Tenali Rama Stories In Hindi (तेनाली रामा की कहानियां) – Hindi1 के एक और नए Stories के पोस्ट पर आप सभी का स्वागत है। क्या आप बुद्धिमान लोगों की कहानियां पढ़ना पसंद करते हैं यदि हां तब आज का यह पोस्ट केवल आप लोगों के लिए है क्योंकि इस पोस्ट पर हम आप लोगों को Tenali Rama Stories In Hindi के बारे में बताएंगे जो जरूर आप लोगों को पसंद आएगा।
जैसे बीरबल एक बहुत ही बुद्धिमान इंसान थे ठीक वैसे ही तेनालीरामा भी एक बहुत ही बुद्धिमान इंसान थे। Tenali Rama का जन्म एक तेलेगु ब्राह्मण परिवार में हुआ था तेनालीराम को बचपन से ही वेदों का बहुत अच्छा ज्ञान भी था।
तेनाली रामा केवल एक बुद्धिमान इंसान ही नहीं बल्कि तेनाली रामा महाराज कृष्ण देव राय की एक बहुत अच्छे मित्र भी थे तेनाली रामा राज्य के सभी समस्याओं को सुलझाने में मदद करते थे और उनसे जुड़ी कई सारे मजेदार कहानियां है, जो आज हम इस पोस्ट पर आप लोगों को बताएंगे।
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Tenali Rama Stories In Hindi – तेनाली रामा की कहानियां 
इस पोस्ट पर हम आपको तेनाली रामा की कहानियां के बारे में बताएंगे, तेनाली रामा से जुड़ी बुद्धिमान और चालाक कहानियां केवल बच्चों को ही नहीं बल्कि बड़ों को भी पसंद है। हमने Tenali Rama Stories In Hindi पर जो Stories लिखा है, वह Tenali Rama Stories –
1) तेनाली रामा और चोर की कहानी
तेनाली रामा और उनके पत्नी एक दिन रात में सो रहे थे तभी अचानक तेनाली रामा को पत्ते गिरने का आवाज आता है तब तेनाली रामा खिड़की से बाहर देखते है, परंतु कोई भी हवा नहीं चल रहा था तब बुद्धिमान तेनाली रामा समझ जाते हैं कि यह आवाज शायद कोई चोर का है।
तब तेनाली आपने पत्नी से चोर के बड़े में बताते है और वह एक खाली बक्से में पत्थर को भरकर कुएं में फेंक देते हैं और जोर से कहता है की पत्नी हमने हमारा कीमती चीजों को इस बक्से में भर कर कुएं में फेंक दिया है अब अब हमको चोर के बारे में नहीं सोचना चाहिए।
क्योंकि तेनालीरामा ने बक्से का बाद जोर से कहा था इस वजह से चोरों को पता चल गया कि तेनालीरामा ने अपने कीमती चीजों को बक्से में भरकर कुएं में फेंक दिया है इस वजह से 2 चोर ने कुएं का पानी को बाहर निकाला और पैर में पानी को फेंकने लगे सुबह हो गया और तभी चोरों को कुआं से तेनाली रामा का बक्सा मिल गया।
जैसे ही चोरों ने तेनाली रामा का बक्सा खोला वैसे ही देखा कि उसमें कोई भी जरूरी हीरा या पैसा नहीं बल्कि पत्थर भरा है तभी वह लोग समझ गए कि यह चतुर तेनाली रामा का ही काम है तब अचानक तेनाली रामा बाहर निकलते हैं और चोरों से कहते हैं कैसे हो मेरे मित्र और धन्यवाद मेरे बगीचे में पानी देने के लिए और तभी तेनाली रामा ने चोरों को पांच सोने का मुद्रा दिया यह देखकर 2 चोर बहुत दुखी हो गए और तेनाली रामा से कहा कि अब हम लोग कभी भी चोरी नहीं करेंगे।
महाराज कृष्ण देव राय के दरबार में सभी मंत्री मौजूद थे महाराज सभी के काम से बहुत खुश थे इस वजह से सभी को 5000 सोने का मुद्रा दिया था और कहा था इन्हें तुम लोग खर्च कर सकते हो परंतु एक शर्त है जब भी इस सोने के मुद्दे को खर्च करो तब मेरा मुंह को एक बार देख लेना।
