महात्मा गाँधी पर भाषण – Speech On Mahatma Gandhi In Hindi


दोस्तों अगर आप गांधी जी पर भाषण देना चाहते हो तो आजके इस पोस्ट में हम आपके साथ महात्मा गाँधी पर भाषण – Speech On Mahatma Gandhi In Hindi, 10 points on mahatma gandhi in hindi, short and long speech on Mahatma Gandhi share करिंगे।

” दे दी हमें आजादी बिना खड़ग बिना ढाल साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल ” – ये केवल एक पंक्ति नहीं अपितु गांधी जी के जीवन का आधार है। गांधी जी ने बिना कोई शस्त्र या अस्त्र उठाएं दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति को हार मानने पर मजबूर कर दिया और हमारे देश को आजादी दिलाने में एक अहम भूमिका निभाई। सदियों से चली आ रही गुलामी से हमारे देश को गांधी जी के अहिंसा के सूत्र ने देश को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई ।

गांधी जी केवल एक स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनीतिज्ञ ही नहीं थे, वे तो एक महात्मा थे उनका यह मानना था कि पापी से नहीं बल्कि पाप से घृणा करना चाहिए अगर कोई तुम्हारे एक गाल पर थप्पड़ मारे तो तुम अपना दूसरा गाल भी सामने कर दो।

गांधी जी हमेशा लोगों को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाते हैं अगर आप गांधी जी के ऊपर भाषण की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो ये आर्टिकल जरूर पढ़ें क्योंकि इस आर्टिकल में हम आप को गांधी जी के ऊपर भाषण का एक बहुत ही अच्छा नमूना पेश करने वाले हैं जिसका इस्तेमाल आप कहीं भी कर सकते हैं।

आप चाहे तो इस भाषण को 2 अक्टूबर के अवसर पर सुना सकते हैं या फिर आप चाहे तो इसे 30 जनवरी के अवसर पर भी सुना सकते है। ये भाषण ऐसा है कि आप को इसे अपने स्कूल, कॉलेज या ऑफिस कही भी सुनाने से पहले सोचना नहीं पड़ेगा। आप इस भाषण को किसी भी अवसर पर सुना सकते है और खासकर गांधी जयंती के अवसर पर ये भाषण आप के सेलिब्रेशन को चार चांद लगा देगा।

महात्मा गाँधी पर भाषण – Speech On Mahatma Gandhi In Hindi

माननीय मुख्य अतिथि आदरणीय प्राचार्य महोदय, मेरे सम्मानित शिक्षक गण और मेरे प्यारे सहपाठियों, आज 2 अक्टूबर के दिन गांधी जी की जयंती है और साथ ही आज अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस भी है।

सबसे पहले मैं आप सभी को इस दिन की हार्दिक बधाई देता हूं। मेरे प्यारे मित्रों क्या आपको यह बात पता है – मार्टिन लूथर किंग, नेल्सन मंडेला, सबसे बड़े साइंटिस्ट अल्बर्ट आइंस्टीन और एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स जैसे विश्व के प्रसिद्ध दिग्गज हस्तियों में क्या एक समानता है?

यह सभी दिग्गज हस्तियां आम कद-काठी और चेहरे-मोहरे वाले इंसान मोहन करमचंद गांधी के बहुत बड़े अनुयायी थे या यूं कहें कि उनके फॉलोअर्स थे यह सभी बड़ी हस्तियां गांधी जी को फॉलो करते थे क्योंकि यह इंसान बाहर से जितना आम दिखता था अंदर से उतना ही खास था। उनकी इसी खासियत पर आइंस्टाइन ने यह तक कह दिया कि – हमारी आने वाली पीढ़ियां मुश्किल से इस बात पर यकीन कर पाएगी कि कभी मांस और रक्त से पूर्ण ऐसा भी कोई व्यक्ति था जो इस धरती पर चला था।

मित्रों मैं आज इस मंच से हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे प्रमुख राजनैतिक वह आध्यात्मिक नेता मोहन करमचंद गांधी के अनमोल जीवन पर प्रकाश डालूंगा और आज के इस अवसर में गांधीजी के शिक्षाओं के औचित्य पर अपने विचार प्रस्तुत करूंगा।

