किसी ने क्या खूब कहा था कि जब आप प्रकृति की खोज करते हैं तो आप स्वयं को खोज लेते हैं! जी हां अगर आपने प्रकृति के साथ कुछ पल अकेले में बिताए हैं तो आप भी इस कथन से जरूर सहमत होंगे। नमस्कार, आज इस लेख में आपके साथ प्रकृति पर निबंध (Nature Essay In Hindi) लिखकर आए है।
प्रकृति द्वारा हम इंसानों को इस पृथ्वी पर जीवन जीने हेतु कई सारे अनमोल उपहार दिए हैं, जिन्हें न तो मनुष्य पैसों से खरीद सकता है और ना ही इनके बिना जीवन जी सकता है।
इन उपहारों में जल, वायु, पेड़ पौधे इत्यादि शामिल है। तो यह कहना शायद गलत ना होगा कि प्रकृति की कारण ही हम प्राणियों का इस पृथ्वी में वजूद है।
प्रकृति की ही मेहरबानी है कि हम एक स्वतंत्र जीवन इस पृथ्वी पर जी पा रहे हैं। अतः इसलिए जरूरी है कि हमें प्रकृति की महत्वता, इसके संरक्षण को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। तो चलिए देखते हैं प्रकृति पर निबंध (Nature Essay In Hindi)!
प्रकृति पर निबंध (Nature Essay In Hindi)
प्रकृति पर निबंध 1 [Nature Essay In Hindi]
प्रस्तावना
प्रकृति ईश्वर की एक दिव्य रचना है जो जल, वायु,वृक्ष इत्यादि के रूप में हमारे चारों ओर मौजूद है। इस ग्रह पर जीवन व्यतीत करने हेतु प्रकृति द्वारा प्राणी को सभी आवश्यक संसाधन तो प्रदान किए ही है, इसके साथ ही खूबसूरत परिवेश का निर्माण कर खूबसूरत धरा में रहने का उपहार दिया।
प्रकृति का महत्व
मानव जीवन से पहले ही इस प्रथ्वी पर प्रकृति का वास है। मानव जीवन की आरंभिक अवस्था से ही प्रकृति ने मनुष्य को इस पृथ्वी में जीवन यापन करने सभी संसाधन दिए जैसे:- अग्नि, वायु, जल, फल- फूल जिससे मनुष्य के लिए इस पृथ्वी में जीवन जीना आसान हुआ।
प्रकृति ने शुरुवाती दौर में मनुष्य के दिमाग को विकसित करने उसे नई खोजें करने तथा खुद का विकास करने में मदद की।
परिणाम स्वरूप मानव ने ऐसी खोज कर डाली जो चमत्कारी प्रतीत होती हैं। लेकिन अब मनुष्य प्रकृति की महत्वता इसके संरक्षण को नजरअंदाज कर अपने स्वार्थ के लिए इसका दोहन कह रहा है।
प्रकृति का दोहन
मनुष्य द्वारा अपने निजी फायदों के लिए प्रकृति को काफी नुकसान पहुंचाया है। इसके आज अनेक उदाहरण हमारे समक्ष मौजूद हैं। वृक्षों को काटकर सड़कें बनाना, भवन बनाना तथा उद्योग स्थापित करना।
परिणाम स्वरूप जहां पर कुछ वर्ष पहले तक सघन जंगल थे। वहां आज बड़ी बड़ी इमारत हैं, जिससे एक तरफ कहा जाए तो मनुष्य ने अपना विकास किया है। लेकिन दूसरी तरफ जंगलों में रहने वाले उन वन्य प्राणियों को भी आश्रय हीन किया है जिससे आज पर्यावरण का संतुलन बिगड़ा है।
यही नहीं मनुष्य अपने दैनिक जीवन के क्रियाकलापों में भी प्रकृति को नजरअंदाज कर रहा है! जिनमें में से सबसे बड़ी समस्या है जल के दुरुपयोग की याद रखें उसके नुकसान की भरपाई तो मनुष्य को करनी ही होगी, प्रकृति को पहुंचे नुकसान के दुष्प्रभावों को आज इंसान झेल भी रहा है। तेजी से बढ़ता हुआ वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण इस बात की गवाही देते हैं।