तेनाली रामा और बाकी मंत्री 5000 स्वर्ण मुद्रा को लेकर अपने घर चले गए दूसरे दिन सभी लोग महाराज के दरबार में आते हैं महाराज सभी से पूछते हैं क्या तुम लोगों ने 5000 स्वर्ण मुद्रा को खर्च किए हो तब एक मंत्री कहता है नहीं हम लोगों ने स्वर्ण मुद्रा को खर्च नहीं किए हैं क्योंकि आपने तो कहा था कि जब भी हम मोदी ने तो खर्च करें तब आपका मुंह देखना होगा।
दरबार में किसी ने भी 5000 स्वर्ण मुद्रा को खर्च नहीं किया था परंतु तेनाली रामा ने 5000 स्वर्ण मुद्रा को खर्च किया था तब महाराज कृष्णदेव राय तेनाली राम के ऊपर क्रोधित हो जाते हैं और कहते हैं मैंने तो तुम्हें एक शर्ट दिया था कि जब भी स्वर्ण मुद्रा को खर्च करो तब मेरा मुंह को देखना।
तब चतुर तेनाली राम महाराज कृष्ण देव राय को कहते हैं मैंने हर स्वर्ण मुद्रा को खर्च करने के वक्त आपका मुंह को देखा था ताब महाराज कृष्ण देव राय तेनाली रामा से कहते हैं परंतु तुम तो एक बार भी मेरे मुंह को नहीं देखे थे।
तब तेनाली राम बहुत ही चतुराई से कहते हैं महाराज हर एक स्वर्ण मुद्रा में आपका मुंह का तस्वीर लगा है और उसी में ही मैंने आपको देखा था तब महाराज जोर जोर से हंसने लगते हैं और कहते हैं तुम ही हो इस स्वर्ण मुद्रा के असली हकदार और उन्हें और 5000 स्वर्ण मुद्रा उपहार के तरफ में दे देते हैं।
3) तेनाली रामा और बिल्ली की कहानी
राज्य में सभी के घर में चूहे बहुत परेशान कर रहे थे तभी सभी लोग महाराज कृष्ण देव राय को कहते हैं कि आप हम लोगों को कोई सलाह दें ताकि सभी चूहा घर से भाग जाए तब महाराज ने सभी लोगों को एक बिल्ली और एक गाय दिया बिल्ली ने सभी चूहा को भगा दिया परंतु महाराज ने सभी मंत्री से कहा था कि बिल्लियों का अच्छे से देखभाल करना और गाय का दूध को बिल्ली को पिलाना।
सभी लोग बिल्ली और गाय का बहुत सेवा कर रहे थे बिल्ली दूध खाती थी और चूहा भागने के कारण वह बिल्ली ज्यादा भागती भी नहीं थी बहुत दिन बीत गए बिल्ली बहुत मोटा हो गया ना वह चल पाती ना वह ठीक तो है उसे खड़ा हो पाता।तेनाली राम का बिल्ली भी बहुत मोटा हो गया वह कोई काम ठीक तरह से नहीं कर पाता था यहां तक कि चल फिर भी नहीं पाता था तभी तेनाली रामा के चतुर दिमाग पर एक बुद्धि आता है।
तेनाली रामा अपने बिल्ली को पहले जैसा बनाने के लिए उसे बहुत ही गर्म दूध देती थी गर्म दूध होने के कारण बिल्ली दूध को नहीं पीती थी कुछ दिन बाद बिल्ली पहले जैसा हो गया इधर उधर भागने लगा तभी महाराज ने सभी बिल्लियों को अपने दरबार पर बुलाया सभी लोगों ने बिल्लियों को लेकर आया परंतु सभी का बिल्ली हिलडुल नहीं पा रहा था परंतु तेनाली रामा का बिल्ली बहुत अच्छा था वह इधर-उधर दौड़ पाता था।
राज्य में फिर से चूहा का समस्या दिखाई दिया परंतु सभी के बिल्ली मोटा हो जाने के कारण कोई भी ठीक तरह से चूहा को नहीं पकड़ पा रहा था परंतु तेनाली रामा का बिल्ली पहले जैसा हो गया था इस वजह से वह सभी चूहा को भगा दिया था यह देखकर महाराज कृष्ण देव राय बहुत खुश हो गए और तेनाली रामा को राज्य में सबसे ज्यादा बुद्धिमान घोषित किया गया।
4) तेनाली रामा की बेगन चोरी की कहानी