आज से करीब 150 साल पहले 2 October 1869 के दिन गुजरात के पोरबंदर शहर में मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म करमचंद गांधी और पुतलीबाई के घर उनके छोटी संतान के रूप में हुआ था। गांधी जी का पूरा बचपन श्रवण कुमार, प्रहलाद और हरिश्चंद्र जैसे महान पुरुषों की कहानियां सुनने और उनसे मिली सीख को आत्मसात करने में बीता। बचपन से ही गांधी जी अन्य बच्चों की तरह एक साधारण बालक थे।

गांधी जी पढ़ाई – लिखाई और खेलकूद में भी साधारण थे। उनका विवाह बचपन में ही हो गया था, जब वे मात्र 13 साल के थे तब उनका विवाह उनसे 1 साल बड़ी कस्तूरबा से हो गया था। गांधी जी डॉक्टर बनना चाहते हैं लेकिन विवाह हो जाने के बाद डॉक्टर की पढ़ाई करना उनके लिए मुमकिन नहीं था साथ ही वैष्णव परिवार में चीर फाड़ करने की मनाई थी इसलिए वे वकालत की पढ़ाई करने में लग गए।

वकालत की पढ़ाई करने के लिए साल 1888 में अपने हाल ही में पैदा हुई संतान को छोड़ गांधीजी वकील बनने के लिए इंग्लैंड चले गए। 4 साल की वकालत की पढ़ाई खत्म करके जब गांधी जी भारत लौटे तब उन्होंने कुछ दिनों तक मुंबई और राजकोट में अपनी वकालत की प्रैक्टिस की जहां उन्हें कोई खास कामयाबी नहीं मिल सकी क्योंकि किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था।

दादा अब्दुल्लाह नामक एक व्यापारी ने गांधी जी को 1893 में साउथ अफ्रीका बुला लिया जहां पर उस समय हमारे देश के तरह ही ब्रिटिश सरकार की हुकूमत थी। 23 साल की उम्र में जब मोहनदास करमचंद गांधी साउथ अफ्रीका पहुंचे उन्हें अपने हर कदम पर भेदभाव का सामना करना पड़ा।

जब गांधी जी अफ्रीका के लिए निकले ही थे तब सही टिकट होने के बाद भी केवल उनके रंग और नस्ल अलग होने के कारण उन्हें रेलगाड़ी के प्रथम दर्जे से बाहर फेंक दिया गया इस तरह की बेज्जती सहने के बाद कोई आम इंसान होता तो भाग कर वापस आ जाता लेकिन यह आम इंसान नहीं बल्कि गांधी जी थे इस तरह के अनगिनत घटनाओं के होने के बाद भी गांधी जी 21 साल तक साउथ अफ्रीका में ही रहे और वहां व्याप्त कुरीतियों व लोगों के ऊपर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ लड़ते रहे।

गांधी जी ने साउथ अफ्रीका में रहकर ही उनके द्वारा स्थापित फिनिक्स और टॉलस्टॉय फार्म में सत्याग्रह को एक नया रूप दिया और उसे एक शस्त्र के रूप में विकसित किया। साउथ अफ्रीका में बिताया गया समय गांधी जी के लिए कितना महत्वपूर्ण था यह उनके द्वारा दिए गए भाषण से समझा जा सकता है एक बार उन्होंने अपने भाषण में कहा कि – I was born in India but I was made in South Africa.

जब गांधीजी साउथ अफ्रीका में सत्याग्रह कर रहे थे तब उस समय गोपाल कृष्ण गोखले के निवेदन पर गांधी जी भारत को ब्रिटिश सरकार के चंगुल  से स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से 1915 में भारत वापस लौट आये। अंग्रेजी हुकूमत से भारत को आजाद कराने के लिए गांधीजी ने भारत में पहला आंदोलन 1917 में किया जिसका नाम चंपारण सत्याग्रह है, इस आंदोलन के अंतर्गत गांधी जी ने बिहार के चंपारण जिले में हो रही नील की खेती से वहां के किसानों को मुक्त कराया।

