Munshi Premchand Stories In Hindi (मुंशी प्रेमचंद की कहानियां)


Munshi Premchand Stories In Hindi (मुंशी प्रेमचंद की कहानियां) – हमारे वेबसाइट पर आने के लिए धन्यवाद, हमारा आज का यह पोस्ट उन लोगों के लिए खास होने वाला है जो हिंदी भाषा में कहानियां पढ़ना बहुत अच्छा लगता हैं। 

इस पोस्ट पर हम आपको मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखा गया प्रसिद्ध कहानियों के बारे में बताएंगे जो आपको जरूर पसंद आएगा मुंशी प्रेमचंद जी ने लगभग 301 से अधिक आधुनिक कहानियां लिखा है।

मुंशी प्रेमचंद की कहानियों के बारे में बताने से पहले अगर मुंशी प्रेमचंद के बारे में बात करें तो मुंशी प्रेमचंद का जन्म 21 जुलाई 1880 में हुआ था। प्रेमचंद जी भारत में प्रसिद्ध लेखकों में से एक है। मुंशी प्रेमचंद जी को उपन्यास का सम्राट भी कहा जाता था और वह अपने आधुनिक उपन्यास के वजह से ही पहचाने जाते थे। चलिए Munshi Premchand Stories In Hindi के बारे में जानते हैं।

Munshi Premchand Stories In Hindi – मुंशी प्रेमचंद की कहानियांMunshi Premchand Stories In Hindi (मुंशी प्रेमचंद की कहानियां)

मुंशी प्रेमचंद की कहानियां बहुत ही अच्छा होता है यदि आप मुंशी प्रेमचंद की कहानियां पढ़ना चाहते हैं तब आप बिल्कुल सही पोस्ट पर आए हैं, यदि Munshi Premchand Stories In Hindi के बारे में बात करें तो वह है –

1) बूढ़ी काकी की कहानी

कमला नाम का एक बूढ़ी काकी अपने पति के साथ रहा करती थी।कुछ दिन बाद बूढ़ी काकी के पति का मृत्यु हो गया जिसके बाद बूढ़ी काकी अकेले ही रहने लगी बूढ़ी काकी का तबीयत बहुत बिगड़ गया तब बूढ़ी काकी का भतीजा आया और बूढ़ी काकी से कहा कि आप आपका घर और सभी पैसा मेरे नाम कर दीजिए मैं आपका अच्छे से देखभाल करूंगा बूढ़ी काकी ने भतीजा का बात सुनकर अपना पूरा संपत्ति भतीजे के नाम कर दिया।

जैसे ही कमला नाम की बूढ़ी काकी ने संपत्ति अपने भतीजे के नाम कर दिया वैसे ही भतीजा पूरा बदल गया भतीजा ने कहा था कि से कि यदि का कि उसके नाम संपत्ति लिख देता है तो वह काकी का ध्यान देगा परंतु वह बिल्कुल भी ऐसा नहीं किया बल्कि भतीजे ने बूढ़ी काकी के साथ बुरा बर्ताव करना शुरू कर दिया। बूढ़ी काकी के भतीजे का दो बेटा और एक लड़की था। बूढ़ी काकी को घर में भतीजे के लड़की को छोड़कर कोई भी पसंद नहीं करता था।

बूढ़ी काकी को भतीजे का स्वभाव और व्यवहार बिल्कुल भी पसंद नहीं था भतीजे ने सभी संपत्ति बूढ़ी काकी से ही लिया था परंतु वह बूढ़ी काकी को कभी भी खाना अच्छे से नहीं देता था और देखभाल भी सही से नहीं करता था। बूढ़ी काकी के भतीजे के बड़े बेटे का शादी था घर में उत्सव का माहौल था स्वादिष्ट स्वादिष्ट पकवान पक रहे थे परंतु कोई भी बूढ़ी काकी को कोई खाना नहीं दिया था। बूढ़ी काकी खाने का बहुत शौकीन थी वह सोच रही थी कि काश मुझे भी खाना मिलता परंतु कोई भी बुरी काकी को खाना नहीं दे रही थी।

बूढ़ी काकी बहुत दुखी हो गई थी और मन में ही स्वादिष्ट पकवान का स्वाद ले रही थी। बूढ़ी काकी को भतीजे का बेटी बहुत पसंद करती थी जिस वजह से वह बूढ़ी काकी के लिए स्वादिष्ट भोजन ले जा रही थी परंतु भतीजे ने साफ-साफ अपनी बेटी को बूढ़ी काकी को खाना देने से मना कर दिया और बहुत डांटा। रात का समय था उत्सव खत्म हो गया था परंतु किसी ने भी बूढ़ी काकी को कोई भी खाना नहीं दिया।

