RSS Slogan In Hindi [65+ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर स्लोगन]


RSS Slogan In Hindi [65+ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर स्लोगन] RSS इसे हिंदी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नाम से जाना जाता है इसका मुख्य उद्देश्य विभिन्न प्रकार के धर्मों को मानने वाले लोगों के बीच एक अच्छा संबंध बनाना तथा लोगों को सनातन धर्म के बारे में संपूर्ण ज्ञान बांटना है। यह संघ लोगों को सनातन धर्म के बारे में प्रत्येक जानकारी देकर जागरूक करना चाहता हैं तथा अधिक लोगों को धर्म के साथ जोड़ना इसका मुख्य उद्देश्य रहता है।

देश में किसी भी अवसर पर संघ के स्वयंसेवक की आवश्यकता होती है तो यह स्वयंसेवक के लिए गौरव का क्षण होता है। 

इतिहास गवाही देता है संघ की राष्ट्रभक्ति का सन 65 की लड़ाई में सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अहम भूमिका निभाई थी। 

संघ की शाखाएं समय से नहीं समय संघ की शाखाओं से चला करती है।

 इस संघ के कुछ और प्रमुख लक्ष्य हैं जैस समाज में हो रहे भ्रष्टाचार को समाप्त करना ,आर्थिक सुधार करना,प्रत्येक नागरिक को उसके मौलिक अधिकार दिलाना और पर्यावरण में हो रही विभिन्न प्रकार की समस्याओं का समाधान करना। जब इस संघ की शुरुआत की गई तब इसमें केवल 17 सदस्य थे परंतु वर्तमान समय में इस संघ में अनेक सदस्य अपनी सदस्यता निभाते हैं। आज भारत के लाखों लोग इस संघ के सदस्य बन चुके हैं।

RSS Slogan In Hindi – RSS पर स्लोगनRSS Slogans In Hindi

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हमारे देश में राष्ट्रीय स्तर का संघ है इसका मुख्य उद्देश्य समाज में एकता लाना तथा समाज को भ्रष्टाचारियों से मुक्त करना है। आर एस एस को भारतीय जनता पार्टी का पुराना संगठन माना जाता है तथा वर्तमान समय में यह विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवक संगठन है। RSS Slogan In Hindi पर हमने जो स्लोगन लिखा है, वह है –

तेरा वैभव अमर रहे मां हम दिन चार रहे ना रहे।

देशभर में एक संघ की शाखाएं ही है जहां प्रातः मातृभूमि की वंदना की जाती है। 

देश की वास्तविक उन्नति समाज से ही संभव है

हमें समाज में रहकर अपने विचारों और कर्मों से राष्ट्र की उन्नति में योगदान देना चाहिए। 

हिंदुओं को एकत्र करना तराजू में मेंढक तोलने के बराबर है एक को रखो दूसरा कूद जाता है। 

भारत में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति हिंदू है किसी कालखंड में वह हमसे अलग हो गया जिसके कारण उसकी मान्यताएं बदल गई किंतु वैचारिक रूप से वह हमारा भाई ही है। 

RSS Slogans

संघ का स्वयंसेवक इतना सक्षम होता है कि वह स्वयं समाज का नेतृत्व कर सकता है चाहे वह कोई भी क्षेत्र हो।

हिंदू होना कोई शर्म की बात नहीं है हिंदू एक जीवन शैली है जो सत्य और सनातन है हिंदू होने पर गर्व और गौरव का अनुभव होना चाहिए। 

देश में किसी भी अवसर पर संघ के स्वयंसेवक की आवश्यकता होती है तो यह स्वयंसेवक के लिए गौरव का क्षण होता है। 

इतिहास गवाही देता है संघ की राष्ट्रभक्ति का सन 65 की लड़ाई में सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अहम भूमिका निभाई थी। 

संघ की शाखाएं समय से नहीं समय संघ की शाखाओं से चला करती है। 

दुर्लभ है ज्ञान संघ का जनहित , देशहित लोक हितकारी बाल संस्कार की नर्सरी प्रौढ़ वृक्षों की है छटा निराली। 

जीवन का उच्च आदर्श यहां बहती भातृत्व की धार है बच्चे हो या बूढ़े सभी के हृदय में देशभक्ति की धार है।

