Lala Lajpat Rai Slogan In Hindi [30+ लाला लाजपत राय पर स्लोगन]


Lala Lajpat Rai Slogan In Hindi [30+ लाला लाजपत राय पर स्लोगन] लाला लाजपत राय भारत के उन प्रमुख नेताओं में से एक नेता थे जिन्होंने राष्ट्र के लिए प्रत्येक संघर्षों में अपना सहयोग दिया। इन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए सम्पूर्ण जीवन न्योछावर कर दिया। 

ये स्वतंत्रता आंदोलनों के दौरान ‘लाल बाल ‘ फायर ब्रांड तिकड़ी के भी सबसे मुख्य सदस्य थे। इनकी ताकत और स्वतंत्रता के जोश को देखकर तथा इनके शक्तिशाली प्रयासों  के कारण इन्हें’ पंजाब केसरी  ‘तथा ‘ पंजाब का शेर’ नाम दिया गया।

“देशभक्ति का निर्णाण न्याय और सत्य की दृढं चट्टान पर ही किया जा सकता है”

“इंसान को सत्य की उपासना करते हुए सांसारिक लाभ पाने की चिंदा किए बिना साहसी और ईमानदार होना चाहिए”

नेशनल बैंक की नींव भी इन्हीं के हाथों रखी गई जब साइमन कमीशन भारत आया उसके विरोध करते वक्त लाला लाजपत राय को पुलिस की लाठीचार्ज द्वारा बुरी तरह घायल कर दिया गया,इसी लाठीचार्ज की वजह से कुछ ही दिनों में उनकी मृत्यु हो गई।

लाला लाजपत राय का प्रारंभिक जीवन- लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1835 ईस्वी को फिरोजाबाद जिले के गांव में हुआ था इनके पिता का नाम मुंशी राधा कृष्ण तथा माता जी का नाम गुलाब देवी था। मुंशी आजाद फारसी और उर्दू के एक महान और प्रसिद्ध विद्वान थे लाला जी की मां एक धार्मिक महिला जो धार्मिकता पर असीम आस्था रखती थी।

Lala Lajpat Rai Slogan In Hindi – लाला लाजपत राय पर स्लोगन

Lala Lajpat Rai Slogan In Hindi [30+ लाला लाजपत राय पर स्लोगन]

लाला जी ने अपने बचपन में ही बेहतर शिक्षा के मूल्यों का आकलन किया जिसके कारण उनमें राजनैतिक शिक्षा का विकास होने लगा और उन्हें इस प्रकार की शिक्षा ने स्वतंत्रता की अनुमति दी। लाला लाजपत राय ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सरकारी हायर सेकेंडरी स्कूल रेवाड़ी से प्राप्त की जहां उनके पिताजी भी एक शिक्षक के रूप में कार्य करते थे।

लालाजी ने कानून की पढ़ाई के लिए लाहौर गवर्नमेंट कॉलेज में प्रवेश लिया, प्रवेश पाते ही लाला जी ने हंसराज और पंडित गुरुदत्त जैसे देशभक्तों की संगत में आकर स्वतत्रता पर बल दिया। वे जैसे ही इन महान देशभक्तों की संगत में आये तो उन्होंने अपने कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद हरियाणा के हिसार में कानूनी प्रैक्टिस शुरू करने का मन बना लिया। हमने Lala Lajpat Rai Slogan In Hindi पर जो स्लोगन लिखा है, वह स्लोगन है – 

अतीत को देखते रहना व्यर्थ है, जब तक उस अतीत पर गर्व करने योग्य भविष्य के निर्णाण के लिए कार्य न किया जाए”

नेता वह है जिसका नेतृत्व प्रभावशाली हो, जो अपने अनुयायियों से सदैव आगे रहता हो, जो साहसी और निर्भीक हो”

“वास्तविक मुक्ति दुखों से निर्धनता से, बीमारी से, हर प्रका की अज्ञानता से और दासता से स्वतंत्रता प्राप्त करने में निहित है” 

पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ शांतिपूर्ण साधनों से उद्देश्य पूरा करने के प्रयास को ही अहिंसा कहते हैं”