हम भली भांति जानते हैं हम पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर हैं सभी को पर्याप्त मात्रा में भोजन पकाने हेतु अग्नि, जल तथा सांस लेने योग्य पानी की जरूरत होगी ही लेकिन अगर हम प्रकृति के संसाधनों का दुरुपयोग करते रहेंगे तो एक दिन भयंकर स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।
प्रकृति का संरक्षण
इस सुंदर धरा को यूं ही संजो कर रखने के लिए जरूरी है प्रकृति का संरक्षण करना। मानव निम्नलिखित कार्यों को करना शुरू कर दें तो प्रकृति के संरक्षण की शुरुआत आज से ही की जा सकती है।
जल का सीमित उपयोग
अपने घर से ही प्रकृति के संरक्षण की शुरुआत जल का सदुपयोग करके की जा सकती है। घर में जल का प्रयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है। ऐसे में अनेक ऐसे कार्य हैं जहां जल संरक्षण किया जा सकता है जैसे कि नहाते वक्त नल को खुला ना छोड़ना, शावर के स्थान पर बाल्टी से नहाना, बर्तन धोते समय नल को खुला रखने की जगह बाल्टी में जल भर कर बर्तनों को साफ करना। अपशिष्ट जल का प्रयोग गाड़ी धोने जैसे कार्यों के लिए करके जल का संरक्षण किया जा सकता है।
बिजली की बचत कर के
घर में रहकर बिजली से चलने वाले अनावश्यक उपकरणों को बंद करके भी प्रकृति का संरक्षण करने में बड़ा योगदान किया जा सकता है।
कागज का सीमित उपयोग
हर साल कागजों की पूर्ति हेतु बड़ी संख्या में पेड़ों को काटा जाता है। अतः एक विद्यार्थी होने के नाते अगर आप नोटबुक्स का इस्तेमाल अधिक करते हैं तो कागजों के किफायती प्रयोग पर आपको ध्यान करना चाहिए। ताकि कम से कम कागज का इस्तेमाल हो सके और पेड़ों के कटाव को रोकने में आप महत्व पूर्ण भूमिका निभा सके।
वृक्षारोपण करके
वायु प्रदूषण में लगातार वृद्धि होने का एक मुख्य कारण है वृक्षों की संख्या में लगातार कमी आना। अगर आप वाकई प्रकृति का संरक्षण करना चाहते हैं तो आप वृक्षारोपण को अपना लक्ष्य बना लें, जब भी कोई विशेष दिन हो उस मौके पर पेड़ लगाएं।
क्योंकि शास्त्रों में भी माना गया है पेड़ लगाना पुण्य का कार्य है। तो आप इस पुण्य कर्म को करके न सिर्फ खुद के लिए बल्कि इस धरा को सुंदर बनाने और इसका संरक्षण करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते है।
जागरूकता फैलाकर
उपरोक्त बातों को ध्यान में रखकर अगर आप प्रकृति के संरक्षण हेतु स्वयं इन कदमों को उठाते हैं, तो आप प्रकृति के संरक्षण की इस दिशा में लोगों को जागरूक कर इसके संरक्षण में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
जंगली जानवरों के शिकार को रोककर
प्रकृति द्वारा सभी प्राणियों को जीवन जीने का अधिकार दिया है लेकिन अपने स्वार्थ के लिए मनुष्य जंगली जानवरों का वध करने से नहीं चूकता। परिणामस्वरूप ऐसी स्थिति ऐसी स्तिथि आ गई है, की एक तरफ मानव की जनसंख्या बढ़ रही है तो वन्य प्राणियों की संख्या में तेजी से कमी आ रही है।
लेकिन हमें समझना होगा कि पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने में मानव समेत सभी प्राणियों का महत्वपूर्ण योगदान है। जंगली जानवरों की शिकार में कमी लाकर जरूर प्रकृति के संरक्षण अपना योगदान दिया जा सकता है।
मनुष्य ही है जिन्होंने प्रकृति को नुकसान पहुंचाया है और वही अब अपने इस नुकसान की भरपाई कर पृथ्वी का संरक्षण कर सकते हैं।