तेनाली राम को महाराज कृष्ण देव राय ने अपने दरबार में भोजन के लिए बुलाया था वहां पर तेनालीरामा को बैगन का एक सब्जी बहुत पसंद आया था जब तेनाली रामा ने बेगन के बारे में महाराज कृष्ण देव राय को पूछा तब कृष्णदेव राय ने कहा कि यह एक खास तरह का बैगन है जो कि केवल हमारे बगीचे में ही उगते हैं।
तेनाली राम को बैगन का बात सुनकर बहुत हैरानी हुआ और वह अपने घर चले आए तेनाली राम जब अपने घर आए तब तेनाली राम अपनी पत्नी को स्वादिष्ट बेगन के बारे में बताएं और कहे कि आज मैंने एक बहुत ही खास तरह का बेगन खाया है जो केवल महाराज के बगीचे में ही उगते हैं।
अनोखे बेगन के बारे में सुन कर तेनाली राम की पत्नी को बैगन खाने का बहुत शौक हुआ और तभी तेनाली रामा के पत्नी ने तेनाली रामा से महाराज के बगीचे के बैगन लाने के लिए अनुरोध किया पत्नी का बात को सुनकर तेनाली राम ने छुपके महाराज कृष्णदेव राय के बगीचे से बैगन को चुरा लिया।बेगन को चुरा लेने के बाद वह अपने पत्नी को बैगन दिया।
तेनालीराम की पत्नी ने बेगन को बहुत ही स्वादिष्ट तरीके से बनाया और तेनाली रामा से कहा कि उनके पुत्र को बुला लाए परंतु तेनाली रामा ने अपने पत्नी से कहा कि यदि वह अपने पुत्र को बुलाते हैं तब उसका पुत्र गांव के सभी बच्चों को अनोखे बैगन के बारे में बता देगा और महाराज तेनालीराम को चोर का अपराध देंगे परंतु तभी तेनाली रामा के दिमाग में एक बुद्धि आया और उन्होंने बाहर अपने बेटे के पास जाकर उसके मुंह में थोड़ा पानी फेंका और कहा कि बेटा बारिश हो रहा है तुम घर के अंदर आ जाओ।
तेनाली रामा का पुत्र और पत्नी बैगन का सब्जी खा लेते हैं अगले दिन तेनाली रामा जब महाराज कृष्णदेव राय के दरबार में जाते हैं तब महाराज अपने बगीचे में बैगन चोरी के बारे में सभी लोगों को बताता है तभी दो-तीन लोग महाराज को बताते हैं कि महाराज शायद यह चोरी तेनाली रामा ने किया है क्योंकि अगले दिन तेनाली रामा बैगन के बारे में बहुत सवाल कर रहे थे।
महाराज कृष्ण देव राय ने तेनाली रामा से पूछा क्या तुमने चोरी किया था बेगन को तब तेनाली रामा कहता है मैं क्या बताऊं महाराज यह तो आप जानते होंगे कि बच्चे कभी झूठ नहीं बोलते आप मेरे पुत्र से ही पूछिए तब महाराज तेनाली रामा के पुत्रों को दरबार में आने का आदेश देते हैं तेनाली रामा का पुत्र दरबार में आते हैं महाराज उनसे पूछते हैं कल तुमने खाने में क्या खाया तब तेनाली रामा का पुत्र उत्तर में कहता है कल जब बारिश हो रहा था तब हमने बैगन का सब्जी खाया था।
तब महाराज सोचते हैं कि कल तो बारिश नहीं हुआ था शायद तेनाली रामा का बच्चा सपना देखा है और महाराज तेनाली रामा से कहते हैं तुमने तो चोरी नहीं किए हो परंतु किसने किया तब तेनालीरामा कुछ नहीं बताता और चुपचाप बैठे रहता है परंतु बाद में तेनाली रामा महाराज को सब बता देता है परंतु तब महाराज बहुत हंसने लगते है।
5) तेनाली रामा और अरबी घोड़ा की कहानी
एक दिन महाराज कृष्ण देव राय अपने दरबार में बैठे थे तभी अरब देश से एक घोड़े बेचने का व्यवसाय आता है और महाराज कृष्ण देव राय से कहता है महाराज मेरे पास अरब देश के कुछ शक्तिशाली घोड़े हैं क्या आप उसे खरीदेंगे।