चंपारण सत्याग्रह के बाद उन्होंने 1917 में ही गुजरात के खेड़ा प्रदेश में बाढ़ और अकाल के बावजूद वसूले जा रहे हैं लगान के विरुद्ध आंदोलन छेड़ा वो भी बिना किसी हिंसा के। गांधी जी के अहिंसक आंदोलन ने अंग्रेजों को समझौता करने पर मजबूर कर दिया।

अहिंसा के बल पर लड़ कर गांधी जी ने वो काम कर दिखाया जो बहुत से स्वतंत्रता सेनानी हिंसा के बल पर भी नहीं कर सके और इन सभी सफल आंदोलन के कारण गांधीजी की कीर्ति पूरे देश भर में छाने लगी और लोग उन्हें अलग-अलग नामों से पुकारने लगे। विश्व गुरु रविंद्र नाथ टैगोर जी ने गांधी जी को “महात्मा” के नाम से पुकारा और नेता जी ने गांधी जी को राष्ट्रपिता के नाम से पुकारने लगे इन सभी के साथ देश के लोग गांधी जी को महात्मा और बापू के नाम से पुकारने लगे।

खेड़ा आंदोलन के बाद गांधी जी ने भारतीय मुसलमानों के खिलाफत आंदोलन में अपना सहयोग देकर मुसलमानों को भी अपने पक्ष में कर लिया जिसके कारण भारत में हो रहे हिंदू मुस्लिम दंगे भी बंद हो गए और इन दंगों पर कुछ सालों तक लगाम लग जाए। भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए गांधीजी ने इस तरह के कई आंदोलन किए। भारत में तेजी से उभर रहे इन राष्ट्रीय आंदोलन को रोकने के लिए ब्रिटिश सरकार ने 1919 में रोलेट एक्ट पास किया इस एक्ट के अंतर्गत किसी भी भारतीय को अदालत में बिना मुकदमा चलाये किसी भी दोष के लिए जेल में बंद किया जा सकता था।

इस एक्ट के जरिए हो रही अंग्रेजों की नाफरमानी को रोकने के लिए गांधी जी ने अंग्रेजो के खिलाफ असहयोग आंदोलन छेड़ दिया और देशवासियों से अनुरोध किया कि वह अंग्रेजो के विरुद्ध शांतिपूर्ण ढंग से विद्रोह करें। असहयोग आंदोलन के दौरान देशभर में लोग अंग्रेजों द्वारा बनाए कपड़ों व वस्तुओं को जलाने लगे।

जलियांवाला बाग हत्याकांड के बारे में कौन नहीं जानता इस तरह का अंतरराष्ट्रीय आंदोलन जब 13 अप्रैल 1919 के दिन जलियांवाला बाग में किया जा रहा था तब जनरल डायर के एक आदेश पर अंग्रेजी सेना ने सैकड़ों लोगों को गोली से भून दिया इतने बड़े हत्याकांड के बाद में गांधीजी अपने पथ प्रदर्शक को अहिंसा के मार्ग पर चलने का ही संदेश देते रहे। देखते ही देखते पूरा देश गांधी जी के इस असहयोग आंदोलन में शामिल हो गया।

गांधी जी के इस असहयोग आंदोलन से अंग्रेज भी परेशान हो उठे क्योंकि देशवासियों के साथ साथ अंग्रेजों को भी ये प्रतीत होने लगा कि जल्द ही भारत ब्रिटिश सरकार के गुलामी से मुक्त हो जाएगा। जब देशवासी स्वराज का सपना देख रहे थे तभी 5 फरवरी 1922 के दिन चौरी- चौरा कांड हो गया। चौरी चौरा कांड में कई अंग्रेज पुलिस वालों को जिंदा जला दिया गया चौरी चौरा कांड ने गांधी जी के पूरे मेहनत को असफल कर दिया।

“मैं मरने के लिए तैयार हूं, लेकिन ऐसी कोई भी वजह नहीं है जिसके लिए मैं मानने को तैयार हूं”- हर समय ये कहने वाले गांधी जी इस घटना से क्षुब्ध हो गए और उन्होंने दुखी हो कर उन्होंने असहयोग आंदोलन को भी वापस ले लिया जिसके बाद गांधी जी को पकड़कर जेल में डाल दिया गया जिसके बाद गांधी जी कुछ सालों तक जेल में ही रहे।

