शिक्षक दिवस पर भाषण – Teacher’s Day Speech In Hindi


अगर आप शिक्षक दिवस पर भाषण देना चाहते हो और Teacher’s Day Speech In Hindi तलाश रहे हो तो आज इस पोस्ट में हम आपके साथ Speech on Teachers Day in Hindi, Teacher’s Day Speech for students & teachers, long and short Teacher’s Day Speech share करिंग।

भारतवर्ष में त्योहारों के साथ साथ कुछ विशेष दिवस भी हैं, जिनका अपना महत्व है। उनमें से एक शिक्षक दिवस है जिसे Teachers Day के नाम से भी हम जानते हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान देने वाले डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की याद में हम कई दशकों से उनके जन्मदिन को Teachers Day के रूप में मनाते आ रहे हैं। Teacher’s Day के दिन स्कूलों में विद्यार्थियों को भी बतौर शिक्षक छात्रों को पढ़ाने एवं उन्हें कुछ सिखाने का अवसर मिलता है।

यदि आप भी अभी स्कूल या कॉलेज में है तो आज हम आपके लिए शिक्षकों के सम्मान में मनाए जाने वाले इस दिन Teachers Day के विषय पर स्पीच लेकर आए हैं। आशा है शिक्षक दिवस पर प्रस्तुत किए गए यह भाषण आपको जरूर पसंद आएंगे।

Teachers Day की इस स्पीच को आप विद्यालय की Stage से सुना कर सभी टीचर्स को सम्मान दे सकते हैं।

शिक्षक दिवस पर भाषण – Teacher’s Day Speech In Hindi

भाषण 1 (Long Speech On Teacher’s Day In Hindi)

यहां उपस्थित सभी आदरणीय शिक्षक, माननीय प्रिंसिपल एवम सहपाठियों को सुप्रभात। मैं आभार व्यक्ति करता हू उन शिक्षकों एवम आयोजकों को जिन्होंने आज शिक्षक दिवस के खास मौके पर मुझे विचार व्यक्त करने का अवसर दिया है। प्रति वर्ष 5 सितंबर का दिन भारत वर्ष के सभी विद्यालयों, कॉलेज में शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाता है। देश के प्रथम उप राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती की याद में शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

डॉक्टर राधाकृष्णन एक प्रसिद्ध विद्वान,दार्शनिक होने के साथ-साथ एक आदर्श शिक्षक थे। उनका नाम भारत के वीर स्वतंत्रता सेनानियों में भी आता है। देश की आजादी के उपरांत उन्होंने वर्ष 1952 से लेकर 1962 तक पहले उपराष्ट्रपति के तौर पर कार्यकाल संभाला।

लेकिन क्योंकि पेशे से वे एक अध्यापक थे उन्होंने अपने लेखों और भाषणों के माध्यम से पूरे विश्व को दर्शनशास्त्र से परिचित करवाया। उनका मानना था कि यह पूरा विश्व एक विद्यालय ही है। मनुष्य के जीवन में शिक्षा कितनी आवश्यक है यह वह भली भांति जानते थे उनका मानना था कि समाज में फैली बुराइयों को मिटाना है तो यह शिक्षा से ही संभव हो सकता है।

दर्शन शास्त्र का अध्ययन करने एवं इसमें विश्व ख्याति पाने के बाद उन्होंने मैसूर तथा कोलकाता के विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर के रूप में दर्शन शास्त्र का छात्रों को ज्ञान दिया। एक आदर्श शिक्षक के तौर पर डॉक्टर राधाकृष्णन के पढ़ाने का तरीका छात्रों को बेहद पसंद आता था दर्शनशास्त्र जैसा जटिल विषय भी से अपनी शैली की नवीनता से सरल बना देते थे।

उनका मानना था कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होना चाहिए तथा एक शिक्षक, छात्र एवं शिक्षा पद्धति के बीच में बेजोड़ संबंध होना चाहिए। वे भारत की शिक्षा प्रणाली में सुधार करने हेतु तत्पर कार्य करते रहे। शिक्षा के क्षेत्र में उनके द्वारा अविस्मरणीय योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। वर्ष 1954 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया एवं भारत के उपराष्ट्रपति होने के बावजूद इतने उच्च पद पर आसीन उनका व्यवहार बतौर शिक्षक की तरह ही विनम्र होता था।