तब महाराज गोरे बेचने वाले आरबी व्यवसाई से कहते हैं क्या तुम मुझे घोड़े को दिखा सकते हो तब वह अरबी व्यवसाय महाराज को अरबी घोड़े का तस्वीर दिखाता है और तब तस्वीर को देखकर महाराज वेबसाइट से कहता है मुझे पांच घोड़ा चाहिए तभी अरबी व्यवसाई महाराज को 5000 स्वर्ण मुद्रा देने को कहते हैं।
महाराज अरबी व्यवसाई को 5000 स्वर्ण मुद्रा दे देते हैं और आर्मी व्यवसाई महाराज को 2 दिन में गोरा देने के बारे में कहते हैं तब महाराज कहते हैं ठीक है कुछ हफ्ते बीत जाते हैं परंतु अरबी व्यवसाई नहीं लौटते।
महाराज एक दिन बगीचे में टहल रहे थे तभी वह देखते हैं की तेनाली रामा एक कागज में कुछ लिख रहे हैं तब उनसे जाकर पूछते हैं कि ओ तेनाली रामा तुम क्या लिख रहे हो तब तेनालीरामा महाराज से कहते हैं कि मैं इस दरबार के सबसे मूर्ख लोगों का नाम लिख रहा हूं।
महाराज तेनाली रामा से मूर्ख लोगों का कागज मांगते हैं और देखते हैं कि उनके कागज में सबसे मूर्ख लोगों में महाराज का नाम सबसे पहले हैं यह देखकर महाराज बहुत क्रोधित हो जाते हैं और तेनाली रामा से कहते हैं तुमने सबसे मूर्ख में मेरा नाम ऊपर क्यों लिखा है।
तब तेनाली रामा महाराज कृष्ण देवराय को उत्तर में कहते हैं आपने बिना किसी इंसान को देखें 5000 स्वर्ण मुद्रा दे दिए अब वह इंसान कभी भी आपके पास नहीं आएगा तो आप मूर्ख ही ना हुए यह सुनकर महाराज को बिल्कुल भी दुख नहीं लगा और वह तेनाली रामा को कहे कि अब से मैं तुम्हारा सलाह लेकर ही काम को किया करूंगा।
6) तेनाली रामा और अद्भुत कपड़ा की कहानी
दूर देश से एक महिला को अद्भुत कपड़ा दिखाने लाया था और कहा था महाराज आप मुझे कुछ स्वर्ण मुद्रा दीजिए मैं आपको एक अनोखा कपड़ा का सारी दूंगा तब महाराज ने सुंदर महिला को 10,000 स्वर्ण मुद्रा और महल में रहने का अनुमति दिया एक अद्भुत कपड़ा के बदले में।
कुछ साल बीत गया परंतु सुंदर महिला ने कोई भी अद्भुत कपरा महाराज कृष्ण देव राय को नहीं दिया कुछ दिन बीत गया और वह महिला वापस महाराज के दरबार में आया और कहा कि महाराज अद्भुत कपड़ा तैयार है आप देखे महाराज और कोई भी मंत्री कोई कपड़ा नहीं देख पा रहा था।
जब महाराज कृष्ण देव राय ने सुंदर महिला से कहा कि मैं तो कोई कपड़ा नहीं देख पा रहा हूं तब सुंदर महिला ने जवाब में कहा कि जिसका मन सुंदर है केवल वही देख सकता है और जिसका मन सुंदर नहीं है वह इस कपड़े को कभी भी नहीं देख सकता।
तब चतुर और बुद्धिमान तेनालीराम समझ गए कि यह सुंदर लड़की झूठ बोल रहा है और सुंदर लड़की से कहा दरबार में सभी देखना चाहते हैं कि इस सुंदर सारी को पहन कर आपको कैसा लगता है तब सुंदर लड़की ने डरते हुए महाराज से कहा कि हम लोग झूठ बोल रहे थे ऐसा कोई अद्भुत कपड़ा नहीं होता है।
7) तेनाली रामा और बुद्धिमान महिला की कहानी
विजय नगर में एक बहुत ही बुद्धिमान महिला रहा करती थी महिला खुद को सबसे ज्यादा सुंदर और चतुर मानती थी 1 दिन महिला ने अपने घर के बाहर कहा कि जो मेरे चतुराई को हराएगा उसे में 1000 स्वर्ण मुद्रा दूंगा।
विजय नगर के सभी बुद्धिमान लोगों ने बुद्धिमान महिला को हराने के बारे में सोचा परंतु किसी ने भी बुद्धि में महिला को हरा नहीं पाया तभी एक लकड़ी बेचने वाला व्यापारी बुद्धिमान महिला के घर में जोर जोर से चिल्लाने लगा लकड़ी ले लो लकड़ी ले लो करके।