ग्रामीण क्षेत्र में एक प्रतिशत तथा शहरी क्षेत्र में तीन प्रतिशत का लक्ष्य जिस दिन प्राप्त हो जाएगा भारत माता परम वैभव पर स्थापित हो जाएंगी।

जाति, वर्ग, पंथ आदि में बठकर समाज का उत्थान संभव नहीं है सभी भारत के निवासी है यह मानकर सभी को एक समान भाव से गले लगाना होगा। 

जब तक हिंदुस्तान में एक भी हिंदू जीवित है तब तक यह हिंदू राष्ट्र ही रहेगा। 

लोगों का क्या है, वह आप पर पत्थर ही फेकेंगे

 यह आप पर निर्भर करता है यह आप पर निर्भर करता है उन पत्थरों का आप क्या करेंगे एक समझदार उन पत्थरों से मजबूत नींव डालता है वही नासमझ अपना मार्ग परिवर्तित करता है। 

दूसरों को सुनाने के लिए जरूरी नहीं कि आप

अपनी आवाज ऊंची करें अपना व्यक्तित्व ऊंचा करके भी अपनी बात दूसरों को सुना सकते हैं। 

स्वयंसेवक को स्वाद और विवाद दोनों त्याग कर आगे बढ़ जाना चाहिए स्वाद छोड़ने पर शरीर को फायदा होता है वही विवाद को छोड़कर संबंध मजबूत होते हैं। 

पैर में चक्कर, मुंह में शक्कर दिल में आग , शीश पर फाग। 

स्वयं के फिक्र से तनाव उत्पन्न होता है वही समाज के फिक्र से लगाव। 

जहां स्वार्थ की सीमाएं समाप्त होती है वहीं से इंसानियत आरंभ होती है। 

जीवन को बदलने के लिए लड़ना पड़ता है वहीं जीवन को सुगम बनाने के लिए समझना। 

सच्चे इंसान की भगवान, सदैव परीक्षा लेता है किंतु साथ नहीं छोड़ता बुरे लोगों को भगवान बहुत कुछ देता है पर साथ नहीं देता। 

जिसे निभाया ना जा सके ऐसा वादा ना करें

अपनी हदों को पहचान बातें ज्यादा ना करें

इरादा रखो, सदैव आसमान छूने की साथी तुम्हारा गिर जाए ऐसा इरादा ना करें। 

असफलता के डर से, सफलता का मार्ग क्यों छोड़ते हो पथ है कटीला तो भी, पीछे क्यों हट ते हो रखकर हौसला खुद पर देखो, सफल होने से क्यों चुकते हो। 

मैले और गंदे कपड़ों से शर्म मत करो मैले विचार और मन से शर्म करो समाज निश्चित बदलेगा एक दिन जहां हो वहीं रुक कर प्रकाश करो।

कायनात बदल देता है वह जिसके पास विश्वास होता है ऐसे हौसले वालों के संग ईश्वर आस पास होता है।

लोग आपको जरूरत के समय याद करें तब भी घबराने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आप उनके लिए उम्मीद की किरण है जो उनका मार्गदर्शन कर सकती है।

 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना

 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 27 सितंबर 1925 में डॉ केशव हेडगेवार ने विजयदशमी के पावन अवसर पर की थी परंतु जब 1975 में आपातकाल घोषित किया और सभी जन संगठनों में प्रतिबंध लगाए गए तो उस वक्त राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में भी प्रतिबंध लगाया गया परंतु बाद में सभी संगठनों से प्रतिबंध हटा लिए गए।  

RSS संघ का नामकरण

आर एस एस संघ को बनाने से पहले इसके नाम रखने के लिए अनेक विचार किए गए , कि आखिर इसका नाम क्या रखा जाए? उस वक्त इस संस्थान में केवल 26 सदस्य थे। उस दौरान इसका नाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संगठन रखा गया। बता दे उस दौरान संगठन का नाम चुनने के लिए वोटिंग कराई गई जिसमें से 20 सदस्यों का मत ” राष्ट्रीय स्वयंसेवक संगठन ” नाम को दिया गया तथा 6 लोगों का मत अन्य नाम पर था।