बात है वर्ष 1962 की जब डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन  राष्ट्रपति पद पर आसीन थे। उस दौरान उनके कुछ प्रशंसक/ शिष्य उनके पास गए और उनसे उनके जन्मदिन के अवसर पर जश्न मनाने को कहा। यह सुनकर डॉक्टर राधापल्ली सर्व कृष्ण ने कहा मुझे बेहद गर्व महसूस होगा यदि आप मेरे जन्मदिन को एक शिक्षक दिवस के रुप में मनाए।

और तभी से लगभग 70 साल बीत चुके हैं हम प्रतिवर्ष शिक्षक दिवस के रूप में तीन को मना रहे हैं।

साथियों शास्त्रों में गुरु को भगवान से भी ऊपर का दर्जा दिया गया है। एक शिष्य के जीवन में गुरु का महत्व भली भांति समझा जा सकता है। क्योंकि जहां माता पिता अपनी संतान को जन्म देते हैं वहीं एक गुरु हमें नैतिक और अनैतिक के बीच का भेद बता कर हमारा मार्गदर्शन करते हैं।

गुरु हमें शिक्षा देते हैं और इस योग्य बना पाते हैं कि हम स्वयं के, अपने परिवार के एवं पूरे राष्ट्र के हित में कार्य कर सकें। एक शिक्षक से हम न सिर्फ किताबी ज्ञान बल्कि पूरे जीवन मैं काफी कुछ सीखते है। इस संदर्भ में मैं यहां पर एक गुरु एवं शिष्य की प्रेरक कहानी सुनाना चाहूंगा।

एक बार की बात है एक गुरु अपने शिष्यों के साथ पैदल यात्रा पर निकल पड़े। पैदल चलते चलते वे एक गांव में पहुंच गए। सिर पर धूप अधिक होने की वजह से उन्होंने थोड़ी देर वहां जाकर विश्राम करने का सोचा लेकिन लंबी दूरी तय करने की वजह से गुरूजी काफी थक चुके थे। और उनको अब प्यास लगने लग गई थी

इस बीच एक शिष्य ने गुरु को प्यासा देख एक कहा गुरु जी मैं आपके लिए पानी लेकर आता हूं और वह चल पड़ा अब थोड़ी दूर जाने के बाद उसे एक नदी देखने को मिली। लेकिन शिष्य ने वहां देखा कि नदी में कुछ लोग नहा रहे हैं? तो कुछ कपड़े धो रहे हैं? नदी का पानी काफी मैला वहो चुका था। यह देखकर वह शिष्य वापस गुरु के स्थान की ओर मुड़ गया। और गुरु जी को सारी बात बता दी यह सुनते ही गुरु जी ने अपने एक दूसरे शिष्य को पानी लाने के लिए उसी स्थान पर भेजा।

लेकिन थोड़ी देर बाद दूसरा शिष्य गुरु जी के लिए पानी लेकर आ जाता है। अब गुरु शिष्य से पूछते हैं कि तुम यह पानी कहां से लेकर आए? तब शिष्य ने कहा गुरुजी यह पानी तो उसी नदी का ही है। और मेरे जाने के बाद भी वह पानी गंदा भी था। परंतु धीरे-धीरे लोग उस नदी से जाने लगे तो जो मिट्टी थी वह नीचे बैठती चली गई और जो साफ पानी था वह ऊपर आया गया तो मैं पानी भरकर शुद्ध जल ले आया।

यह सुनकर गुरूजी काफी प्रसन्न हुए। और उन्होंने सभी शिष्यों को कहा कि इस नदी रूपी जल के समान ही हमारा जीवन भी है। जिसमें मौजूद गंदा जल हमारे जीवन में आने वाला दुख है जो कुछ समय तक तो रहता है परंतु फिर स्वतः गायब हो जाता है तो हमें कभी भी अपने जीवन के इन दुखों से विचलित होकर हार नहीं माननी चाहिए।

इस कहानी से हमें सीख मिलती कि अधिकतर लोग पहले शिष्य के समान गंदा जल देखकर अपनी समस्याओं से भाग जाते हैं। वहीं कुछ लोग मुश्किल की घड़ी में धैर्य के साथ उसका मुकाबला करते हैं और वे सफल हो जाते हैं। इन्हीं अंतिम शब्दों के साथ यहां उपस्थित सभी शिक्षक गणों को में एक बार फिर से नमस्कार एवं आभार व्यक्त करना चाहूंगी जिन्होंने इस गौरव के मौके पर मुझे अपने विचार रखने का मौका दिया धन्यवाद।