प्रकृति पर निबंध 2 [Nature Essay In Hindi]
प्रस्तावना
प्रकृति से सीखें जीने का सलीका, फूल हो या बरसात हमेशा खिले रहने का तरीका प्रकृति जिसे मां का दर्जा भी दिया जाता है। क्योंकि प्राणी का लालन-पालन करने पाली प्रकृति का कर्ज कभी चुकाया नहीं जा सकता।
अपने चारों और नजर घुमाए, सब कुछ जो भी प्राकृतिक वस्तु देखने को मिलती हैं वह प्राकृतिक सौंदर्य का ही एक रूप है।
सुबह हो या शाम सर्दी हो या बरसात हर परिस्थिति में प्रकृति अद्भुत है। सुबह के समय चिड़ियों की खूबसूरत चहचहाहट, दिन में खिलखिलाहट धूप, रात्रि में टिमटिमाते तारों का यह नजारा इतना शानदार है कि जिस भी प्राणी को प्रकृति जीवन जीने का मौका देती है उसे स्वयं को धन्य समझना चाहिए।
प्रकृति के साथ हो रहा है खिलवाड़
शांत स्थान पर प्रकृति के समीप यदि आप बैठे, तो आप पाएंगे प्रकृति कितनी खूबसूरत है। हमें प्रकृति द्वारा मुफ्त में कई सारी चीजें मिली हैं, पर ना जाने फिर भी मनुष्य उन चीज़ों से संतुष्ट नहीं है और अधिक पाने की चाह में हमेशा लगा रहता है।
हालांकि मनुष्य का यह स्वभाव है कि उसे कुछ बेहतर पाना पसंद है लेकिन जब बेहतर पाने की चाह में मनुष्य प्रकृति के साथ दुर्व्यवहार कर, उसे नुकसान पहुंचा है तो इसे प्रकृति का दोहन कहा जाता है।
आज हम उस मोड़ पर पहुंच चुके हैं, जहां प्रकृति का दोहन बड़ी समस्या बन चुकी है। आज से कुछ दशकों पूर्व जहां पेड़ पौधों से भरे जंगल आपको कई स्थानों पर देखने को मिलते थे! वही उनके स्थान पर आज आपको बड़ी-बड़ी इमारतें, सड़क, भवन दिखाई देंगे।
इंसान ने खुद के विकास के लिए, अपने निजी फायदे हेतु वन की शोभा बढ़ाने वाले उन सुंदर वृक्षों को काट दिया है। परिणाम स्वरूप अब प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने लगा है। क्योंकि पेड़ों के काटने से एक तरफ कई वन्य प्राणी बेघर हो गए, दूसरी तरफ सड़कों भवनों के निर्माण के लिए हुई पेड़ों की कटाई के कारण प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि हुई है।
पेड़ ही नहीं वरन एक अति महत्वपूर्ण संसाधन जल का भी बढ़ते दुरुपयोग से स्थिति ऐसी आ गई है कि वर्तमान में जल की समस्या कई देशों, राज्यों में देखने को मिल रही है।
जिससे आज मनुष्य ना चाहते हुए भी प्रकृति के संरक्षण की ओर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है क्योंकि इस तरीके से प्रकृति का दोहन चलता रहे, तो फिर वह दिन दूर नहीं जब प्रकृति हमें अपनी कृत्यों का भयंकर परिणाम देगी।
प्रकृति का संरक्षण
अतः समय रहते अगर आज हम प्रकृति के संरक्षण हेतु वृक्षारोपण करें! जल का दुरुपयोग करने के बजाय सीमित मात्रा में प्रयोग करें। कम से कम वृक्षों को काटें, वन्य जीव का शिकार ना करें ऐसे में मानव द्वारा प्रकृति के दोहन की भरपाई जरूर की जा सकती है।
जिस तरह जनसंख्या बढ़ रही है और प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हो रहा है ऐसे में आने वाला समय बेहद चिंताजनक हो सकता है। क्योंकि इस पृथ्वी पर प्राकृतिक संसाधन सीमित है अगर इनका समझदारी से उपयोग न किया जाए तो इसके नकारात्मक परिणाम सामने आने तय है।