सब सो गए परंतु बूढ़ी काकी बाहर गई और जो खाना बाहर गिरा हुआ था उसे बहुत ही आनंद से खाने लगी तभी कमला के भतीजे ने बूढ़ी काकी को गिरा हुआ खाना खाते हुए देख लिया और उनसे जाकर माफी मांगा और कहा कि “हमें माफ कर दीजिए आब से हम आपके साथ ऐसा व्यवहार कभी भी नहीं करेंगे और समय में खाना देंगे और अच्छे से आपका देखभाल करेंगे” बूढ़ी काकी का स्वभाव बहुत अच्छा था इस वजह से बूढ़ी काकी ने रोते हुए भतीजे के पत्नी को कहा मैं तुम्हें माफ करता हूं।

2) मंत्र प्रेमचंद की कहानी

एक बुजुर्ग आदमी अपने बीमार बेटे को लेकर डॉक्टर दिखाने शहर आया था। शहर आते हैं बुजुर्ग आदमी को पता चला कि डॉक्टर चड्ढा शहर का सबसे अच्छा डॉक्टर है इस वजह से बुजुर्ग आदमी ने अपने बेटे को डॉक्टर चड्ढा के पास दिखाने के बारे में सोचा। आदमी के बेटे का तबीयत बहुत बिगड़ गया और बुजुर्ग आदमी अपने बेटे को लेकर जल्दी डॉक्टर चड्ढा के घर गया।

डॉक्टर चड्डा के पास समय नहीं था वह बाहर खेलने जा रहे थे जिस वजह से उसने बीमार बेटे को नहीं देखा। बुजुर्ग आदमी को बहुत दुख लगा। बुजुर्ग आदमी डॉक्टर से बहुत विनती करने लगा कि आप मेरे बेटे को देख लीजिए परंतु डॉक्टर का मन बहुत बकवास था उसने बीमार बेटे को नहीं देखा बल्कि खेलने चला गया। बुजुर्ग आदमी घंटों तक बैठा रहा परंतु डॉक्टर चड्ढा वापस नहीं आया बेटे का तबीयत बहुत बिगड़ गया और उसका मृत्यु हो गया।

कुछ साल बीत गया डॉक्टर चड्ढा के बड़े बेटे का जन्मदिन था बहुत ही धूमधाम से डॉक्टर चड्ढा के बेटे का जन्मदिन पालन हो रहा था तभी डॉक्टर चड्ढा के बेटे रतन के दोस्त ने रतन से कहा कि तुम जहरीला सांप रखते हो कहते हो हमें भी दिखाओ।रतन ने अपने दोस्त का बात सुनकर अपने जहरीला सांप को दिखाना शुरू किया जब रतन एक जहरीला सांप को रख रहा था तब उस जहरीला सांप ने उसे काट लिया।

रतन का तबीयत बहुत खराब होने लगा।डॉक्टर जैसे पागल ही हो गया था। डॉक्टर ने बहुत कोशिश किया परंतु वह अपने बेटे के लिए कुछ नहीं कर पा रहे थे तब यह बात गांव के एक बुजुर्ग आदमी को पता चलता है बुजुर्ग आदमी डॉक्टर चड्ढा के घर आता है और कहता है “क्या हुआ है?” तब डॉक्टर चड्ढा पहले तो बुजुर्ग आदमी को नहीं पहचान पाता है और उसे अपने बेटे के पास ले जाते है।

बुजुर्ग आदमी मंत्र बोलकर और कुछ जड़ी बूटी का प्रयोग करके डॉक्टर के बेटे को बचा लेता है।बाद में डॉक्टर चड्ढा को पता चलता है कि वह वही आदमी है जिसके बेटे का चिकित्सा उन्होंने नहीं किया था और वह बच्चा आज डॉक्टर डॉक्टर वजह से इस दुनिया में नहीं है डॉक्टर चड्ढा बुजुर्ग आदमी के चरणों में गिर जाते हैं और उनसे माफी मांगते हैं। 

3) दौलत का अंधा प्रेमचंद की कहानी

किशोर नाम का एक बहुत ही अच्छा लड़का रहा करता था।किशोर बचपन से ही विद्यालय में अव्वल नंबर से पास होता था किशोर को साधारण जीवन पसंद था परंतु उसके पिता का बहुत धन-संपत्ति था जिस कारण उसके पिता उसे कोई भी गरीब व्यक्ति के साथ दोस्ती नहीं करने देता था। किशोर का सबसे अच्छा मित्र शिवम था शिवम पढ़ाई में तो काफी अच्छा था परंतु उसके परिवार का आर्थिक स्थिति कुछ सही नहीं था।

