। परन्तु वर्ष 1966 में हुए ताशकंद समझौते के दौरान देश का यह सच्चा सबूत हमेशा के लिए देशवासियों को छोड़कर चला गया। हालांकि आज भी शास्त्री जी की मृत्यु का असल कारण फाइलों के पन्नों पर दबा ही है, और इनकी मौत को आज भी रहस्यमई माना जाता है।
निबंध 3 (800 Words)
लाल बहादुर शास्त्री परिचय
लाल बहादुर शास्त्री स्वतंत्र भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। जिन्होंने आजादी से पूर्व अंग्रेजो के खिलाफ होने वाले अनेक स्वतंत्रता आंदोलनों में भाग लिया।
2 अक्टूबर वर्ष 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय वाराणसी के बेहद गरीब परिवार में जन्मे लाल बहादुर शास्त्री को ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा के लिए आज भी देशवासियों द्वारा याद किया जाता है, उनके पिता का नाम शरद प्रसाद यादव था जो स्कूल में एक अध्यापक थे वही माता का नाम रामदुलहारी था।
कम उम्र में ही पिताजी के निधन के बाद शास्त्री और उनकी दो बहनों का पालन पोषण करने के लिए उनकी मां अपने पिता के घर चले गई।
लाल बहादुर शास्त्री शिक्षा और विवाह
शास्त्री जी की आरंभिक शिक्षा उनके ननिहाल में ही हुई महज 17 वर्ष की आयु में गांधीजी के विचारों से प्रेरित होकर देश की आजादी हेतु वे असहयोग आंदोलन से जुड़ गए। इस आंदोलन को बढ़ावा देने के कारण लाल बहादुर शास्त्री को जेल भी जाना पड़ा।
जेल से निकलने के बाद उन्होंने अपने आगे की शिक्षा जारी रखी। और वर्ष 1926 में काशी विद्यापीठ से पढ़ाई करते हुए परीक्षा उत्तीर्ण कर शास्त्री की उपाधि प्राप्ति की, आगे चलकर उनके नाम के साथ शास्त्री शब्द जोड़ दिया गया।
शिक्षा पूरी करने के बाद शास्त्री जी को इलाहाबाद में लोक सेवा समाज का सदस्य रहते हुए कार्य करने का अवसर मिला। वर्ष 1928 में शास्त्री जी का विवाह श्रीमती ललिता देवी से हुआ, उनकी 6 संताने हुई।
स्वतंत्रता संग्राम में शास्त्री जी की भूमिका
गांधी जी के विचारों का शास्त्री जी पर गहरा असर पड़ा इसलिए अल्पायु में ही उन्होंने देश की आजादी के संग्राम में कूदने का मन बना लिया।
भारत माता के इस सपूत ने आजादी के लिए कड़ा संघर्ष किया। कुल मिलाकर 7 बार स्वाधीनता आंदोलन के दौरान वे जेल गए और अपने जीवन के कुल 9 वर्ष स्वतंत्रता आंदोलनों की वजह से उन्होंने जेल में रहते हुए बिताए। आजादी से पूर्व उन्होंने भारत को एकजुट करने के कई प्रयत्न किए वे अपने बुलंद भाषणों के लिए जाने जाते थे।
अनेक मौकों पर वे देश में व्याप्त कुरीतियों को खत्म करने पर बल देते थे। विदेश में जाति व्यवस्था से वे नाखुश थे, यही कारण था उनके नाम के पीछे लगा शास्त्री शब्द उनका उपनाम नहीं था बल्कि उन्हें दी गई उपाधि थी।
शास्त्री जी का राजनीतिक करियर
वर्ष 1947 में देश को आजादी हासिल हुई तो शास्त्री जी की योग्यता को देखते हुए उन्हें पंडित नेहरू के शासनकाल में परिवहन और गृह मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया। और इमानदारी से पूरी कर्तव्य निष्ठा के साथ शास्त्री जी ने इस पद पर कार्य रहते हुए देश की सेवा की तत्पश्चात वर्ष 1952 में उन्हें रेल मंत्रालय का पद सौंप दिया गया।
साथ ही इसी वर्ष जब दूसरी बार प्रधानमंत्री पद के लिए चुनाव हुए तो चुनावी आंदोलन को भी संगठित करने की जिम्मेवारी शास्त्री जी को दी गई परिणाम स्वरूप बड़े अंतर से कांग्रेस को इस चुनावी जंग में विजय प्राप्त हुई। वर्ष 1956 में शास्त्री के लिए अत्यंत दुखदगार रहा क्योंकि इस दौरान अडियालूर रेल घटना में सैकड़ों लोगों की जान चली गई। परंतु भारत के इस लाल ने इतनी बड़ी दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से त्यागपत्र दे दिया।