1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का महत्वपूर्ण सहयोग

स्वयंसेवक संघ के सदस्यों ने भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अधिक से अधिक लोगों को इस आंदोलन के प्रति जागृत करने का कार्य किया। 

इस आंदोलन में संगठन के सदस्यों ने विभिन्न प्रकार के अत्याचारों का सामना किया और एक दर्जन से भी अधिक लोगों ने आंदोलन में अपना बलिदान दिया। इसी दौरान नागपुर में स्थित रामटेक के तत्कालीन नगर में एक कार्यकर्ता रामकांत किशोर दत्त पांडे द्वारा इस आंदोलन में भाग लेने के कारण, अंग्रेजों द्वारा इन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई गई।

क्योंकि इन्होंने पहले भी एक वनवासी कल्याण के लिए आश्रम की स्थापना की थी। 1942 में देश के प्रत्येक कोने में स्वयं सेवक दल के सदस्य अंग्रेजों का विरोध कर रहे थे। उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के मवाना तहसील में झंडा लहरा रहे एक स्वयं सेवक दल के सदस्य पर पुलिस द्वारा गोली चलाई गई तथा अनेक लोगों को घायल किया गया।

इस आंदोलन में सभी आंदोलनकारियों की सहायता के लिए उन्हें शरण देना तथा उनके लिए आवश्यक भोजन की व्यवस्था करना सबसे महत्वपूर्ण कार्य में से एक था, क्योंकि अंग्रेज सरकार के साथ-साथ कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता भी देशभक्तों को पकड़ने का कार्य कर रहे थे। इसीलिए इस संगठन के अनेक सदस्यों ने क्रांतिकारियों को अपने घरों में शरण भी दी और अनेक कष्ट सहन किये। 

RSS से कैसे जुडे

 आर एस एस से जुड़ना चाहते हैं तो बता दे इसके लिए कोई विशेष प्रकार की औपचारिक प्रक्रिया तथा सदस्यता नहीं है । RSS संगठन 18 साल से नीचे की उम्र के बच्चों को देश प्रेम के विचारों से आकर्षित करने के लिए तथा देश के प्रति अपनी भावनाओं को उजागर करने के लिए बालभारती और बालगोकुल जैसे संस्थानों में कार्य कर रहा है। 

तथा प्रत्येक विश्वविद्यालय को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए विभिन्न प्रकार की जानकारियां दे रहा है। यदि आप भी इस संगठन से जुड़ना चाहते हैं या फिर इस संगठन में कार्य करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले इस संघ के दैनिक तथा मानसिक कार्यों में खुद को शामिल करना होगा इस प्रकार आप इस संगठन का मजबूत हिस्सा बन सकते हैं ।

इस संगठन की शाखाएं आपको प्रत्येक क्षेत्र तथा शहर में मिल जायेंगी। इस संगठन में सभी स्तरों पर मंडल की बैठक होती है  संगठन का उद्देश्य शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना है इसलिए संगठन के कार्यकर्ता व्यायाम,खेल ,भजन, गीत इत्यादि करते हैं और सिखाते हैं।

RSS के फायदे

RSS के मुख्य सदस्य मोहन भागवत का मानना है कि संगठन से जुड़ने से लोगों को किसी प्रकार का फायदा नहीं होता क्योंकि r.s.s. विशेष प्रकार का संगठन नहीं है जिसमें व्यक्ति अपने लाभ के लिए शामिल होना चाहे। इसमें केवल उन्हीं लोगों को शामिल होना चाहिए जो अपने राष्ट्र तथा समाज का कल्याण चाहते हो।

यदि कोई भी साधारण व्यक्ति RSS में शामिल हो जाता है तो इससे हमारे समाज तथा देश को अनेकों फायदे मिलते हैं । क्योंकि इससे जुड़कर हर कोई जाति भेदभाव को भूल जाता है इसमें विभिन्न प्रकार के ऐसे कार्य सीखने को मिलते हैं जिससे हम समाज तथा राष्ट्र के विकास में अपना सहयोग कर सकें।

उम्मीद है की आपको राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर स्लोगन | RSS Slogan in Hindi से जुड़ी सभी जानकारी मिल चुकी होगी।

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