महिला बहुत परेशान हो गए और लकड़ी बेचने वाले से कहा ओ लकड़ी बेचने वाले भैया मैं तुमसे सारा लकड़ी खरीद लूंगा तुम कीमत बताओ तब लगने वाले ने कहा कि मैं कोई पैसे के बदले में इस लकरी को नहीं बेचूंगा मुझे आप मुट्ठी भर चावल का दाना दीजिए लकड़ी के बदले में।
महिला ने बहुत सारा चावल का दाना मुट्ठी भर ले आया परंतु लकड़ी बेचने वाले ने कहा आप गलत है मैंने आपको कहा कि आप मुट्ठी भर चावल का दाना ले आइए परंतु आपने वह नहीं लाया तब बुद्धिमान महिला बहुत गुस्सा हो गई और कहा कि तुम मुझे क्या बता रहे हो तब लकड़ी बेचने वाले ने कहा आप मुझे हजार स्वर्ण मुद्रा दीजिए।
महिला बहुत गुस्सा हो गई और कहा कि तुम क्या गलत बात बोल रहे हो क्या मुझे नहीं पता कि एक मुट्ठी भर चावल का दाना क्या होता है मैं इस विजयनगर का सबसे बुद्धिमान महिला हूं तब लकड़ी बेचने वाला और महिला के बीच बहुत बातचीत हुआ और अंतिम में वह लोग गांव के मुखिया के पास गए गांव के मुखिया ने लकड़ी बेचने वाले से बोला कि तुम क्यों बोल रहे हो कि महिला गलत है।
लकड़ी बेचने वाले ने गांव के मुखिया को कहा कि मैं महिला को गलत इसलिए कह रहा हूं क्योंकि मैंने कहा कि मुझे एक मुट्ठी भर चावल का दाना चाहिए यह नहीं कि पूरा मुट्ठी में चावल ले आए बल्कि मैंने कहा कि मुझे मुट्ठी में एक चावल का दाना चाहिए।
गांव के मुखिया ने महिला से कहा कि लकड़ी बेचने वाला आदमी सही कह रहा है तब महिला ने लकड़ी बेचने वाले को 1,000 स्वर्ण मुद्रा दिया और बाद में लकड़ी बेचने वाले ने कहा कि वह कोई लकड़ी बेचने वाला नहीं बल्कि तेनाली रामा है यह देखकर सभी लोग चौक गए और कहा कि तेनाली रामा से बुद्धिमान और चालाक इंसान इस विजयनगर में कोई नहीं है।
8) तेनाली रामा और सबसे कीमती चीज की कहानी
बाहर के राज्यों से एक कलाकार विजय नगर मैं आए थे विजयनगर आकर कलाकार ने राज्य के महाराजा कृष्ण देव राय को एक चित्र उपहार के तौर पर दिया था महाराज को चित्र इतना पसंद आया कि महाराज ने उसे कहा कि तुम चित्र के बदले में जो भी चाहो वह तुम मुझसे मांग सकते हो।
कलाकार ने महाराज को कहा कि आप मुझे विजयनगर का सबसे कीमती चीज दे परंतु तब महाराज ने कहा कि मैं तुम्हें हीरा पैसा स्वर्ण मुद्रा दे सकता परंतु कलाकार ने स्वर्ण मुद्रा हीरा लेने से मना कर दिया और कहा कि मुझे कीमती चीज चाहिए।
महाराज को समझ नहीं आ रहा था कि कलाकार सबसे कीमती चीज क्या मांग रहा है तब महाराज तेनाली रामा को दरबार में बुलाते हैं। कुछ देर बात तेनालीरामा महाराज कृष्णदेव राय के दरबार में आते हैं और पूरे बात को सुनते हैं।
बात को सुनने के बाद तेनाली रामा कलाकार के पास जाते हैं और उनको विजयनगर के हवा से भरा हुआ एक बैग उपहार में दे देते हैं और वह धन्यवाद कह कर चले जाते हैं और जाते वक्त कहते हैं कि तेनाली रामा इस राज्य के सबसे बुद्धिमान इंसान है क्योंकि मैं विजय नगर का हवा ही अपने साथ इनाम के तौर पर ले जाना चाहता था।
9) बंदी सेवक और तेनाली रामा की कहानी
महाराज कृष्णदेव राय के दरबार में हिरण का एक मूर्ति हुआ करता था उसको महाराज बहुत पसंद करते थे परंतु एक दिन अचानक महाराज के सेवक के हादसे वह मूर्ति टूट जाता है महाराज बहुत गुस्सा हो जाते हैं परंतु तभी तेनालीरामा महाराज से कहते हैं कि उसने तो अपना गलती को स्वीकार किया है आप उसे क्षमा कर दीजिए।