“सार्वजनिक जीवन में अनुशासन को बनाए रखना बहुत ही जरूरी है, वरना प्रगति के मार्ग में बाधा खड़ी हो जायेगी”

“देशभक्ति का निर्णाण न्याय और सत्य की दृढं चट्टान पर ही किया जा सकता है”

“इंसान को सत्य की उपासना करते हुए सांसारिक लाभ पाने की चिंदा किए बिना साहसी और ईमानदार होना चाहिए”

“दूसरों पर विश्वास न रखकर स्वंय पर विश्वास रखो. आप अपने ही प्रयत्नों से सफल हो सकते हैं क्योंकि राष्ट्रों का निर्माण अपने ही बलबूते पर होता है”

एक निर्गुण, निराकर, न्यायकर्ता, दयालु और सर्वबुद्धिमान ईश्वर की बात की जाती है, पर आज प्राप्त होनेवाली शिक्षा यह सिखाती है कि स्वर्ण और सम्पदा ही ईश्वर है जिसकी आराधना, उपासना और इच्छा की जानी चाहिए” 

“कष्ट उठाना तो हमारी जाति का लक्षण है, पर मनोवैज्ञानिक क्षण में और सत्य की खातिर कष्टों से बचना कायरता है”

“जीवन वास्तविक है, मूल्यवान है, कर्मण्य है और अमूल्य है इसका आदर हो, इसे दीर्घ बनाये रखना चाहिए और इससे आनंद उठाना चाहिए”

“एक हिन्दू के लिये नारी लक्ष्मी, सरस्वती और शक्ति का मिला -जुला रूप होती है अर्थात वह उस सबका आधार है जो सुन्दर, वांछनीय और शक्ति की ओर उन्मुखकारक है”

देशभक्ति का निर्माण हमेसा न्याय और सत्य की दृढ़ चट्टान पर ही किया जा सकता है

सत्य की उपासना करते हुए सांसारिक लाभ हानि की चिंता किये बिना ईमानदार और साहसी होना चाहिए.

“सत्य की उपासना करते हुए सांसारिक लाभ हानि की चिंता किये बिना ईमानदार और साहसी होना चाहिए।

स्वतंत्र जीवन जीने की चाह रखने वाले लाला लाजपत राय स्वयं देश की सेवा करने के इच्छुक थे, उन्होंने अपने देश को विदेशी शासन से मुक्त करने का संकल्प भी बहुत जल्द लिया।

1984 में उनके पिताजी का स्थानांतरण होने के कारण वे रोहतक चले गये । लाला लाजपत राय भी अपने पिताजी के साथ रोहतक आए 1877 में उन्होंने राधा देवी से शादी का प्रस्ताव रखा और उनसे शादी की।

1886 में उनका परिवार हिसार में ही स्थानांतरित हो गया जहाँ लाला लाजपत राय ने कानून का अभ्यास करने का मन बना रखा था।

1888 में तथा 1889 में वार्षिक सत्रों के दौरान राष्ट्रीय कांग्रेस में उन्होंने एक प्रतिनिधि के रूप में हिस्सा लिया तथा 1892 में उच्च न्यायालय में अभ्यास करने के लिए उन्हें लाहौर जाना पड़ा।

राष्ट्र के प्रति लाला लाजपत राय के विचार

लाला लाजपत राय एक समझदार और अच्छे पाठक थे। वे जो भी पढ़ते थे वह उनके दिमाग में छप जाया करता  क्योंकि वे इटली के क्रांतिकारी नेता ग्यूसेप माजिनी द्वारा उल्लेखित राष्ट्रवादी और देशभक्त विचारों से प्रभावित थे।

माजिनी से प्रभावित होकर लालाजी खुद के देश को स्वतंत्र रूप में देखना चाहते थे उन्होंने विपिन चंद्र पाल, अरबिंदो घोष और महाराष्ट्र में बाल गंगाधर तिलक जैसे मुख्य नेताओं के साथ रहकर राष्ट्रीय कांग्रेस के कई नेताओं से वकालत की।