एक दिन सुबह शिवम किशोर के घर आता है एक किताब लौटाने तब किशोर के पिता शिवम को देखते हैं और जब वह देखते हैं शिवम के पास कोई भी अच्छा कपड़ा और जूता नहीं है तब उसे घर से निकल जाने को कहता है। शिवम का मन बहुत साफ था इस वजह से वह किशोर के घर से बाहर निकल जाता है।जब बाद में किशोर सुनता है कि उसके पिता ने शिवम को घर से बाहर निकाल दिया था तब वह अपने पिता से जाकर जाता है आपने ऐसा क्यों किया तब उसके पिता जवाब में यह कहते हैं कि तुम गरीब के साथ दोस्ती मत करो क्योंकि वह लोग बहुत ही बदमाश होते हैं।

कुछ देर बाद शिवम गुस्सा होकर अपने पिता से कहता है कि शिवम गरीब हो सकता है पर वह कोई बदमाश नहीं है वह स्कूल में हमेशा अव्वल आते हैं उसके माता पिता का पैसा तो उतना नहीं है परंतु वह लोग बहुत कम पैसे में ही उसको अच्छे से पढ़ाते हैं और केवल यही नहीं बल्कि शिवम के माता पिता ने उसके अच्छे शिक्षा के लिए उसे प्राइवेट ट्यूशन भी दिलाया है परंतु आप क्या है आपके पास इतना धन दौलत रहने के बाद भी आप केवल अपने पैसे के बारे में ही सोचते हैं और कंजूस की तरह एक भी पैसा अच्छे काम के लिए भी नहीं देते तो आप से कई गुना अच्छा तो शिवम के माता-पिता है।

कुछ महीने बाद शिवम और किशोर दसवीं पास करते हैं। शिवम पूरे राज्य में टॉप करता है और किशोर भी  अव्वल नंबर से पास होता है शिवम को किशोर के पिता ने घर से बाहर निकाल दिया था परंतु शिवम के पिता ने शिवम के अच्छे नंबर के कारण किशोर के घर में भी मिठाई दिए थे जिसे देखने के बाद किशोर के पिता को पता चला था कि वह लोग कितने अच्छे हैं उसके बाद किशोर के पिता ने किशोर को कहा मुझसे बहुत बड़ा गलती हो गया है तुम शिवम के साथ और उसके परिवार के साथ दोस्ती तक सकते हो आज समझ आया कि कोई भी गरीब नहीं होता। 

4) परीक्षा मुंशी प्रेमचंद की कहानी

देवगढ़ के दीवान सरदार सुजानसिंह बुरे हुए तो वह महाराज से जाकर कहे कि मेरा शरीर अभी बहुत बुरा हो गया है मैं कोई भी काम ठीक तरह से नहीं कर पा रहा हूं अब आप मुझे मेरे काम से मुक्ति दीजिए श्रीमान आब में कोई भी राज काज का काम ठीक से नहीं कर सकता बूढ़े होने के कारण महाराज दीवान सरदार सुजानसिंह को बहुत श्रद्धा करते थे इस वजह से उन्होंने सुजानसिंह का आवेदन स्वीकार कर लिया परंतु यह भी कहा कि आप को ही देवगढ़ का अगला दीवान सरदार ढूंढना पड़ेगा।

सुजानसिंह ने सभी बड़े बड़े कागज में देवगढ़ के लिए एक श्रेष्ठ दीवान का जरूरत है यह विज्ञापन दे दिया और विज्ञापन में यह भी लिखा था कि जो लोग दीवान के पद लिए आएंगे उनको एक महीने के लिए राज दरबार में रखा जाएगा और उनमें से एक आदमी को ही चुना जाएगा जो दीवान के पद के लिए सर्वश्रेष्ठ होगा। सभी लोग दूर-दूर के राज्य से देवगढ़ में आई दीवान के पद के लिए। कोई मुसलमान था तो कोई हिंदू कोई आधुनिक जमाने का था तो कोई पुराने।

सभी लोगों का व्यवहार बहुत अच्छा था जिस वजह से सर्वश्रेष्ठ दीवान को चुनना बहुत ही जटिल था। एक दिन जो भी लोग दीवान के पद के लिए देवगढ़ आए थे वह लोग हॉकी खेलने का निर्णय लेते सभी लोग हॉकी खेलते हैं परंतु देवगढ़ के लोगों को पाखी के बारे में उतना पता नहीं था जिस वजह से सभी हॉकी को कोई अलग खेल समझ कर देख रहे थे जब सब का हॉकी खेल खत्म हो गया तब वह लोग राज दरबार में लौटजाने का निर्णय लिया।

मैदान से शाही दरबार के रास्ते पर एक बड़ी नदी को गुजरना होता था सभी खिलाड़ी राज दरबार में जा रहे थे और तभी एक आदमी अपनी बैलगाड़ी से गुजर रहा था तभी उस आदमी का बैलगाड़ी नदी में फंस जाता है और वह ऊपर की तरफ नहीं जाता है कोई भी लोग उसका मदद नहीं करते परंतु एक बहुत लंबा और बड़ा सा आदमी जिसके पैर में हॉकी खेलने वक्त चोट लग गया था वह उस आदमी का मदद करता है। 