भाषण 2 (Medium Speech On Teacher’s Day In Hindi)

गुरु को हम माता-पिता की मूरत कहते हैं। और कलयुग में उन्हें भगवान की सूरत भी कहते हैं, उनके चरणों में प्रणाम करते हुए उन्हें शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं देता हूं।

आज हम सभी यहां शिक्षक दिवस को मनाने के लिए उपस्थित हुए हैं। आज का यह दिन सभी शिक्षकों के साथ-साथ छात्रों के लिए भी महत्वपूर्ण है। क्योंकि वर्ष में यह ऐसा दिन होता है जिस दिन हम अपने गुरुओं को उनके द्वारा हमें दी जाने वाली शिक्षा के लिए सम्मानित करते हैं। एवं उनके मार्गदर्शन के लिए अपना आभार व्यक्त करते हैं

जिस प्रकार घोड़े की लगाम घोड़े की मालिक के पास होती है उसी प्रकार एक शिक्षक के हाथों में छात्र के भविष्य निर्माण  कि वह कुंजी होती है जिससे छात्र अपने उज्जवल भविष्य का द्वार खोल सकता है। गुरु अपने शिष्य के जीवन में शिक्षा का दीपक जलाकर उनके जीवन में ज्ञान का प्रकाश करते है। जिससे छात्र एक दीपक की बाती अपने प्रकाश से दूसरों के भी जीवन को भी  उज्जवल कर सके।

इसलिए शास्त्रों में शिक्षकों को भगवान से भी ऊंचा दर्जा दिया गया है क्योंकि वही हमें जीवन में बताते एक ईश्वर कौन है? और कैसे हम उन तक पहुंच पाते है। शिक्षक समान रूप से सभी छात्रों को शिक्षा देते हैं वह बिना किसी भेदभाव के सभी छात्रों को अपना शिष्य समझते हैं।

अतः 5 सितंबर का यह दिन शिक्षक दिवस के रूप में गुरुओं को सम्मानित करने का एक दिवस है। इस दिन विद्यालयों कॉलेजों में शिक्षकों द्वारा छात्रों की शिक्षा में उनके द्वारा दिए गए योगदान एवं उनके मार्गदर्शन का स्मरण किया जाता है। एवं एक गुरु की भूमिका जीवन में कितनी महत्वपूर्ण होती है? इसे समझने का प्रयास किया जाता है।

एक शिशु द्वारा बाल्यकाल में ABCD से लेकर उच्च स्तर की शिक्षा हासिल करने के पीछे गुरु का ही मार्गदर्शन होता है। अतः एक व्यक्ति अपने जीवन में चाहे किसी भी पद तक क्यों ना पहुंच जाएं। उसे अपने गुरुओं का सम्मान करना उनके प्रति आभार व्यक्त करना कभी नहीं भूलना चाहिए।

माता-पिता हमें जन्म देकर हमें इस पृथ्वी पर लाते हैं। वहीं गुरु हमें इस जीवन को जीना किस तरह है? सही गलत के बीच का फर्क बता कर हमारे चरित्र का निर्माण करते हैं। इसलिए एक राष्ट्र में अच्छे नागरिको के होने के पीछे गुरु का विशेष हाथ होता है।

इसीलिए कहा जाता है राष्ट्र को बेहतर बनाने के लिए उसके नागरिकों का शिक्षित होना आवश्यक है। क्योंकि शिक्षा के माध्यम से वे राष्ट्र के प्रति अपनीअच्छी भावना, अच्छे विचारों से अच्छे कार्यों को अंजाम दे पाएंगे। लेकिन दूसरी तरफ राष्ट्र में नागरिकों को शिक्षा नहीं मिलती है।

तो उस राष्ट्र के नागरिक जीवन में भटकते रहते हैं, से अपने जीवन के कर्तव्यों सिद्धांतों को भूलकर सामाजिक बुराइयों में लिप्त हो जाते हैं। उनका भविष्य अंधकारमय हो जाता है अतः ऐसा ना हो सके इसलिए बचपन से ही माता-पिता अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजकर शिक्षकों के हाथों उन्हें सौंप देते हैं ताकि वे उनका भविष्य निर्माण कर सकें।

अतः शिक्षक की छात्र के प्रति जिम्मेदारी कितनी बड़ी है, यह शब्दों में बयां नहीं की जा सकता। इन्हीं अंतिम शब्दों के साथ में समस्त शिक्षक गणों को उनके द्वारा हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए किए गए प्रयासों के लिए आभार व्यक्त करता हूं।