उन्होंने उदारवादी राजनीतिक और विभिन्न राजनैतिकता के नकारात्मक पहलुओं को देखना यहीं से प्रारंभ किया लालाजी ने कांग्रस की मांग के लिए मजबूत विरोध को आवाज दी और हालातों को देखकर पूर्ण स्वराज और स्वतंत्रा जैसी आवश्यक चीजों को देखा और अनुभव किया।

 लालाजी उन नेताओं में से एक थे जिन्होंने हिंदू और मुसलमानों के बीच हो रहे विरोध संघर्षों का अनुभव अत्यधिक गहराई से किया। वे हमेशा ही इस बात का भी हल लोगों के सामने रखना चाहते थे। परंतु मुस्लिम भारत और गैर मुस्लिम भारत में एक विशेष प्रकार के विभाजन के लिए उनका प्रस्ताव रूप से विवाद के साथ मिला।

लाला लाजपत राय का राजनैतिक भविष्य

लाला जी ने अपना कानूनी पेशा पूरी तरीके से त्याग दिया और मातृभूमि को ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्र कराने के लिए उस दिशा में अपना सहयोग और प्रयास दिया जहां से प्रत्येक भारतीय ब्रिटिश सरकार के चुंगल से स्वतंत्र हो सके।

उन्होंने अंग्रेजों द्वारा भारत में हो रहे अत्याचारों को उजागर करने के लिए विश्व के प्रमुख देशों के सामने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के मामलों को सही साबित करने के लिए आवश्यकताओं को मान्यता प्राप्त की। इसी कारण वे 1914 में ब्रिटेन तथा 1917 में अमेरिका भी गये 1917 में उन्होंने न्यूयॉर्क में इंडियन होमरूल लीग ऑफ अमेरिका की स्थापना की , तथा वे 3 साल तक अमेरिका में ही रहे।

 जब 1920 में लाला लाजपत राय अमेरिका से वापस भारत आए तो उन्हें कोलकाता में कांग्रेस द्वारा एक विशेष सत्र की अध्यक्षता करने के लिए निमंत्रण दिया गया। उन्होंने 1919 में अंग्रेजों द्वारा किया गया जलियांवाला बाग हत्याकांड का विशेष विरोध करने के लिए पंजाब में उग्र प्रदर्शन किया।

महात्मा गांधी ने 1920 में जब असहयोग आंदोलन प्रारंभ किया तो लाला लाजपत राय ने पंजाब में इस आंदोलन का नेतृत्व किया और लोगों को स्वतंत्रा के लिए प्रेरित किया। परंतु जब महात्मा गांधी ने चोरा चोरी की हिंसक घटना को स्थगित करने के लिए फैसला लिया तो लाला जी ने गांधी जी द्वारा लिए गए फैसले की आलोचना की और कांग्रेस की स्वतंत्रत पार्टी का गठन किया। 

जब साइमन कमीशन 1929 में सर्वाधिक सुधारों को चर्चा में लाने के लिए भारत का दौरा करने का फैसला लेता है तो इस संस्था में भारत का एक भी सदस्य न होने के कारण भारतीय नेताओं के मन में विरोध उत्पन्न हो गया और भारत में जगह जगह पर विरोध प्रदर्शन खड़े हो गए,लाला लाजपत राय इस प्रकार के संगठनों में सबसे पहले थे।

लाला लाजपत राय की मृत्य

30 अक्टूबर 1928 ईस्वी को लाला लाजपत राय  साइमन कमीशन के आगमन का शांतिपूर्वक विरोध कर रहे थे परंतु मार्च को संबोधित कर रहे पुलिस अध्यक्षों ने जनता पर लाठीचार्ज का आदेश दे दिया और सभी पुलिसकर्मियों ने मिलकर लाला लाजपत राय को ही अपना शिकार बनाया जिस कारण उनके सर में गहरी चोटें आई । तथा कुछ दिनों पश्चात ही उन्हें मौत की नींद सोनी पड़ी।

उम्मीद है की आपको लाला लाजपत राय पर स्लोगन | Lala Lajpat Rai Slogan In Hindi से जुड़ी सभी जानकारी मिल चुकी होगी।

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