महाराज ने किसी का बात ना सुनकर सेवा को 6 महीना के लिए बंदी बना दिया तेनाली रामा को बहुत दुख लग रहा था इस वजह से दो-तीन बच्चे को महाराज के दरबार पर ले आए और उनसे एक नाटक करवाएं नाटक में एक छोटा सा बच्चा महाराज सजे थे और एक बच्चा सेवक सेवक गलती करता है परंतु जो बच्चा महाराज सजे थे उसने कहा कि मैं तुम्हें कोई सजा नहीं दूंगा क्योंकि यह तुम्हारा पहला गलती है और तुमने तुम्हारा गलती को स्वीकार किया है।
बच्चों के द्वारा किया गया नाटक को देखकर महाराज कृष्ण देव राय समझ जाते हैं कि तेनाली रामा क्या समझाना चाहते हैं कुछ देर बाद महाराज कृष्ण देव राय अपने सेवक को जेल से निकालने के बारे में कहते हैं सहवाग जेल से निकलकर महाराज को धन्यवाद कहते हैं और दरबार में बैठे सभी मंत्री तेनालीरामा को सबसे बुद्धिमान व्यक्ति कहते हैं।
10) दर्शनार्थी का उपहार तेनाली रामा की कहानी
महाराज कृष्णदेव राय के दरबार पर बाहर से एक दर्शनार्थी आते हैं और महाराज के दरबार में एक प्रश्न करते हैं और कहते हैं जो मेरे प्रश्न का सही उत्तर देगा उसे मैं हीरो से जड़ा हुआ एक हार उपहार में दूंगा।महाराष्ट्र कृष्णदेव राय ने दर्शनार्थी को सभी मंत्री से प्रश्न पूछने का अधिकार दिया।
दर्शनार्थी महाराज का आदेश सुनकर खुश हो जाते हैं और प्रश्न पूछते हैं कि इस राज्य का सबसे कीमती चीज क्या है कोई मंत्री उत्तर में कहता है सोना तो कोई मंत्री उत्तर में कहते हैं महाराज का महल परंतु दर्शना तेरे को कोई भी सवाल का उत्तर सही नहीं लगा तभी चतुर तेनाली राम उत्तर में बताया कि हमारे राज्य का सबसे कीमती और बहुमूल्य चीज है आजादी।
जब तेनाली रामानी उत्तर में सबसे बहुमूल्य चीज आजादी कहा तब दर्शनार्थी तेनाली रामा से पूछे तुम मुझे प्रमाण करके दिखाओ की आजादी ही इस राज्य का सबसे कीमती और बहुमूल्य चीज है तब तेनाली ने दर्शनार्थी को कुछ दिन राजा के दरबार में रहने के लिए कहा और महाराज भी दर्शनार्थी को राज महल मैं रहने के लिए आजादी दे दिया।
दर्शनार्थी को अच्छे से देखभाल करने का दायित्व तेनाली को दिया गया था तेनाली ने दर्शनार्थी को सभी चीज प्रदान कर था सिवाय बाहर जाने के लगातार 5 दिन हो गए परंतु दर्शनार्थी बाहर नहीं जा पाए एक दिन दर्शनार्थी बाहर जाने के लिए बहुत उत्सुक हो गए परंतु तेनाली ने सैनिकों को कह दिया था कि वह दर्शनार्थी को बाहर जाने ना दे।
कुछ दिन बीत गया दर्शनार्थी महाराज कृष्णदेव राय के पास गए और कहा कि तेनाली रामा का उत्तर ही सही है उसने मुझे एहसास दिलवाया है कि आजादी से बढ़कर कोई भी चीज नहीं हो सकता और तभी दर्शनार्थी खुश होकर तेनाली रामा को उपहार में हीरे से जरा हुआ हार दे दिया और कहा कि तुमसे चतुर इस राज्य में कोई नहीं है।
आशा करता हूं कि आप सभी को Tenali Rama Stories In Hindi | तेनाली रामा की कहानियां पोस्ट पसंद आया होगा। यदि आप और मजेदार और दिल जीत लेने वाले रोमांचक कहानियां पोस्ट पढ़ना चाहते हैं तब नीचे कमेंट कर दीजिएगा।
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