नमक पर लगा टैक्स का विरोध करने के लिए गांधी जी ने मार्च 1930 में 400 किलोमीटर की यात्रा पूरी करके अहमदाबाद से दांडी पहुंचे जहां उन्होंने कानून तोड़कर खुद नमक बनाया। गांधी जी के आंदोलन को जनता के द्वारा आपार समर्थन मिला इस आंदोलन को विश्व के कई देशों की मीडिया ने प्रमुखता से उछाला इस आंदोलन के बाद अंग्रेज काफी दबाव में थे जिसके वजह से गांधी जी का राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस के लिए लंदन बुलाया गया लेकिन इस आंदोलन का परिणाम भी असफल रहा।

मित्रों, इस समय से जुड़ा एक किस्सा है जो मैं आप सब को जरूर सुनाना चाहूंगा – गांधी जी जब इंग्लैंड के राजा king George से मिलकर बकिंघम पैलेस से बाहर निकले तब गांधी जी ने केवल धोती पहन रखा था उनके इस रूप को देखकर एक पत्रकार ने पूछा कि क्या आपने पर्याप्त कपड़े पहने हुए हैं? पत्रकार के इस प्रश्न का उत्तर देते हुए गांधी जी ने कहा- किंग जॉर्ज ने इतने कपड़े पहने हुए हैं, जो हम दोनों के लिए पर्याप्त है।

दांडी मार्च के बाद भारत में गांधी जी के नेतृत्व में 1942 में भारत छोड़ो नामक एक बहुत बड़ा आंदोलन हुआ यह आंदोलन दूसरा आंदोलन से अलग था यह एक अत्यंत शक्तिशाली आंदोलन था इस आंदोलन में हजारों की संख्या में स्वतंत्रता सेनानी या तो अंग्रेजी पुलिस के हाथों मारे गए या फिर उनके हाथों घायल हो गए इतना ही नहीं इस आंदोलन में हजारों की संख्या में लोग गिरफ्तार भी हुए यह वही आंदोलन था जिसमें गांधी जी ने पूरे देश को एकजुट किया और उन्हें अपने अंतिम सांस तक विद्रोह करने के लिए प्रेरित किया।

इस आंदोलन में गांधीजी ने करो या मरो का नारा दिया जिसके कारण उन्हें 2 साल के लिए जेल में डाल दिया गया लेकिन गांधीजी के इस प्रयास ने देश के लोगों को संगठित कर दिया जिसके बाद सैकड़ों सालों से चली आ रही गुलामी का दौर खत्म हुआ और 15 अगस्त 1947 के दिन हमारा देश अंग्रेजों की चंगुल से आजाद हो गया।

दोस्तों यह एक दुख की बात है कि जीवन भर अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले गांधी जी का अंत हिंसा द्वारा किया गया। 30 जनवरी 1948 के दिन गांधी जी को नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।

क्या सचमुच इन गोलियों ने गांधीजी को मार डाला नहीं! गांधी जी आज भी हमारे विचारों में जिंदा है और हमेशा हमारे विचारों में जिंदा रहेंगे। गांधी जी सत्य का रूप है, और सत्य शाश्वत होता है जो कभी मरता नहीं इसीलिए गांधी आज भी जिंदा है।

इस भाषण का अंत करते हुए मैं बस इतना कहना चाहूंगा गलत कहते हैं वो लोग कि- मजबूरी का नाम महात्मा गांधी! मजबूरी का नहीं, अपितु मजबूती का नाम है महात्मा गांधी!

धन्यवाद।

उम्मीद है की अब आपको महात्मा गाँधी पर भाषण – Speech On Mahatma Gandhi In Hindi, 10 points on mahatma gandhi in hindi, short and long speech on Mahatma Gandhi! से जुड़ी पूरी जानकारी मिल चुकी होगी।

उम्मीद है की आपको महात्मा गाँधी पर भाषण – Speech On Mahatma Gandhi In Hindi! का यह पोस्ट पसंद आया होगा, और हेल्पफ़ुल लगा होगा।

आपको यह पोस्ट कैसा लगा नीचे कॉमेंट करके ज़रूर बताए, और अगर आपको यह पोस्ट पसंद आया हो तो इसको अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर भी कर दें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here