प्रकृति पर निबंध 3 [Nature Essay In Hindi]
बिना प्रकृति के किसी भी प्राणी के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। क्योंकि प्रकृति द्वारा हमें जो अनमोल चीजें दी गई है उसी की बदौलत आज इंसान समेत सभी प्राणी जीवन जी पा रहे हैं। प्रकृति द्वारा दिए गए संसाधनों को एक उपहार के तौर पर समझकर अगर हम इनका उपयोग करें और इन संसाधनों का दुरुपयोग ना करें तो यह सभी प्राणियों के हित में होगा।
वहीं दूसरी तरफ जब मनुष्य संसाधनों का अंधाधुंध इस्तेमाल कर प्रकृति को नियंत्रण में रखने की कोशिश करता है तो हमेशा उसे इसके कष्टकारी परिणाम भुगतने पड़ते हैं। उदाहरण स्वरुप अपने स्वार्थ के लिए जिस कदर मनुष्य ने सड़क, हाईवे निर्माण किए उससे मनुष्य के लिए एक स्थान से दूसरी जगह यात्रा करना तो सरल हो गया।
परंतु प्रकृति को अनदेखा कर जब पेड़ काटकर सड़कों का निर्माण कार्य तेजी से बढ़ता गया।
तो प्रकृति द्वारा मनुष्य को बदले में वायु प्रदूषण दिया। जिससे विकास की राह पर चलते मनुष्य के लिए पेड़ों को काटना काफी महंगा साबित हो गया। और वायु प्रदूषण के चलते सांस लेने में दिक्कत हुई तथा इसने शरीर में कई तरह की बीमारियां जन्म दिया।
इसी प्रकार मनुष्य ने जल को असीमित समझकर जब इसका दुरुपयोग किया तो कई स्थानों पर जल की समस्या उत्पन्न होने लगी। जिससे कई स्थानों पर लोग पानी की एक एक बूंद के लिए तरसने लगे। यह कुछ उदाहरण है जो दर्शाते हैं कि जब जब मनुष्य द्वारा प्रकृति को अनदेखा कर उसका दोहन किया जाता है तो उसे सबक सिखाने के लिए प्रकृति ने भी मनुष्य के सामने कठिनाइयां खड़ी की है।
अतः संक्षेप में कहा जाए कि अगर हम आज प्रकृति को कष्ट पहुंचाएंगे। प्राकृतिक संसाधनों का गलत इस्तेमाल करेंगे तो आने वाले समय में उन प्राकृतिक संसाधनों में कमी से हमारे लिए जीवन जीने में काफी मुश्किलें आएंगी। वहीं दूसरी तरफ अगर प्रकृति का संरक्षण किया जाए तो आने वाला समय हितकारी साबित होगा।
प्रकृति के संरक्षण का काम ज्यादा कठिन नहीं है। आज हम अपने दैनिक जीवन में कुछ छोटे-छोटे परंतु महत्वपूर्ण कार्यों को कर के प्रकृति के संरक्षण में योगदान दे सकते हैं।।
जैसे कि जल का सीमित मात्रा में प्रयोग करना, बिजली बचाना, वृक्षारोपण करना (यह सबसे अधिक जरूरी है) एवं कागजों का कम से कम इस्तेमाल करना, क्योंकि कागज बनाने के लिए पेड़ों का इस्तेमाल सबसे अधिक होता है। और साथ-साथ वे सारे तरीके इस्तेमाल करना जिससे प्रकृति का न नुकसान हो! इसके अलावा प्रकृति के संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करके हम इस सुंदर धरा में प्राकृतिक सौंदर्य के साथ रह सकते हैं।
और अगर ऐसा सभी करें तो, प्रकृति बदले में हमें उतना ही बेहतर देगी। क्योंकि प्रकृति का स्वभाव है जैसा करोगे वैसा भरोगे।
Conclusion
साथियों आज की इस पोस्ट में हमने प्रकृति पर निबंध (Nature Essay In Hindi) पढ़े, आशा है पोस्ट को पढ़ने के बाद यह निबंध आपके लिए उपयोगी साबित होंगे! तो इनको ज्यादा से ज्यादा शेयर करना ना भूले।
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