अपने निस्वार्थ कर्मों एवं ईमानदारी की वजह से देशवासियों के प्यारे शास्त्री जी को अगले वर्ष 1957 में हुए आम चुनाव में सफलता प्राप्त हुई। और एक बार फिर से वे जनता के समर्थन से केंद्रीय मंत्रिमंडल में परिवहन व संचार मंत्री के तौर पर कार्य करने लगे
वर्ष 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध से प्रधानमंत्री नेहरू को गहरा दुख पहुंचा। और खराब तबीयत की वजह से वर्ष 1964 में उनका निधन हो गया। अब देश के समक्ष एक उचित व्यक्ति को प्रधानमंत्री पद पर बैठाना एक चुनौती पूर्ण कार्य था, ऐसे समय में देश को शास्त्री जी के नेतृत्व की जरूरत पड़ी।
9 जून 1964 को शास्त्री जी ने देश के द्वितीय प्रधानमंत्री के तौर पर सत्ता की जिम्मेदारी संभाली। मात्र 18 माह का कार्यकाल शास्त्री जी के लिए अत्यंत दुविधा जनक रहा। वर्ष 1965 में हुए भारत-पाक युद्ध, कश्मीर के हजरत बल मस्जिद का विवाद या फिर देश के समक्ष उत्पन्न खाद्यान्न समस्या देश के समक्ष आई परंतु इन बड़ी परेशानियों से शास्त्री जी तनिक भी विचलित नहीं हुए।
वर्ष 1965 में पाकिस्तान को मिली करारी हार और कश्मीर में हजरत बल मस्जिद से उत्पन्न होने वाले सांप्रदायिक विवाद को सुलझाने में उनके योगदान आज भी याद किया जाता है। और जब देश में खाद्यान्न की समस्या उत्पन्न हुई और अमेरिका द्वारा अन्य दान में दिए जाने की बात पर शास्त्री जी आक्रोशित हो गए और सहज शब्दों में उन्होंने जनता से कहा कि
“हमें अगर जीना है तो हम इज्जत से जिएंगे, देश में खाद्यान्न की समस्या को सुलझाने के लिए हमे साग सब्जी बनानी पड़ेगी हफ्ते में 1 दिन का उपवास करना होगा”
और जय जवान जय किसान का नारा देकर शास्त्री जी के इन शब्दों ने देश के किसानों समेत प्रत्येक नागरिक को हौसलों की उड़ान दी। वर्ष 1965 में हुए युद्ध के बाद देश को शांति की राह पर ले जाने के लिए उन्होंने ताशकंद समझौते पर अपनी सहमति दी! परंतु 11 जनवरी 1966 को अचानक हृदय की गति रुक जाने से उनकी मृत्यु हो गई और इस महान पुरुष से देश की जनता सदा सदा के लिए बिछड़ गई।
अपने जीवन के काल के दौरान शास्त्री जी द्वारा देश सेवा हेतु किए गए कर्मों की लिए उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न की उपाधि से विभूषित किया गया। एक अत्यंत गरीब परिवार में जन्म लेकर देश सेवा हेतु प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचने का उनका यह सफर सिखाता है कि अगर व्यक्ति जीवन में कुछ करना का मन बना ले तो गरीबी, छोटा कद, चुनौतियां, परेशानियां उसका रास्ता रोक नहीं सकती।
उम्मीद है की अब आपको लाल बहादुर शास्त्री जी के इस निवंध से जुड़ी पूरी जानकारी मिल गयी होगी और आप Essay on Lal Bahadur Shastri in Hindi, लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध – Lal Bahadur Shastri Essay In Hindi! के बारे में भी जान गये होगे।
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उम्मीद है की आपको लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध – Lal Bahadur Shastri Essay In Hindi! का यह पोस्ट पसंद आया होगा, और हेल्पफ़ुल लगा होगा।
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