भाषण 3 (Short Speech On Teacher’s Day In Hindi)

आदरणीय प्रधानाचार्य जी एवं यहां उपस्थित सभी शिक्षक गणों को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। आज मैं यहां शिक्षक दिवस के मौके पर एक लघु भाषण आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूं। कहा जाता है कि एक देश की प्रगति में उस देश के शिक्षकों का सबसे अधिक योगदान होता है। क्योंकि एक शिक्षक का जीवन उस देश का आधार या नींव कहे जाने वाले बच्चों, युवाओं को शिक्षित करने में लग जाता है।

अर्थात शिक्षक छात्रों की बेहतर शिक्षा के लिए सर्वस्व त्याग देता है। बचपन में जब एक शिशु स्कूल में जाता है तो उसका जीवन गीली मिट्टी की तरह होता है। जिसे जैसा चाहो वैसे आकार में ढाला जा सकता है अतः गुरु उस शिष्य के जीवन कि महत्वपूर्ण जिम्मेदारी हाथों में लेकर उसके जीवन को आकार देकर उसका मार्गदर्शन करते हैं।

राष्ट्र को बेहतर बनाने के लिए गुरु अपने शिष्यों के बौद्धिक एवं मानसिक विकास करते हैं ताकि एक सुंदर राष्ट्र का निर्माण हो सके। यही वजह है कि जीवन में आगे चलकर जब शिष्य सफलता प्राप्त करता है तो उसकी सफलता के पीछे गुरु का नाम भी आता है। इसलिए कहा जाता है जीवन में शिक्षक बनने की जिम्मेदारी से बड़ा कोई कर्तव्य एवं पेशा नहीं।

क्योंकि जब आप एक शिक्षक बनते हैं तो छात्रों के भविष्य की डोर आपके हाथों जाती है वह डोर आसानी से टूट ना सके इसके लिए सदैव शिक्षक अपने छात्रों को बेहतर से बेहतर शिक्षा देने का प्रयत्न करता है। अतः एक राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिए उस राष्ट्र के शिक्षकों का योगदान कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। इसलिए विश्व के विभिन्न देशों में शिक्षकों कि याद में टीचर्स डे अलग अलग तिथियों में मनाया जाता है।

भारत में यह दिन 5 सितम्बर का होता है। क्योंकि इस दिन भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जयंती के मौके पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर छात्रों को भी एक शिक्षक के जीवन की जिम्मेदारियों चुनौतियों को करीब से समझने का मौका मिलता है।

इस दिन छात्रों को भी अपने स्कूल, कॉलेज में बतौर शिक्षक बनने के मौका दिया जाता है। कक्षाओं के अनुसार छात्रों को विभिन्न विषयों का शिक्षक बनने कि जिम्मेदारी मिलती है। विशेषकर वे छात्र जो भविष्य में अध्यापक बनना चाहते हैं वे स्वयं को इस दिन मिलने वाली जिम्मेदारी के लिए काफी उत्साहित रहते है।

हालांकि समय में परिवर्तन होने की वजह से आज छात्रों दरा शिक्षक दिवस के मौके पर अपने शिक्षको को बधाई देने का तरीके में परिवर्तन आया है। आज छात्र स्नेह से अपने पसंदीदा शिक्षकों को ग्रीटिंग कार्ड, पेन, डायरी, इत्यादि गिफ्ट देकर उन्हें सम्मानित करते हैं। इस विशेष मौके पाए कॉलेज, विद्यालयों में विद्यार्थी सुंदर भाषण प्रस्तुत करते हैं, टीचर्स को फूल देकर उनका आशीर्वाद लेते है।

भारतवर्ष में धूम धाम से मनाया जाने वाले इस राष्ट्रीय पर्व के दिन अनेक छात्र अपने शिक्षकों के उनके जीवन में योगदान हेतु उनकी लंबी उम्र की कामना भी करते हैं।

तो दोस्तों उम्मीद है की अब आपको शिक्षक दिवस से जुड़ी काफ़ी जानकारी मिल चुकी होगी, और आप Speech on Teachers Day in Hindi, Teacher’s Day Speech for students & teachers, long and short Teacher’s Day Speech के बारे में भी काफ़ी कुछ जान गये होगे।

उम्मीद है की आपको शिक्षक दिवस पर भाषण – Teacher’s Day Speech In Hindi का यह पोस्ट पसंद आया होगा, और हेल्पफ़ुल लगा होगा।

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