बैलगाड़ी नदी में बहुत बुरी तरीके से फंस गया था परंतु बाहर से आने वाला वह आदमी बहुत दयालु था बहुत मेहनत करने के बाद उसने बैलगाड़ी को नदी से बाहर निकाल दिया था गरीब आदमी ने उस आदमी को धन्यवाद कहा तब बाहर से आने वाला आदमी ने बैलगाड़ी वाले आदमी को कहा कि क्या आप मुझे कोई इनाम देंगे तब गरीब आदमी ने कहा कि कोई इनाम तो अभी नहीं दे सकता परंतु आपको आशीर्वाद दे सकता हूं कि आप इस राज्य का अगला दीवान बनेंगे।

राजदरबार को बहुत ही अच्छे तरीके से सजाया गया था और जो भी लोग बाहर से आए थे उन सब को बुलाया गया और राज दरबार में कहा गया था कि आज अगला दीवान को चुना जाएगा। सभी लोग राज दरबार में उपस्थित हुए थे तब सुजानसिंहने सभी से कहा कि मुझे अगला सर्वश्रेष्ठ दीवान मिल गया है जिसने एक गरीब किसान का मदद किया था उसके बैलगाड़ी को नदी से निकालने में और वही इस राज्य का अगला दीवान है यह सुनकर वह आदमी बहुत खुश हो जाता है। 

5) बड़े घर की बेटी मुंशी प्रेमचंद की कहानी

बेनी माधव सिंह के दो बेटे थे। बेनी माधव का आर्थिक अवस्था बिल्कुल सही नहीं था बेनी माधव का बड़ा बेटा बहुत मुश्किल से b.a. का डिग्री प्राप्त किया था और वह एक सरकारी दफ्तर पर काम करता था।एक दिन बेनी माधव का बड़ा बेटा जब एक बड़े घर में चंदा मांगने जाता है तब आनंदी नाम की एक लड़की के साथ उसका विवाह होता है।

आनंदी एक बहुत ही अच्छे और बड़े घर की लड़की थी वह बहुत ही आराम से रहती थी परंतु जिस जगह उसका विवाह हुआ था वह जगह उसके मामले में कुछ ठीक नहीं था घर पूरा देहाती था। 

आनंदी बड़े घर की बेटी थी उसने सभी के साथ अच्छे से रहने का निर्णय लिया था 1 दिन उसके घर के छोटे देवर मैं घर पर खाने के लिए मांस ले आया था और अपनी भाभी से कहा था उसे पकाने के लिए घर पर ज्यादा घी ना होने के कारण उसने थोरे से ही घी में मांस तैयार किया था।

जब बड़े घर की बेटी आनंदी अपने देवर को खाना पड़ोसी तब वह सब को भात और मांस का करी देती है।मांस का स्वाद बहुत अच्छा हुआ था जिस वजह से छोटा देवर मांस का बहुत प्रशंसा कर रहा था परंतु जब छोटा देवर ने अपनी भाभी से थोड़ा और घी खाने के लिए मांगा तब बड़े घर की बेटी आनंदी ने अपने छोटे देवर से कहा कि घर में और घी नहीं है जितना घी बचा था उससे मैंने मांस बनाया है।

जब छोटे देवर ने सुना कि घर में और घी नहीं है तब वह बहुत क्रोधित हो गया और गुस्से में आकर कहने लगा कि कल ही तो घर में घी आया था और आज खत्म आप खाने में कितना घी डालते हैं और यह कहकर अपना खाना आनंदी के ऊपर फेंक दिया।

क्योंकि आनंदी एक बड़े घर की बेटी थी वह सभी से बहुत अच्छा व्यवहार करती थी उसने जब देखा कि घर में थोड़ा सा ही घी है तब वह उसमें से ही पकवान बनाएं परंतु फिर भी उसके छोटे देवर ने उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जिस वजह से वह बहुत दुखी हो गई और सभी से बात करना छोड़ दिया।

जब आनंदी के पति को पूरा बात पता चला तब उसने अपने भाई को बताया कि इसमें आनंदी का कोई गलती नहीं था बल्कि तुम्हारा ही गलती था बाद में छोटे देवर ने आनंदी से माफी मांगा आनंदी दिल से बहुत अच्छी थी और उसके अंदर जो बड़े घर का संस्कार था वह बहुत ही अच्छा था जिस वजह से उसने अपने छोटे देवर को माफी तो किया ही और उसी के साथ-साथ अपने पति को भी छोटे देवर को डांटने के लिए माफी मांगने को कहा बाद में सभी में अच्छा दोस्ती हो गया।

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